21/07/2025
#राहुल उर्फ धनराज पुनर्जन्म की सच्ची कहानी
story of reincarnation of aka Dhanraj"
यह कहानी है राहुल चौधरी की, जिसका जन्म हुआ हरियाणा के पलवल जिले में।जब राहुल मात्र 3–4 साल का था, वह बार-बार कहता – “यह मेरा घर नहीं है, मेरा असली घर तो बासवा है।”उसके मम्मी-पापा सोचते कि बच्चा छोटा है, कुछ भी बोलता है।लेकिन राहुल बार-बार जिद करता – “मुझे मेरे घर जाना है।”
एक दिन उसके पापा ने कहा – “अच्छा बताओ तुम्हारा नाम क्या है?”राहुल बोला – “मेरा नाम राहुल नहीं, धनराज है। मेरी पत्नी है, और 4 बच्चे हैं।”उसने बताया – “मेरा गांव बासवा है। मैं ट्रैक्टर ड्राइवर था। मेरा एक्सीडेंट हुआ और मेरी मौत हो गई।”
पिता ने राहुल को बासवा गांव ले जाकर पीछे-पीछे फॉलो किया।राहुल सीधे एक घर में घुसा, एक महिला का हाथ पकड़ कर बोला – “यह मेरी पत्नी है।”महिला हैरान थी। गांव वाले एकत्र हो गए।राहुल ने गांव के कई लोगों और अपने पुराने भाइयों को पहचान लिया।उसने बताया – “मेरी मौत ट्रैक्टर से धक्का लगने और पीछे से ट्रक कुचलने से हुई थी।”
उसके भाई ने पूछा – “कौन था वो दोस्त?”राहुल बोला – “नाम याद नहीं, लेकिन वही ट्रैक्टर पर मेरे साथ था और मुझे धक्का दिया था।”राहुल ने अपनी पत्नी को एक गुप्त अलमारी की घड़ी की बात बताई – और वह घड़ी सच में वहीं निकली।
पिछले जन्म का खास दोस्त जो खेत में था – खबर सुनते ही दौड़कर आया और रोने लगा, दोनों भावुक हो गए।धनराज की उम्र उस समय 35 साल थी।12 साल बाद उसने राहुल के रूप में पुनर्जन्म लिया।उसका बेटा राजेंद्र तब 22 साल का था – और राहुल केवल 4 साल का।राहुल ने अपनी बेटी की शादी में कन्यादान भी किया।
धनराज की आत्मा कहती है – “मैं मरने के बाद 11 दिन तक घर पर नीम के पेड़ पर रहा। कोई मेरी सुन नहीं रहा था – मैं चिल्ला रहा था, लेकिन सब मुझे देख ही नहीं पा रहे थे। मैंने देखा मेरा अंतिम संस्कार हो रहा है – और मैं वहीं खड़ा था। कुछ दिन बाद मैं हवा के साथ उड़ गया, और मुझे जैसे जगह मिली जहां और आत्माएं थीं। हम पांच आत्माएं एक ग्रुप में थे – हम कहीं भी घूमते थे, जो मन करता था करते थे।”
“एक बार एक आत्मा को एक तांत्रिक ने कैद कर लिया – हम सब ने मिलकर उसे छुड़ाया।”राहुल ने बताया – “एक बार उसकी मां गिर गई थी – तो मां के पेट में उसके कान में चोट लगी थी – जो उसे याद रही।,,
आत्मा कहती है – “हमें भूख भी लगती थी, जो मन करता था खाते थे – लोगों को पता नहीं चलता था। कभी किसी को डराया नहीं – लेकिन बहुत आत्माएं डराती हैं। आत्मा के रूप में दुःख बहुत होता है – शरीर की तड़प बनी रहती है।”
“एक दिन अचानक मैं कहीं गायब हो गया – और फिर मां के पेट में पहुंच गया – और इस जीवन में जन्म हुआ।”
#निष्कर्ष
“राहुल उर्फ धनराज की यह रहस्यमयी कहानी हमें सिखाती है कि आत्मा अमर है, लेकिन उसके कर्मों की गूंज हर जन्म तक जाती है। प्रिया से उसका जुड़ाव केवल प्रेम नहीं, बल्कि पिछले जन्म के अधूरे वचनों की पुकार थी। आखिरकार, हर आत्मा को तभी शांति मिलती है, जब हम अपने जीवन में सत्य, प्रेम और अच्छे कर्मों का मार्ग चुनते हैं। यही आत्मा का असली सफर है...”
#आत्माकायात्रा