सत्य सनातन

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सत्य सनातन
1- रामायण, गीता और शास्त्रों से जुड़ा शाश्वत ज्ञान।
2-धर्म, भक्ति, नीति और जीवन मूल्य की दिव्य प्रेरणा।
3-सनातन संस्कृति की जड़ें, श्लोकों और कथाओं के माध्यम से।
"ईश्वर सत्य है,सत्य ही शाश्वत है-वही सनातन है।"

गोस्वामी जी कहते हैं कि वही करनी विभीषण की थी, परन्तु श्रीरामचन्द्रजी ने स्वप्नमें भी उसका मनमें विचार नहीं किया। उलटे भ...
04/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि वही करनी विभीषण की थी, परन्तु श्रीरामचन्द्रजी ने स्वप्नमें भी उसका मनमें विचार नहीं किया। उलटे भरतजी से मिलने के समय श्रीरघुनाथजी ने उनका सम्मान किया और राजसभा में भी उनके गुणोंका बखान किया।
#राम #जय #आज

गोस्वामी जी कहते हैं कि प्रभु के चित्त में अपने भक्तों की की हुई भूल-चूक याद नहीं रहती (वे उसे भूल जाते हैं) और उनके हृद...
04/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि प्रभु के चित्त में अपने भक्तों की की हुई भूल-चूक याद नहीं रहती (वे उसे भूल जाते हैं) और उनके हृदय [ की अच्छाई-नीकी ] को सौ-सौ बार याद करते रहते हैं। जिस पाप के कारण उन्होंने बालि को व्याध की तरह मारा था, वैसी ही कुचाल फिर सुग्रीव ने चली।
#जय #राम #आज

गोस्वामी जी कहते हैं कि वरं मेरे प्रभु श्रीरामचन्द्रजी ने तो इस बात को सुनकर, देखकर और अपने सुचित्त रूपी चक्षु  से निरीक...
04/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि वरं मेरे प्रभु श्रीरामचन्द्रजी ने तो इस बात को सुनकर, देखकर और अपने सुचित्त रूपी चक्षु से निरीक्षण कर मेरी भक्ति और बुद्धि की [उलटे] सराहना की। क्योंकि कहने में चाहे बिगड़ जाय (अर्थात् मैं चाहे अपनेको भगवान्का सेवक कहता-कहलाता रहूँ ), परंतु हृदयमें अच्छापन होना चाहिये। (हृदयमें तो अपने को उनका सेवक बनने योग्य नहीं मानकर पापी और दीन ही मानता हूँ, यह अच्छापन है।) श्रीरामचन्द्रजी भी दास के हृदयकी [अच्छी ] स्थिति जानकर रीझ जाते हैं।
#राम #जय

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि यह मेरी बहुत बड़ी ढिठाई और दोष है, मेरे पाप को सुनकर नरकने भी नाक सिकोड़ ली है (अर्थात्...
04/08/2025

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि यह मेरी बहुत बड़ी ढिठाई और दोष है, मेरे पाप को सुनकर नरकने भी नाक सिकोड़ ली है (अर्थात् नरक में भी मेरे लिये ठौर नहीं है)। यह समझकर मुझे अपने ही कल्पित डर से डर हो रहा है, किंतु भगवान् श्रीरामचन्द्रजी ने तो स्वप्न में भी इसपर (मेरी इस ढिठाई और दोष पर) ध्यान नहीं दिया।
#राम #जय

गोस्वामी जी कहते हैं कि सब लोग मुझे श्रीरामजी का सेवक कहते हैं और मैं भी [बिना लज्जा-संकोच के] कहलाता हूँ (कहने वालों का...
04/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि सब लोग मुझे श्रीरामजी का सेवक कहते हैं और मैं भी [बिना लज्जा-संकोच के] कहलाता हूँ (कहने वालों का विरोध नहीं करता); कृपालु श्रीरामजी इस निन्दा को सहते हैं कि श्रीसीतानाथजी-जैसे स्वामी का तुलसीदास-सा सेवक है।
#राम #जय

03/08/2025
भगवान मधुसूदन बोले हे अर्जुन यह आत्मा सबके शरीर में सदा ही अबध्य है ,इसलिए सम्पूर्ण भूत प्राणियों के लिए तू शोक करने के ...
03/08/2025

भगवान मधुसूदन बोले हे अर्जुन यह आत्मा सबके शरीर में सदा ही अबध्य है ,इसलिए सम्पूर्ण भूत प्राणियों के लिए तू शोक करने के योग्य नहीं है।
#जय

भगवान कृष्ण बोले और हे अर्जुन आत्मतत्व बड़ा गहन है इसलिए कोई महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की ज्यों देखता है और वैसे ह...
03/08/2025

भगवान कृष्ण बोले और हे अर्जुन आत्मतत्व बड़ा गहन है इसलिए कोई महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की ज्यों देखता है और वैसे ही दूसरा कोई महापुरुष ही आश्चर्य की ज्यों इसके तत्व को कहता है,और दूसरा कोई ही इस आत्मा को आश्चर्य की ज्यों सुनता है ,और कोई कोई सुनकर भी इस आत्मा को नहीं जानता।
#जय

गोस्वामी जी कहते हैं कि तथापि कृपालु श्रीरामचन्द्रजी मुझ दुष्ट सेवक की प्रीति और रुचि को अवश्य रखेंगे, जिन्होंने पत्थरों...
03/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि तथापि कृपालु श्रीरामचन्द्रजी मुझ दुष्ट सेवक की प्रीति और रुचि को अवश्य रखेंगे, जिन्होंने पत्थरों को जहाज और बन्दर-भालुओं को बुद्धिमान् मन्त्री बना लिया।
#राम #जय #आज

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरामजी तो विशुद्ध प्रेम से ही रीझते हैं, पर जगत में मुझ से बढ़कर मूर्ख और मलिन बुद्ध...
03/08/2025

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरामजी तो विशुद्ध प्रेम से ही रीझते हैं, पर जगत में मुझ से बढ़कर मूर्ख और मलिन बुद्धि और कौन होगा ?।
#राम #जय #आज

गोस्वामी जी कहते हैं कि सबकी सुनकर और उनकी वाणी, भक्ति, विनय और चाल को पहचानकर सुन्दर (मीठी) वाणी से सबका यथा योग्य सम्म...
03/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि सबकी सुनकर और उनकी वाणी, भक्ति, विनय और चाल को पहचानकर सुन्दर (मीठी) वाणी से सबका यथा योग्य सम्मान करते हैं। यह स्वभाव तो संसारी राजाओं का है, कोसलनाथ श्रीरामचन्द्रजी तो चतुरशिरोमणि हैं।
#राम #जय #आज

गोस्वामी जी कहते हैं कि सुकवि-कुकवि, सभी नर-नारी अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार राजा की सराहना करते हैं। और साधु, बुद्धिमान्...
03/08/2025

गोस्वामी जी कहते हैं कि सुकवि-कुकवि, सभी नर-नारी अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार राजा की सराहना करते हैं। और साधु, बुद्धिमान्, सुशील, ईश्वर के अंश से उत्पन्न कृपालु राजा ।
#राम #जय #आज

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