Shree Ram Mandir Vimlanagar

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**श्री राम मंदिर, विमलlनगर**
धर्म, आस्था और सेवा का पावन स्थान।
जय श्री राम 🙏
रामचरितमानस, भजन-संकीर्तन,
हर राम भक्त का स्वागत है।

26/04/2025
Jay Shree Ram
23/03/2025

Jay Shree Ram

KYA AAP IS PAHELI KO HAL KAR SAKTE HO

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20/03/2025

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YAH BHAJAN SHRIKRISHNA K LIYE APAR BHAKTI KI PARAKASHTA H, JAY SHREE KRISHNA, MAN KI VEENA,मन की वीणा, Swagat Geet, Welcome Song Hindi, School Annual Functio...

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19/03/2025

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13/02/2025

भोले बाबा की जय!भगवान शिव की महिमा अपार है। उनका रूप हमेशा सरल और शांत होता है, लेकिन उनकी कृपा की कोई सीमा नहीं। भोल....

05/02/2025

05/02/2025

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05/02/2025

I want to give a huge shout-out to my top Stars senders. Thank you for all the support!

Abhishek Kureti Âbhî

30/01/2025

श्री राम का जन्म और बालपन: दिव्यता और मर्यादा की प्रथम झलक

श्री राम का दिव्य अवतरण

संपूर्ण सृष्टि जब अधर्म, अन्याय और आसुरी शक्तियों से त्रस्त हो रही थी, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे पृथ्वी पर अवतार लें और धर्म की पुनः स्थापना करें। भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के महाराज दशरथ के घर में श्री राम के रूप में जन्म लिया।

महाराज दशरथ के कोई संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत चिंतित रहते थे। ऋषि वशिष्ठ के परामर्श से उन्होंने महर्षि ऋश्यश्रृंग को आमंत्रित कर पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के पूर्ण होने पर अग्निदेव प्रकट हुए और उन्होंने राजा दशरथ को दिव्य खीर (पायस) प्रदान की। यह खीर उनकी तीनों रानियों—कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी—में वितरित की गई। यज्ञ के फलस्वरूप चैत्र मास की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में भगवान श्री राम ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया।

अयोध्या में आनंदोत्सव

श्री राम के जन्म से समस्त अयोध्या में आनंद की लहर दौड़ पड़ी। नगरवासियों ने दीप जलाए, घर-घर मंगलाचार गूंजने लगे, और भव्य उत्सव मनाया गया। ऋषि-मुनियों ने राजा दशरथ को बधाइयाँ दीं और देवताओं ने आकाश से पुष्पवर्षा की। तुलसीदास जी ने इस दिव्य क्षण का वर्णन इन सुंदर शब्दों में किया है—

"नवमी तिथि मधुमास पुनीता,
शुक्ल पक्ष अभिजित हरि प्रीता।"

अर्थात, चैत्र मास की पवित्र नवमी तिथि, जब सूर्य की स्थिति शुभ थी, तब स्वयं नारायण ने श्री राम के रूप में अवतार लिया।

श्री राम का बालपन: मर्यादा और माधुर्य की झलक

भगवान श्री राम बचपन से ही अत्यंत सौम्य, मर्यादाशील और ज्ञानवान थे। उनके स्वरूप और लीलाओं में दिव्यता झलकती थी। बचपन में वे चारों भाइयों—भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न—के साथ महल में खेलते, माता-पिता की सेवा करते और गुरुजनों का सम्मान करते।

1. माता कौशल्या की गोद में श्री राम

श्री राम अपने बाल्यकाल में जब रोते, तब माता कौशल्या उन्हें प्रेम से गोद में उठाकर झुलातीं। वे भगवान को प्यार से दुलारतीं और उनके मुख की ओर निहारते हुए मोहित हो जातीं। तुलसीदास जी ने इस मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है—

"देखि मुकुट मणि भूषन नाना,
बालक रूप देखि जनु जाना।"

अर्थात, माता कौशल्या अपने शिशु राम के बाल रूप में ही उनके दिव्य स्वरूप की झलक पाती थीं।

2. लक्ष्मणजी का श्री राम के प्रति अगाध प्रेम

श्री राम और लक्ष्मण के बीच बचपन से ही अनन्य प्रेम था। लक्ष्मण जी श्री राम के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। जब माता सुमित्रा ने लक्ष्मण को सुलाने का प्रयास किया, तो वे रोते हुए बोले—

"राम बिना मोहि भात न भाई।"

अर्थात, मुझे श्री राम के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता। यही प्रेम जीवनभर लक्ष्मण जी के हृदय में बना रहा।

3. ऋषि-मुनियों के सान्निध्य में शिक्षा

श्री राम को बचपन में ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में भेजा गया, जहाँ उन्होंने वेद, शास्त्र और धर्मशास्त्रों का गहन अध्ययन किया। वेदों और धर्मशास्त्रों में उनकी गहरी रुचि थी। गुरुजनों के प्रति उनकी श्रद्धा और आज्ञाकारिता अद्वितीय थी।

श्री राम के बालपन की शिक्षाएँ

श्री राम का बाल्यकाल हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देता है—

1. मर्यादा पालन – श्री राम ने बचपन से ही अनुशासन और धर्म का पालन किया।

2. माता-पिता की सेवा – वे सदैव अपने माता-पिता के प्रति आदर रखते थे।

3. भाइयों के प्रति प्रेम – लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से उनका स्नेह अटूट था।

4. गुरु भक्ति – वे गुरुओं की आज्ञा का पालन कर ज्ञान प्राप्ति में तत्पर रहते थे।

निष्कर्ष

श्री राम का जन्म केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि दिव्यता, धर्म और मर्यादा की आधारशिला है। उनका बाल्यकाल हमें जीवन के मूलभूत आदर्शों का मार्ग दिखाता है। आज भी, जब हम श्री राम के जन्मोत्सव राम नवमी को मनाते हैं, तो उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने आचरण में मर्यादा, प्रेम और भक्ति का समावेश करना चाहिए।

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