
02/09/2025
‼️🌳🩷_*।। गजानन गणपति ।।*_
( गणपति के विविध नाम और उनके अर्थ )🩷🌳‼️
🛐शिव के अनुयायी गण और शिवगण भी कहे जाते हैं। गण शब्द का एक अर्थ समूह भी होता है।... और वे शिवगणों अथवा कहें कि समस्त गणों के ईश्वर हैं, स्वामी हैं; इसलिए ही वे *गणेश', 'गणपति', 'गणनायक' और 'गणाध्यक्ष* कहे जाते हैं। उक्त गुण के ही कारण उन्हें ' *विनायक* ' अर्थात् गणों का नायक कहते हैं।
वे ऐसे ईश्वर हैं जो किसी भी प्रकार के शुभ कार्य में उपस्थित हुए समस्त विघ्नों को दूर कर देते हैं। इस कारण से, वे *विघ्नेश', 'विघ्नेश्वर', 'विघ्नहर', 'विघ्नहर्ता', 'विघ्नविनाशाय' और 'अविघ्न* भी कहलाते हैं। वे समस्त बाधाओं के राजा हैं। उन पर पूर्णतः अपने इच्छानुसार शासन करते हैं। वे जब चाहें, किसी भी अड़चन को किसी भी दिशा में घुमा सकते हैं। अतः, वे ही *विघ्नराज' और 'विघ्नराजेंद्र* हैं।
उनका आनन (मुख) गज के समान है। इस कारणवश, *गजानन', 'गजमुख', 'गजवक्र' और 'गजवक्त्र* हुए। उनका मुख सुंदर है, मंगलकारी है; अतएव उन्हें *सुमुखी* भी कहकर बुलाते हैं। गज के समान लंबे कर्ण होने के कारण *गजकर्ण', 'लंबकर्ण' और 'शूपकर्ण* से संबोधित करते हैं। घुमावदार सूंड धारण करने के कारण उनका एक और नाम *वक्रतुंड* है। उनका उदर (पेट) लंबा है, इसीलिए वे *लंबोदर* भी कहे जाते हैं। एक दांत, चार भुजा और विशाल देह होने से ही उन्हें क्रमशः *एकदंत/एकदंष्ट्र', 'चतुर्भुज' और 'महाकाय/भीम/विकट* कहकर पुकारते हैं। 🛐
🤱माता पार्वती के कई सारे नामों में से दो नाम उमा और गौरी हैं। तो उनके पुत्र होने के कारण *उमापुत्र और 'गौरीसुत* हुए। महादेव उनके पिता हैं, और महादेव ईशान दिशा के भी ईश्वर हैं। अतः, वे *ईशानपुत्र* भी कहलाते हैं। महादेव के पुत्र हैं, तो वे *रुद्रप्रिय* भी होंगे ही। समस्त शुभ-मंगल कार्यों के स्वामी होने के कारण उनकी पूजा *मंगलमूर्ति' और 'शुभम* के रूप में की जाती है। शस्त्र के रूप में गदा और वाहन के रूप में मूषक धारण करने पर *गदाधर' और 'मूषकवाहन/अखूरथ* कहे जाते हैं। वे समस्त यज्ञों, अनुष्ठानों, व्रतों और प्रसादों को स्वीकार करते हैं। अतः, उन्हें *यज्ञकाय', 'देवव्रत' और 'सर्वदेवात्मन* भी कहते हैं। ( देवव्रत शब्द के कई सारे अर्थों में से एक अर्थ धार्मिक अनुष्ठान अथवा व्रत भी होता है। )
उनका आकार ओम के जैसा है, इसीलिए उन्हें *ओमकारा* से भी संबोधित करते हैं। समस्त सफलताओं के स्वामी होने के कारण *सिद्धिदाता' और 'सिद्धिविनायक*...बुद्धि-ज्ञान के स्वामी होने के कारण *बुद्धिनाथ', 'बुद्धिविधाता' और 'विद्यावारिधी* ...एवं गुणों के स्वामी होने के कारण *शुभगुणकानन' और 'गुणिन* कहे जाते हैं। 🤱
🙏हमारे तैंतीस कोटि ( करोड़ नहीं, श्रेणी ) देवी-देवताओं में जो 'प्रथम पूज्य' माने जाते हैं; उन 'अग्र देव' को, उन 'प्रथमेश्वर' को मैं सहृदय कोटि-कोटि नमन करता हूँ।🙏
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