10/07/2025
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
आप सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं !
लाखों लोगों के ह्रदय में अपना स्थान बनाने वाले श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज जिन्हें लोकप्रिय रूप से प्रेमानंद महाराज के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, दार्शनिक और राधा कृष्ण के उपासक हैं।
इनका आश्रम श्री हित राधा केली कुंज वृंदावन में स्थित हैं एवं वृन्दावन के अतिरिक्त इनकी डिजिटल उपस्थिति इनके यूट्यूब , फेसबुक एवं इंस्टाग्राम के सोशल मीडिया अकाऊंट्स - भजन मार्ग, गुरुकृपा केवलम , श्री हित राधा कृपा, साधन पाठ, वृन्दावन रास महिमा, भजन सार आदि पर लगातार दर्ज हो रही है जिसके कारण राधा नाम का प्रचार और उनकी महिमा जन जन तक पहुंच कर राधावल्लभ संप्रदाय के अनुयाईयों की संख्या में निरंतर वृद्धि कर रही है।
वर्तमान युग में श्री हित प्रेमानंदजी महाराज एकमात्र एक ऐसे लोकप्रिय संत हैं जिनके प्रवचन सुनकर उनके अनुयाई निरंतर बढ़ते ही चले जा रहे हैं।
इस युग में जब प्रैक्टिकल होते रिश्ते-नातों से मोहभंग होने का सिलसिला चल निकला है तो जीवन के दोराहे पर असमंजस में पड़कर हैरान परेशान खड़े लोगों के लिए उनका होना किसी दैवीय वरदान से कम नहीं है जो अपने प्रवचनों द्वारा ह्रदय को शीतलता प्रदान करते हुए सभी को सही राह चुनने की प्रेरणा दे रहे हैं।
1972 में सरसौल वासी श्री शंभू पांडे एवं श्रीमती रमा देवी के यहां जन्मे महाराज जी का बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। मात्र तेरह बरस की अल्पायु में इनके मन में जब भगवत प्राप्ति की तीव्र इच्छा जगी तब वे गृह त्याग कर साधना पथ पर चल पड़े और सन्यास लेकर काशी के गंगा घाट पर शिव भक्ति में लीन रहकर अनेक शास्त्रों एवं धर्म ग्रंथों का निरंतर अध्ययन करते ब्रह्मबोध प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए विश्वनाथ भगवान से प्रेरणा पाकर वृन्दावन आए।
एक सुबह, वृन्दावन की परिक्रमा करते समय, महाराज जी एक सखी द्वारा गाए जा रहे इस श्लोक पर पूरी तरह से मोहित हो गए...
" श्रीप्रिया-वदन छबि-चन्द्र मनौं, प्रीतम-नयन्न-चकोर | प्रेम-सुधा-रस-माधुरी, पान करत निसि - भोर "
महाराज जी ने सखी से कहा कि वह जो पद गा रही है, उसका अर्थ समझाएं। सखी ने मुस्कुराते हुए कहा कि यदि वह इस पद का अर्थ समझना चाहते हैं तो पहले उन्हें राधावल्लभी बनना होगा।
महाराज जी तुरंत उत्साहपूर्वक राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी पूज्य श्री हित मोहितमराल गोस्वामी जी से दीक्षा के लिए संपर्क करने पहुंच गए और उन्होंने महाराज जी को शरणागत मंत्र के साथ राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित किया गया।
इसके कुछ दिनों पश्चात पूज्य श्री गोस्वामी जी के आग्रह पर महाराज जी अपने वर्तमान सद्गुरु देव से मिले, जो सहचरी भाव के सबसे प्रमुख और स्थापित संतों में से एक हैं - पूज्य श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज, जिन्होंने उन्हें सहचरी भाव और नित्य विहार रस (निज मंत्र) में प्रेमानंद जी महाराज को दीक्षित किया।
विश्व में पहले भी कई संत महात्मा हुए हैं लेकिन जितनी सत्यता और प्रामाणिकता इनकी वाणी और प्रवचनों में महसूस होती है वह शायद ही पहले कभी किसी अन्य की वाणी में महसूस की गई हो।
उनकी भाषा शैली एकदम संतुलित एवं खरी है।
