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09/09/2025

"सी पी राधाकृष्णन भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर विधिवत निर्वाचित हुए हैं."
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कारगिल युद्ध के अमर शूरवीर कैप्टन विक्रम बत्रा जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। राष्ट्र की रक्षा हेतु आपका बलिदान सदैव प्रे...
09/09/2025

कारगिल युद्ध के अमर शूरवीर कैप्टन विक्रम बत्रा जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। राष्ट्र की रक्षा हेतु आपका बलिदान सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
जय हिंद! 🇮🇳

09/09/2025

बिहार की तस्वीर क्या इस बार बदलेगी

"करम और जितिआ परब – जीवनोपयोगी शिक्षा की परंपरा"कुड़मि समाज के वार्षिक पर्वों का एक विशिष्ट स्वरूप यह है कि प्रत्येक पर्...
09/09/2025

"करम और जितिआ परब – जीवनोपयोगी शिक्षा की परंपरा"

कुड़मि समाज के वार्षिक पर्वों का एक विशिष्ट स्वरूप यह है कि प्रत्येक पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान न होकर जीवनोपयोगी शिक्षा का माध्यम रहा है।
इसी परंपरा में करम परब और जितिआ परब का विशेष स्थान है।

करम परब नवयुवतियों के लिए यह सीखने का अवसर था कि उत्तम नस्ल और उत्तम फसल के लिए कौन-से मार्ग अपनाए जाएँ। इस दिन नवयुवतियाँ अपने चारखुंट पुरखों – दादा-दादी और नाना-नानी की स्मृति में, उनकी परंपरा का पालन करते हुए, चालहो सिआरि को बासि भात भोग अर्पित करती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें यह बोध कराया जाता है कि परिवार और खेत दोनों में समृद्धि तभी संभव है जब पुरखों की रीति-नीति से जुड़ाव बना रहे।

इसी जीवन-दर्शन का दूसरा रूप है जितिआ परब। यह पर्व विशेष रूप से नई माताओं के लिए होता था। माताएँ अपने चारखुंट पुरखों की चालहो सिआरि को ताजी भात का भोग अर्पित करतीं और संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य तथा परिवार की उन्नति की कामना करतीं। इस अवसर पर मातृत्व केवल निजी अनुभव न रहकर सामुदायिक और सांस्कृतिक उत्तरदायित्व का रूप ले लेता था।

इस प्रकार, करम परब और जितिआ परब दोनों ही जीवन और कृषि के बीच गहरे संबंध को प्रकट करते हैं। एक ओर करम परब नवयुवतियों को जीवन की आरंभिक जिम्मेदारियों का बोध कराता है, वहीं दूसरी ओर जितिआ परब मातृत्व को भविष्य की पीढ़ियों के संरक्षण और उनके उत्तम पालन-पोषण से जोड़ता है। यही इन पर्वों की वास्तविक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्ता है।

✍️ Sariaan Kaduar
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08/09/2025

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08/09/2025

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क्या झारखंड मणिपुर बनने की राह पर है ? इस Thread को पढ़ें 🧵 झारखंड की बात जब जब होती है तो आदिवासी मूलनिवासी की बात होती...
07/09/2025

क्या झारखंड मणिपुर बनने की राह पर है ? इस Thread को पढ़ें 🧵

झारखंड की बात जब जब होती है तो आदिवासी मूलनिवासी की बात होती है| कुड़मी मूलनिवासी हैं l अगर झारखंड को बुलेट मोटरसाइकल मान लिया जाए तो कुड़मी और आदिवासी इसके दो पहिए हैं l बगैर तालमेल बुलेट तो नाय चलतो ...

कुड़मी और आदिवासी दोनों ही झारखंड के मालिक हैं | दोनों ही झारखंड की आन बान शान हैं| इसमें कहीं कोई विवाद नहीं है| हालांकी लंबे समय से झारखंड के कुड़मी आदिवासी का दर्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं पर अबतक उनकी मांग को अव्यहारिक बताकर खारीज किया जाता रहा है l झारखंड विधानसभा में कुड़मी समाज को आदिवासी (ST) का दर्जा देने के प्रस्ताव को सीएम हेमंत सरकार ने एक झटके से खारिज कर दिया था | इस दौरान विधानसभा में सीएम हेमंत सोरेन के मुंह से अपशब्द भी निकले थे | " जिसको देखो मुंह उठाकर आदिवासी .... कान में मुतने.... सबको आदिवासी बनना है|"

