09/09/2023
👉👉क्रोध क्या है?... एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी जो आपको झनजोर कर रख देगी. ❤❤
...✅➡️एक बार की बात है जब श्री कृष्ण, बलराम, और उद्धव भ्रमण के लिए निकले पर श्याम होते होते उन्हे अंधेरा हो गया और वह उस बक्त जंगल मे थे। तो भगवन कृष्ण बोलते है की अब यही रुक जाते है तो बलराम और उद्धव की भी यही राय थी। अब वह योजना बनते है की एक एक करके हम तीनों पहरा देगे। अब श्री कृष्ण जी और उद्धव सो जाते है। और बलराम पहरा देते है तब रात के बक्त वहा पर एक भयानक राखझस् आ जाता है, तो वह बोलता है की हट मुझे इन दोनों को खाने दे तो बलराम जी बोलते है, ओह दरिके मेरे होते हुए तु इन दोनों को खायेगा। तो क्रोध मे आकर बलराम जी कहते खा कर तो देखा जारा। तो दोनों के बीच दो दो हाथ होने लगती, और इस बीच बलराम के हाथ पैर घुटने लहू लोहार हो जाते। अब वह राखझस् चला जाता हैं।
अब उद्धव की बारी आती है और बलराम बिना कुछ बोले की उनके साथ क्या हुआ, उद्धव को बोले सो जाते है। अब वही घटना उद्धव के साथ हुए, अब rराखझस् वापिस फिर आता है और उद्धव से बोलता है, वही बाते, उद्धव भी क्रोध दिखाते है। और वह भी बलराम की तरह घायल हो जाते है। अब भगवन कृष्ण की वारी आती है, तो उद्धव बोलते है, प्रभु उठे मुझे बहुत निद्रा आ रही है। अब जब कृष्णा जी पहरा दे रहे होते है, तब वह राखझस् वपिश आता है और बोलता है की हट मुझे इनको खाना है । तब भगवन कृष्ण बोलते है हे राखझस् महाराज हमको खाने से आपको क्या लाभ मिलेगा हम तो यात्री है हमे जरा सी रात हो गयी थी तो सोचा की यहाँ पर थोड़ा आराम कर लिया जाए। हम तो सुभाह होते ही चले जायेंगे, तोराखझस् मै दया आ गयी और वह बहुत बड़ा था तो छोटा हो गया। कृष्ण जी ने फिर बोला हम तो राहगीर है हम आपसे निवेधन करते है कि, आप कुछ और खा हमे खाने से आपको क्या फायदा होगा। तो राखझस् और छोटा हो गया। और इतना छोटा हो गया की कृष्ण जी ने उसे अपने पल्लू मै बंद लिया।
प्रिय मित्रों ये कोई राखझस् नहीं था बल्कि क्रोध था। जिसको आप जितना रिझाते हो वह उतना ही बड़ता है। इसलिए हमें क्रोध पर संयम बनाय रखना चाहिए। जिस तरह भगवन ने क्रोध के आगे झुकब दिखाया वही हमे अपने जीवन मे दिखाना चाहिए। ....
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