27/05/2025
27 मई 1964....
पूरे भारत को पता था कि नेहरू मौत से जूझ रहे हैं, 'ब्लिट्ज़' के संपादक आर. के. करंजिया ने अपने सबसे काबिल स्तंभकार ख़्वाजा अहमद अब्बास को बुलाया और कहा कि 'नेहरू अपनी अंतिम सांसें ले रहे हैं, तुम्हें चार घंटे के अंदर उनकी ऑबिट लिखनी है.....'
अब्बास ने अपने को एक कमरे में बंद किया, तभी आर्ट विभाग का एक शख़्स आया और बोला पहले हेड लाइन लिखिए!
अब्बास ने सबसे पहले लिखा 'नेहरू डाइज़' फिर लिखा, 'नेहरू डेड' फिर कुछ देर सोचने के बाद लिखा 'नेहरू नो मोर' फिर उन्होंने तीनों हेडलाइंस को काट दिया....
और नए सिरे से एक हेडलाइन दी, अगले दिन यही ब्लिट्ज़ की हेडलाइन थी…
" #नेहरू_लिव्स…!"
नेहरु मरा नहीं करते क्योंकि वो इस देश की आत्मा में हैं....
🌹