R P Rajak

R P Rajak झाड़ू छोड़ो कलम उठाओ, परिवर्तन आ जायेगा!

31/10/2025

इन्टरनेट पर यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है.
एक तरफ पशुओं की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है वही इन आवारा या परित्यक्त पशुओं के लिए सरकारों को प्लान बनाना चाहिए ताकि ये अचानक हमलावर न हो जाएं.

#आवारापशु #शेल्टर

जीवन के मूल मंत्र ! 🌸❤️
27/10/2025

जीवन के मूल मंत्र ! 🌸❤️

22/10/2025

https://ceo.bihar.gov.in/tcgconline

स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता बनने का ऑनलाइन लिंक आ चुका है। सभी स्नातक साथियों से अनुरोध है कि आप अपने क्षेत्र से मतदाता अवश्य बनें। साथ ही अपने परिजनों व मित्रों का भी नाम मतदाता सूची में अवश्य जुड़वाएं!

यह शिक्षित वर्ग की आवाज़ को विधान परिषद तक पहुँचाने का माध्यम है।

जरूरी दस्तावेजों की सूची :-
१) फोटो (1MB तक)
२) सिग्नेचर (1MB तक)
३) *स्नातक मार्कशीट या सर्टिफिकेट (अभिप्रमाणितप्रति PDF में)*

ऑनलाइन फॉर्म 18 भरे।
अपलोड करें।
सबमिट करें।

1 अक्टूबर 25 से 6 नवंबर 25 के बीच फॉर्म भर कर अपने स्नातक/ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से मतदाता जरूर बनें!

[स्नातक निर्वाचन-क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली में नाम सम्मिलित किए जाने के लिए दावा ]

21/10/2025

I want to give a huge shout-out to my top Stars senders. Thank you for all the support!

Dheerendra Baitha

🌼 दिल से दीवाली मनाएं 🌼अपने अंतर के प्रेम भाव से,चलो मन का दीप जलाएं।होंठों पर मुस्कान सजा कर,खुशियों का प्रकाश फैलाएं।अ...
20/10/2025

🌼 दिल से दीवाली मनाएं 🌼

अपने अंतर के प्रेम भाव से,
चलो मन का दीप जलाएं।
होंठों पर मुस्कान सजा कर,
खुशियों का प्रकाश फैलाएं।

अंधियारे दिल के कोनों में,
सपनों के रंग सजाएं,
खुद को दीप-सा रौशन कर,
हर ग़म को दूर भगाएं।

मन के हर कोने में झांको,
जहां अभी भी अंधेरा है,
दीप भरो विश्वास का ऐसा,
हर कोना जगमग हो जाए।

ना केवल घर, ना केवल द्वार,
अंतर में भी ज्योति जलाएं,
प्रेम, दया और शांति के संग,
चलो सच्ची दीवाली मनाएं।
🪔🌟🪔

20/10/2025

दीपोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं 🪔

I got 122 reactions and 5 replies on my recent top post! Thank you all for your continued support. I could not have done...
19/10/2025

I got 122 reactions and 5 replies on my recent top post! Thank you all for your continued support. I could not have done it without you. 🙏🤗🎉

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19/10/2025

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⭐⭐
please Follow Him
Dheerendra Baitha

कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक्त का सफर एक गहरी सी ख़ामोशी है खुद के ही अंदर...😊
19/10/2025

कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक्त का सफर
एक गहरी सी ख़ामोशी है खुद के ही अंदर...😊

धनतेरस : धन, धान और धन्वंतरि का मिथकहर वर्ष दीपोत्सव से पहले धनतेरस का पर्व आता है। परंपरा है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा...
18/10/2025

धनतेरस : धन, धान और धन्वंतरि का मिथक

हर वर्ष दीपोत्सव से पहले धनतेरस का पर्व आता है। परंपरा है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा की जाती है — वे जिन्हें "आयुर्वेद के जनक" और "आरोग्य देवता" कहा गया है। किंतु जब हम पौराणिक कथाओं और सामाजिक यथार्थ की परतें खोलते हैं, तो अनेक प्रश्न सामने आते हैं।

चिकित्सा और ब्राह्मणिक निषेध का विरोधाभास:
यह बात स्वयं में विस्मयकारी है कि जिन संस्कृत ग्रंथों में चिकित्सा कर्म को ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध बताया गया, जहाँ कहा गया कि “वैद्य का अन्न पीव समान है”, वही संस्कृति एक चिकित्सक देवता की पूजा कैसे कर सकती है?
यदि ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार चिकित्सक का कार्य अपवित्र था, तो फिर धन्वंतरि जैसे चिकित्सक को देवता का दर्जा किसने और क्यों दिया?

