13/08/2025
नवानगर में (बक्सर बिहार)दो बड़ी इंडस्ट्री आई हैं, एक मेथनॉल प्लांट और दूसरा बॉटलिंग प्लांट, दोनों ही लंबे समय में पर्यावरण और समाज पर गहरे घाव छोड़ेंगे।
ऐसा माना जाता है कि मेथनॉल के उत्पादन से निकलने वाला रासायनिक कचरा और जहरीली गैसें हवा और पानी को प्रदूषित करेंगी, जिससे स्थानीय लोगों में सांस, त्वचा और लीवर से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ेंगी, वहीं बॉटलिंग प्लांट भूजल का बड़े पैमाने पर दोहन कर पानी का स्तर तेजी से गिरा देगा, जिससे किसानों की सिंचाई, पीने के पानी की उपलब्धता और पारिस्थितिक संतुलन पर सीधा असर होगा, यानी, अल्पकालिक मुनाफ़े के बदले दीर्घकालिक तबाही का सौदा!
और अब चौसा का थर्मल पावर प्लांट जिसका असर तो आसपास के इलाकों में बहुत जल्द दिखेगा।
सवाल है जब सेमीकंडक्टर फैक्ट्री, IT पार्क, सोलर प्लांट, असेंबली यूनिट जैसे हाई-टेक और रोजगार देने वाले प्रोजेक्ट गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों को मिलते हैं, तो बिहार के हिस्से क्यों आते हैं वे प्लांट जिन्हें बाकी राज्यों के जागरूक लोग आंदोलन करके अपने यहाँ लगने नहीं देते?
और यहाँ की जनता ताली बजाकर उनका स्वागत करती है!
कृषि प्रधान बिहार को चाहिए तकनीक और रोज़गार वाले उद्योग, ना कि ज़मीन, पानी और सेहत को बर्बाद करने वाले प्रोजेक्ट...
ये प्रोजेक्ट्स भी छोड़ दो, कृषि को ही प्रधान इंडस्ट्री मान के इसको और उन्नत करने के कितने प्रयास होते है?
ये विकास है या तबाही फैसला आप करें।
या फिर… क्या बिहार सच में यही डिज़र्व करता है?
राम राम 🙏