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24/06/2025

अब वंदे भारत में यात्रियों के लिए झरने की सुविधा.इस विश्व स्तरीय सुविधा का लाभ उठाकर आप नहाते हुए यात्रा कर सकते हैं.

24/06/2025

“जब सब सुन सकते हैं तो बोल क्यों नहीं सकते” -अखिलेश यादव (सपा)

इटावा में कथावाचक और उनके सहयोगियों के साथ हुई प्रताड़ना के बाद आज अखिलेश यादव का ये बयान सामने आया है ।

नाम गुम जाएगा , चेहरा ये बदल जाएगा …
16/06/2025

नाम गुम जाएगा , चेहरा ये बदल जाएगा …






















वो जो पल अब लौटकर नहीं आएंगे…⸻—————————————कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जो गुज़र तो जाते हैं, लेकिन दिल के किसी कोने में हमेशा...
12/06/2025

वो जो पल अब लौटकर नहीं आएंगे…

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कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जो गुज़र तो जाते हैं, लेकिन दिल के किसी कोने में हमेशा के लिए ठहर जाते हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ,यह नाम अब सिर्फ एक डिग्री या संस्थान नहीं, बल्कि यादों की एक किताब बन चुका है, जिसके हर पन्ने पर हमारी हँसी, संघर्ष, और साथ बिताए वो अनमोल पल दर्ज हैं।

MA ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म की शुरुआत किसी सपने की तरह थी — नए चेहरे, नई जगह, और ढेर सारी उम्मीदें। पहली बार जब क्लास में बैठते ही , शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये अजनबी चेहरे इतने अपने हो जाएंगे।

कभी असाइनमेंट की भागदौड़, तो कभी कैमरे के सामने घबराहट से कांपती आवाज़ । हमने हर चुनौती को साथ में जिया। क्लासरूम में बहसें सिर्फ अकादमिक नहीं होती थीं, उनमें जुनून भी होता था, अपने पेशे और सच्चाई को लेकर।

कॉरीडोर की बैठकों से लेकर कैंटीन की गुनगुनाहटों तक, हम एक-दूसरे की ज़िंदगी में धीरे-धीरे घर कर गए। कुछ सुबहें लेक्चर से पहले की चाय से जुड़ी हैं, तो कुछ शामें रिकॉर्डिंग से लौटते हुए थके कदमों के साथ की हँसी से।

और फिर, वक्त ने धीरे-धीरे अपनी रफ्तार दिखाई ।सेमेस्टर बदले, चेहरे कुछ गंभीर हुए, कैमरा संभालना सीखा, स्क्रिप्ट लिखते-लिखते आत्मा से जुड़ने लगे।

और एक दिन वो भी आया — आखिरी क्लास, आखिरी अटेंडेंस, और वो अंतिम बार जब सबने एक साथ कैंपस को देखा। दिल भारी था, आँखें नम, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी — जैसे किसी अधूरे गीत को अलविदा कहा हो।

अब जब ज़िंदगी अपने-अपने रास्तों पर आगे बढ़ रही है, तब भी वो क्लासरूम, वो बहसें, वो ग्रुप प्रोजेक्ट्स, और वो नादान हँसी — सब आज भी भीतर कहीं गूंजती है।

क्योंकि कुछ सफ़र मंज़िल पाने के लिए नहीं होते ।वो बस साथ चलने के लिए होते हैं। और माखनलाल का ये सफ़र… हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत साथ था।

#यादों_का_सफर
#माखनलाल_की_यादें









िर_न_मिलें_शायद


हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होताअकबर इलाहाबादी
01/06/2025

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

अकबर इलाहाबादी

हर शुरुआत का एक अंत होता है, और हर अलविदा में छुपी होती है एक नई शुरुआत। जब मेरे प्यारे छोटे भाइयों ने फेयरवेल कार्यक्रम...
27/05/2025

हर शुरुआत का एक अंत होता है, और हर अलविदा में छुपी होती है एक नई शुरुआत। जब मेरे प्यारे छोटे भाइयों ने फेयरवेल कार्यक्रम का आयोजन किया, तो वो सिर्फ एक विदाई नहीं थी — हमारी यादों का एक जश्न था। तुम सबका ये अपनापन, ये सम्मान… हमेशा दिल में रहेगा। शुक्रिया इस खूबसूरत विदाई के लिए — ये लम्हा कभी नहीं भूलेंगे। फेयरवेल एक कार्यक्रम नहीं, वो यादों की गठरी है जिसे तुमने दिल से सजाया। हँसी, आँसू और अनगिनत किस्सों से भरी इस शाम में हमने सिर्फ हॉस्टल को नहीं, एक रिश्ते को विदा किया। लेकिन ऐसा रिश्ता जो विदा हो सकता है ख़त्म नहीं ।


❤️

शब्दों की तपिश से जो भाव पिघले,आज उन्हीं एहसासों ने मंच पर जगह पाई।अपने स्वरचित काव्यपाठ के लिए मिला ये सम्मान,सिर्फ पुर...
10/05/2025

शब्दों की तपिश से जो भाव पिघले,
आज उन्हीं एहसासों ने मंच पर जगह पाई।
अपने स्वरचित काव्यपाठ के लिए मिला ये सम्मान,
सिर्फ पुरस्कार नहीं—मेरे भीतर की आवाज़ का स्वीकार है।
प्रतिभा कार्यक्रम क्रम में एक भावपूर्ण पड़ाव…

08/05/2025

ये हँसता हुआ कारवां जिंदगी का ना पुछो चला है किधर …
05/05/2025

ये हँसता हुआ कारवां जिंदगी का ना पुछो चला है किधर …

11/04/2025

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