पीतल, सोना और वैद्य का संबंध:

धनतेरस पर पीतल और सोने की खरीद परंपरा बन गई है। किंतु प्रश्न यह उठता है -
क्या किसी वैद्य का इन धातुओं से कोई सीधा संबंध था?
पीतल का काम करने वाले और सुनार, दोनों को ही वर्णव्यवस्था के अनुसार चौथे पायदान पर रखा गया। फिर एक चिकित्सक देवता की पूजा के नाम पर इन्हीं धातुओं की खरीद क्यों?
संभव है कि धन्वंतरि स्वयं उसी वर्ग के व्यक्ति रहे हों, जो अपने पारंपरिक धंधे के साथ चिकित्सा कार्य भी करते थे — जैसे कबीर जुलाहा होकर कवि थे। यानी धन्वंतरि भी अपने सामाजिक वर्ग की सीमाओं में रहते हुए जनसेवा करते थे।

‘धन’ या ‘धान’ का संबंध:

‘धन’ शब्द की उत्पत्ति भी शायद ‘धान’ से हुई हो।
धान यानी चावल — जो अवैदिक समाज की मुख्य फसल थी। जब कटाई के बाद धान घर आता था, तो जिसके पास जितना अधिक धान होता था, वह उतना “धानवान” कहलाता था। समय के साथ यही “धानवान” शब्द “धनवान” बन गया।
इस दृष्टि से “धन्वंतरि” का अर्थ हो सकता है — “धान का रक्षक” या “धान से समृद्ध व्यक्ति”।
और यह व्याख्या उन्हें अवैदिक, कृषिपरक परंपरा का प्रतिनिधि बनाती है — क्योंकि कृषि कर्म भी मनुस्मृति में शूद्रों का कर्म बताया गया है।

धन्वंतरि : बौद्ध परंपरा की छाया

इतिहास की दृष्टि से देखा जाए तो संभव है कि धन्वंतरि किसी बौद्ध परंपरा से जुड़े रहे हों।
बौद्ध भिक्षु लंबी यात्राएँ करते थे — और बीमारी की दशा में स्वयं अपना इलाज करते थे।
इसलिए उन्हें औषधियों और जड़ी-बूटियों का ज्ञान होना आवश्यक था।
बौद्ध भित्तिचित्रों में ऐसे कई दृश्य मिलते हैं, जिनमें भिक्षु पशुओं की चिकित्सा करते दिखाए गए हैं।
स्पष्ट है कि चिकित्सा कर्म बौद्ध जीवन का अंग था।
जबकि मनुस्मृति इसे पाप कर्म कहती है।
तो फिर धन्वंतरि जैसे चिकित्सक का ब्राह्मणिक ग्रंथों में प्रकट होना यही दर्शाता है कि उन्हें बाद के युगों में वैदिक बना दिया गया, ताकि लोकप्रियता का स्रोत खो न जाए।

आरोग्य की संस्कृति का उत्सव

जो भी हो, धन्वंतरि वैदिक रहे हों या अवैदिक, बौद्ध हों या लोकदेवता
उनका सार्थक संदेश यही है कि स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है।
बीमारियों को दूर करने वाला व्यक्ति ही समाज का सच्चा धनवान है।
इसीलिए आज भी धनतेरस का अर्थ केवल सोना–चाँदी खरीदना नहीं होना चाहिए,
बल्कि आरोग्य, सेवा और करुणा का उत्सव होना चाहिए।

“महान चिकित्सक धन्वंतरि को नमन🙏
जिन्होंने रोग से लड़ना, जीवन को समझना और मानवता को प्राथमिकता देना सिखाया।”

आप और आपके परिवार को धन्वंतरि जयंती एवं धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ। 🌼
स्वस्थ रहें, समृद्ध रहें, सजग रहें।

#धन्वंतरि #धनतेरस

15/10/2025

हर चुनाव में चेहरा बदल जाता है, लेकिन बक्सर की तकदीर वहीं की वहीं ठहर जाती है...
सवाल अब भी वही है — इस बार बक्सर का क्या होगा?
स्थानीय नेतृत्व या फिर से बाहरी चेहरा?
#बक्सर #राजनीति #जनप्रतिनिधि #जनजवाबदेही #बक्सरकीआवाज़

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