हेमंत सोरेन की इस बात से कुड़मी समाज इस कदर नाराज हुवे कि JMM से किनारा कर लिया | हेमंत सोरेन के खिलाफ कुड़मी एकजुट हो गए | झारखंड में कुड़मी महतो बडा वोट बैंक है| वगैर कुड़मी झारखंड में सरकार नहीं बन सकती | कुड़मी को आदिवासी (ST) का दर्जा मिल जाए जाहीर सी बात है इस मुद्दे में इतना दम था कि मौके का फायदा उठाकर झारखंड में एक केजरीवाल पैदा हो गया जिसे जयराम महतो कहा जाता है| कभी JMM का झंडा ढो रहा झारखंड का एक आम कुड़मी युवा पर कुशल वक्ता जिसे JMM ने अहमियत नहीं दी आगे चलकर कुड़मी युवाओं की पसंद बन गया | जयराम महतो ने कुड़मी समाज की भावनाओं का फायदा उठाकर कुड़मी जाती को आदिवासी (ST ) का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर और मुखर होकर अपनी राजनीतिक पारी की शूरूआत की और अलग राजनीतिक दल JLKM की श़रुआत की | जो कुड़मी कभी आजसू पार्टी और सुदेश महतो के साथ थे वे जयराम महतो के समर्थन में आ गए | आजस कमजोर हो गई | नतीजा हाल के इलेक्सन में साफ दिखा | भाजपा के साथ NDA गठबंधन के लिए करीब 10 सीटों पर चुनाव लडी पर बहुत मस्स्कत के बाद एक सीटें मिली | आजसू प्रमुख सूदेश महतो चुनाव हार गए | जयराम महतो ने सभी सीटों पर उमिदवार उतारे पर जीत सिर्फ अकेले जयराम महतो को मिली बाकी सब हारे| पर कुल मिलाकर जयराम महतो की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया | इसमे कोई दो राय नहीं है|चुनाव में कई जगहों पर JLKM दुसरे नंबर की पार्टी बनी | चूनाव में JMM और BJP दोनों का नुकसान किया | नई नई पार्टी बनी JLKM ने सबसे ज्यादा चोट भाजपा को दी |

मुद्दे पर वापस आते हैं l आज एक बार फिर कुड़मी नेताओं ने अपनी जाति के लिए आदिवासी (ST) का दर्जे करने की मांग को लेकर बहस छेड़ दी है| कुड़मी समाज के लोग जंतर मंतर पहूँचे हैं | सरकार को हड़का रहे हैं l

मामला ST आरक्षण को लेकर है| जाहीर है सब अपनी अपनी जाति का समर्थन करेंगे l मैं अलग थोड़े हुं l मेरे शुभचितकों द्वारा सलाह दी जा रही कि मैं इस मुद्दे से दुरी बना लूं और कुछ न लिखूँ | उनका मानना है कि झारखंड के मेरे कई फॉलोअर्स कुड़मी है जो अबतक मुझे सोशल मीडिया पर निस्वार्थ समर्थन देते रहे हैं | कुड़मी समाज नाराज हो जाएगा | फॉलोअर्स कम हो जाएंगे l

एक बात तो स्पष्ट कर दुं न तो इंफ्लूएंसर हूं न तो एंटेटेनर, न ही पेआउट के लिए ट्विटर पर लिखती हुं l फॉलोअर्स की चिंता किसे है! अपने फॉलोअर्स को खुश या नाराज करने के लिए ट्वीट नही करती | पर्सनल अकांउट है अपनी बात लिखती हुं l समर्थन या विरोध यह लोगों के विवेक पर है|

बात कुड़मी समाज को आदिवासी का दर्जा देने की मांग को लेकर विवाद को लेकर है| आदिवासी और कुड़मी आमने सामने हैं l फिलहाल दोनों ही समाज से अपील है| समर्थन और विरोध अपनी जगह है| धैर्य और संयम बनाए रखें l लोकतंत्र है सबको अपनी बात रखने की आजादी है| जंतर मंतर लोग अपनी मांगे केन्द्र सरकार के सामने रखने आते है| आज कुडमी आए हैं कुछ दिन बाद आदिवासी आ जाएंगे l विशूद्ध राजनीति चल रही है | हर कोई अपना वोट बैंक साध रहा है| एक बार पुन: दुहराती हुं कुड़मी और आदिवासी बुलेट के दो पहिए हैं l दोनों चलते हैं तो गाडी चलती है| तालमेल जरुरी है| सोशल मीडिया पर समर्थन या विरोध करते समय तर्कपुर्ण तरिके से अपनी बात रखें l आपस मे लडाई झगडा न करें l राजनीतिक मसला है| ऐसे मामले अस्थाई होते हैं l आज मुद्दा गरम है चल रहा है| कल खत्म हो जाएगा |सबकुछ फिर से नोर्मल हो जाएगा | जोश में ऐसा कुछ न लिखें और बोलें कि आदिवासी और कुड़मी आपस में भिड जाएं और तीसरा बंदर फायदा उठा ले जाए | वैसे ही देश विरोधी ताकतें कैरोसिन लेकर घुम रही है कि जैसे ही चिगारी उठी की केरोसीन डाल कर आग लगा दें l

ऐसा इसलिए लिख रही हुं क्योंकी मणिपुर में भी यही विवाद हूआ था | मणिपुर में मैतेई समुदाय ने भी ST का दर्जा की मांग को लेकर आंदोलन शूरू किया था | मैतेई और कुकी आदिवासी दोनों आपस में भिड़ गए | मंजर पुरी दुनिय़ां ने देखा | मणिपुर में एक तरफ कुकी मैतेई आपस में लड़कर मर रहे थे | गांव के गांव जल रहे थे और उसी आग में कांग्रेसी अपनी राजनीति रोटिय़ां सेंक रहे थे | राहुल गांधी केरोसिन डाल रहा था |

सवाल आदिवासी और कुड़मी महतो दोनों ही से है | जातिगत राजनीति में क्या हम झारखंड को मणिपुर बनने देंगे ? Think....

कंचन उगूरसांडी ✍️
#झारखंडीपुकार

07/09/2025

कुड़मी आदिवासी सूची में शामिल है। Kudmi आदिवासी है तो उसको ST से बहार क्यों रखा गया है।
#झारखंडीपुकार

07/09/2025

पलामू से दिल को झकझोर देनी वाली खबर सामने आई है.😳
#झारखंडीपुकार

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