वे एक ओर जहां फूल पत्तियों से राधा रानी का श्रृंगार कर उनके भजन कीर्तन का रस लेते हैं वहीं दूर दूर से आए अपने शास्त्रों में वर्णित बातो पर अपनी असहमति जताते अनेक विद्वानों, साधू संतो, कथावाचकों आदि का संदेह निवारण करने के लिए अलग अलग वेद पुराणों से मंत्र, दोहे, किस्से, अध्यायों के उदाहरण देकर जिस प्रकार शास्त्रार्थ करते हैं उससे एक प्रकार से अब उनके ही ईश्वर होने का भ्रम पैदा होने लगा है।
श्रीहित प्रेमानंद जी महाराज की ब्रह्मवैवर्त, भागवत और पद्म पुराणों में गजब की सिद्धि है।
ये जब हाथ जोड़कर सभी से निवेदन करते हैं कि नाम जप करो , तुम्हें कहीं भागने की जरुरत नहीं और कि बस चौबीस घंटे में से केवल बीस मिनट राधा नाम जप लो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा तो सुनकर सहज ही मन में राधा नाम को लेकर भक्ति जाग्रत होकर आंखों से अश्रुधारा सहज ही निकल पड़ती है।
इनका कहना है कि मैं जो भी कुछ कह रहा हूं वह अपने अनुभव से बता रहा हूं न कि कहीं की सुनी सुनाई बता रहा हूं।
उनके बताए रास्ते पर चलने वाले राधारानी की सर्वोच्च सत्ता का अनुभव कर पा रहे हैं।
प्रेमानंद जी राधा रानी को बेहद ही ममतामई एवं प्यारभरे संबोधनों जैसे कि किशोरीज्यू , लाड़लीज्यू , श्यामा प्यारी आदि कहकर पुकारते हैं।
पीताम्बरधारी प्रेमानंद जी महाराज भाल पर राधाचन्दन और ब्रजरज का लेप लगाए राधा भक्ति में लीन नित्य रात्रि ढाई बजे अपने आवास से परिक्रमा मार्ग होते हुए जब राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं तो वृन्दावन की गलियों और कूचों में इनके दर्शन करने वालों की भीड़ सर्दी, गर्मी और बरसात की परवाह न करते जिस प्रकार उमड़ पड़ती है वह अद्भुत होता है।
बीते बरसों में महाराज जी के प्रवचन सुनकर कई युवा उनके शिष्य बन गए। उनके कुछ शिष्य जिन्हें हम वीडियो में देखते रहते हैं उनमें प्रमुख हैं पठानकोट पंजाब के निवासी नवनागरी बाबा जी पहले आर्मी में नौकरी किया करते थे लेकिन 2017 में महाराज जी के प्रवचनों से प्रेरित होकर नौकरी छोड़कर महाराज जी की शरण में आ गए।
एक और हैं महामधुरी बाबा, जो हर वीडियो में दिखाई देते हैं । वे मूल रूप से पीलीभीत के रहने वाले हैं जो पहले असिस्टेंट प्रोफेसर थे. महाराज जी से सबसे पहले इनकी मुलाकात उनके भाई ने करवाई थी, जब वह अपने भाई के घर वृंदावन आए. तब महाराज जी का ऐसा आशीर्वाद प्राप्त हुआ कि प्रोफेसर की नौकरी छोड़ उन्होंने साधु वेष धारण किया और अब वृंदावन में महाराज जी के साथ ही रहते हैं.
एक हैं श्यामा शरण बाबा, यह महाराज जी के शिष्य होने के साथ ही महाराज जी के भाई के बेटे यानी उनके भतीजे हैं, जिनका जन्म भी कानपुर के अखीर गांव के उसी घर में हुआ जहां प्रेमानंद महाराज का जन्म हुआ. बचपन से ही इन्हें महाराज जी के क़िस्से घर में सुनने को मिलते थे कि कैसे उन्होंने कम उम्र में घर छोड़ा और संन्यासी बन गए.
बस यही सब सुनकर वे भी महाराज जी के शिष्य बन गए।
बीते वर्षों में प्रेमानंद जी के दर्शन करने के लिए विभिन्न संत-वैष्णव जन, गृहस्थ, स्कूल व कॉलेज के बच्चे आ रहे हैं वहीं की नामचीन हस्तियां जैसे– विराट कोहली (इंडियन क्रिकेटर), अनुष्का, प्रियम गर्ग (आईपीएल प्लेयर), इंडियन वूमेन क्रिकेट टीम की खिलाड़ी , दीपक निवास हुडा (भारतीय कबड्डी प्लेयर),स्वीटी बोहरा (इंटरनेशनल बॉक्सर), विनीत राय (भारतीय फुटबॉलर), द ग्रेट खली, वीर महान (डब्ल्यूडब्ल्यूईरेसलर), मोहन भागवत (RSS प्रमुख), सौरभ गौड़ (अध्यक्ष, धर्म रक्षा संघ), एम. एस. बिट्टा (अध्यक्ष,अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा), बॉलीवुड सिंगर– बी प्राक, मास्टर सलीम, ऋचा शर्मा, अमी मिश्रा, सिमरन भारद्वाज, रेवन्नी (आफ्रिकन सुपरस्टार), श्रीकांत राजशेखर उपाध्याय (रामायण सीरियल में जामवंत का किरदार), आदित्य