08/06/2025
Exclusive| आपदा में भी अवसर! गजब खेला कर दिए DM साहब! ब्लैक लिस्ट करे हो हुजूर की....
डेस्क। बिहार में लगभग हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ की त्रासदी के दस्तक देने की संभावनाएं दिख रही है। मानसूम आने को है। बारिश के कारण नदियां उफ़ानए गी और ज़िलों में हाहाकार मचाए गी। लेकिन बिहार में बाढ़ की विभीषिका रूपी आपदा में भी अवसर तलाशने का खेल बदस्तूर जारी रहेगा। इसकी बानगी अक्सर सूबे में दिखाई देती रहती है। कुछ ऐसा ही हुआ है भागलपुर जिले में जहां विगत वर्ष 2024 में भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों के बीच वितरण खातिर जिला आपदा प्रबंधन शाखा द्वारा 30,000 पॉलिथिन शीट्स आपूर्ति खातिर निविदा संख्या 02/2024 जारी की गई। इसके लिए सहरसा की आर डी इंटरप्रेन्यूर नामक एजेंसी को चयनित किया गया। यहां तक तो सब ठीक रहा है।
पर हद तो देखिए बाढ़ आपदा के दौरान महज 8800 पॉलिथिन शीट्स आपूर्ति की गई और 55 लाख 81 हजार 900 रुपए का पेमेंट भी हासिल कर लिया गया निविदा शर्तों के अनुरूप। नदियों का जलस्तर सामान्य हो गया पीड़ितों से जैसे तैसे हालत में बाढ़ की त्रासदी झेल ली पर बाढ़ त्रासदी के 7 माह बाद भी कुल तीस हजार पॉलिथिन शीट्स आपूर्ति होनी थी में से 21,200 पॉलिथिन शीट्स की आपूर्ति चयनित एजेंसी द्वारा नहीं किया गया। जबकि इस दौरान के बाकि बचे पॉलिथिन शीट्स आपूर्ति खातिर जिला आपदा प्रबंधन शाखा द्वारा एजेंसी से पत्राचार कर आपूर्ति करने को कहा गया.
22 मई को ब्लैक लिस्ट
लेकिन आर डी इंटरप्रेन्यूर न तो आपूर्ति की ना ही आपूर्ति किए जाने संबंधी कोई सूचना दी गई। उलटा पत्रांकों के जवाब में गंभीर आरोप चस्पा किए गए। अतः 22 मई 2025 भागलपुर जिलाधिकारी द्वारा सकारण आदेश जारी कर जमानत राशि 50,000 रुपए को जब्त करते हुए आर डी इंटरप्रेन्यूर, सहरसा को काली सूची में दर्ज करने का आदेश निर्गत कर दिया गया।
आखिर मेहरबानी क्यों?
भागलपुर जिले के बाढ़ पीड़ितों को भले ही आपदा के समय
पॉलिथिन शीट्स समय पर उपलब्ध न हुए पर आपूर्ति नहीं करने वाली एजेंसी पर गजब की मेहरबानी दिखाई गई और महज एक पखवारे के अन्दर ही 5 जून 2025 को डीएम के आदेश पर महज चेतावनी देकर बजाप्ता काली सूची से बाहर कर दिया गया। वो भी तब जब उसने अपने जवाब के दौरान बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि "विशेष सेवा संभव था" जिसको स्वयं भागलपुर जिला आपदा शाखा द्वारा सकारण आदेश में भी उल्लेखित किया गया है। अब सवाल उठता है आखिर क्यों सहरसा की इस चयनित एजेंसी पर आनन फानन में इतनी मेहरबानी जिलाधिकारी द्वारा की गई?
प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा है?