वैद्य (मराठी एक्टर), रवि किशन (एक्टर एवं सांसद गोरखपुर), अंकित अरोड़ा ( टीवी अभिनेता), कैप्टन योगिन्द्र सिंह यादव (परमवीरचक्र), प्रमख कथा व्यास - देवकीनंदन ठाकुर, देवी चित्रलेखा, इंद्रेश उपाध्याय, श्यामसुन्दर परासर, चिन्मयानन्द बापू, सच्चिदानन्द स्वामी महाराज (इस्कॉन), आचार्य प्रद्युम्न (बाबा रामदेव के गुरु), गो सेवक गोपालमणी जी, रामानंदी, गौड़ीय, वारकरी, स्वामी नारायण, सिखआदि विभिन्न सम्प्रदायों के संत आचार्य, न्यायाधीश (हाई कोर्ट), सुप्रीम कोर्ट के वकील,सेना के जवान एवं अधिकारीगण, विभिन्न पुलिस प्रशासनिक अधिकारी, जेल सुप्रीडेंट, स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स एवं अन्य अनेकों प्रसिद्ध व्यक्ति आ रहे हैं।
प्रेमानंद जी एक देशभक्त होने के साथ साथ देश की युवा पीढ़ी को लेकर विशेष चिंता करते दिखाई देते हैं। वे युवा पीढ़ी के बच्चों को ब्रह्मचर्य से रहकर और विवाह से पहले पवित्रता से रहने का महत्व समझाते हैं।
गृहस्थी में रहकर भगवत प्राप्ति का मार्ग सुझाते हुए वे माता पिता की सेवा करने कए लिए भी कहते हैं।
आज की युवा पीढ़ी उनकए बताए मार्ग पर अग्रसर हो रही है। महाराज जी युवाओं से अपने चरित्र को उज्जवल रखने पर जोर देते हैं। उनके अनुसार यदि हमारे देश के युवाओं का आचरण और चरित्र निर्मल और स्वच्छ होगा, और यदि वे अपने धर्म का पालन करते हुए संयम से चलेंगे तो कल को हमारा भारत पूरे विश्व में प्रतिष्ठित होगा।
कलयुग में जब सच्चा आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने वाले गुरु मिलने अत्यंत दुर्लभ हो गए हैं तब प्रेमानंद महाराज जी लगातार शास्त्र , वेद -पुराण में वर्णित गूढ़ बातों को एकदम सरल और सहज बनाकर अपने सत्संग और एकांतिक वार्तालाप के माध्यम से लोगों का पथ प्रदर्शित कर रहे हैं।
प्रेमानंद जी महाराज सभी देशवासियों से आग्रह करते हैं कि है कि वे जुआ, मांस-मदिरा, हिंसा, व्यभिचार आदि त्यागकर अपने कर्तव्य कर्म का दृढ़तापूर्वक पालन करतए हुए अपने जीवन को भगवद् समर्पित करें।
महाराज जी को देख सुन कर हृदय को ऐसा अपनापन अनुभव होता है जैसे बरसों बाद थके-मांदे वापिस घर लौटने पर मातापिता के दुलार पर अनुभव होता है।
गत वर्षों में न जाने कितने ही धार्मिक गुरुओं ने धर्म का व्यवसायीकरण कर उससे सनातन धर्म का जो भी, जितना भी जैसा भी नुकसान किया था वो सारा नुकसान परम पूजनीय प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी एक ही कृपादृष्टि से पूरा कर दिया है।
महाराज जी का संपूर्ण व्यक्तित्व उनकी कई बरसों की कठिन साधना की कहानी सुना रहा है।
उन्हें सुनते , देखते मन नहीं भरता और लगता है जैसे हम मंदिर में बैठकर साक्षात ईश्वर से ही बात कर रहे हों।
बीते कई महीनों से महाराज जी की प्रसिद्धि जिस प्रकार बढ़ी है वह हैरान करने वाली है।
लगता है हम भारतवासियों ने कोई तो ऐसे पुण्यकर्म किए होंगें जो हमें महाराज जी को सुनने देखने का सौभाग्य मिल रहा है।
महाराज जी को लेकर जो भी नकारात्मकता फैलाने वाले तत्व हैं उनपर टिप्पणी करने का कोई औचित्य है ही नहीं।
आप महाराज जी को बस एकबार देख सुन लीजिए ईश्वर पर स्वत: ही विश्वास पुख्ता हो जाएगा क्योंकि इनकी बातों में -
कोई लाग नहीं
कोई लपेट नहीं।
बस , सादा जीवन उच्च विचार।
परम पूजनीय गुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते उनकी बलैयां लेकर नज़र उतारते रहिए कि वे असाध्य किडनी रोग से ग्रसित होते हुए भी किसी योद्धा की भांति रोज़ लड़कर , स्वस्थ रहें और अपनी कृपा हम सभी पर यूंही बनाए रखियेगा।
स्त्रीrang -सुजाता
Bhajan Marg Vrindavan Ras Mahima