06/10/2023
जनजातीय समुदाय के सारे पर्व-त्योहारों में इसकी मौजूदगी अनिवार्य
हाउ चटनी के दीवाने हैं कोल्हान के हो जनजातीय
चटनी के रूप में कोल्हान के हो जनजातीय समुदाय हाउ का उपयोग सदियों से कर रहा है।
कोल्हान के हो जनजातीय समुदाय हाउ (एक प्रकार की लाल चींटी) की चटनी की दीवानी है. समुदाय के सारे पर्व- त्योहारों में इसकी मौजूदगी अनिवार्य है. खास बात है कि इसे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक पसंद करते हैं. कहा जाता है कि यह समुदाय चटनी के रूप में हाउ का उपयोग सदियों से कर रहा है. कोई तीखी तो कोई खट्टी चटनी बनाकर इस्तेमाल करता है. अधिकांश सामाजिक अवसरों पर तीखी चटनी पसंद की जाती है. इसका उपयोग सुबह का नश्ता से दोपहर या शाम के मुख्य भोजन में किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह चलन आज भी है. हो जनजातीय समुदाय का प्रिय पेय हड़िया का यह अभिन्न अंग माना जाता है. हड़िया व रासी के साथ हाउ की चटनी सोने पे सुहागा के समान माना जाता है. कोल्हान के साप्ताहिक हाट-बाजारों में आसानी
से मिल जाती है. पर्व-त्योहारों के मौसम में यह बहुत मुश्किल से मिलती है.
माना जाता है कि इससे पुरानी खांसी भी ठीक हो जाती है
औषधीय गुणों का खजाना है हाउ चटनी
हाउ चटनी औषधीय गुणों का खजाना है. जानकार बताते हैं कि हाउ की चटनी खाने से सर्दी-खांसी दूर हो जाती है. वहीं पाचन शक्ति बढ़ती है. यह माना जाता है कि इससे पुरानी खांसी ठीक हो जाती है. हाउ की चटनी बनाने के लिए अदरक, लहसुन, मिर्च, प्याज, टमाटर, धनिया पत्ता, नमक आदि को मिला कर पिसाई कर बनायी जाती है.
हाउ के जायका से सराबोर है कोल्हान की धरती
डॉक्टर भी बताते हैं लाभकारी
डॉक्टर का कहना है कि यह चटनी पाचन शक्ति को ठीक करती है. कृमि की वजह से होने वाली 90 दिनों की पुरानी खांसी से निजात दिलाने में मदद करती है. आदिवासी समाज इस चटनी को विशेष रूप से उपयोग करती है. इसमें एनिमल प्रोटीन, फॉर्मिक एसिड की मात्रा काफी पायी जाती है, जो शरीर के लिए काफी लाभकारी होती है.
सारंडा के साल वन में मिलती है हाउ , एशिया के सबसे बड़ा साल वन सारंडा जंगल में हाउ बहुतायत में पायी जाती है. हाउ बहुत से पेड़ों पर पत्तों को आपस में जोड़ कर पोटलीनुमा घरौंदा बनाती हैं. यह साल वृक्षों पर अधिक पाई जाती है. ताजी हाउ सबसे अधिक अच्छी मानी जाती है. यह हर मौसम में पाई जाती है.
कोल्हान प्रमंडल मुख्यालय चाईबासा स्थित मंगलाहाट, गुदड़ी, जगन्नाथपुर, नोवामुंडी, हाटगम्हरिया बाजार में दोपहर के बाद यह मिलता नहीं है. ताजी हाउ के लिए कई बार ग्राहकों में छीना-झपटी तक हो जाती है.10 से 20 रुपये में मिलती है। कोल्हान के हाट बाजारों में हाउ 10 से 20 रुपये प्रति पत्ता बिकती है. 10 रुपये की हाउ में 10 से 15 लोग खा सकते हैं. ग्रामीण इलाकों में यह थोड़ी सस्ती है. वन क्षेत्रों के कई परिवारों की आय का मुख्य जरिया हाउ है. जंगली पेड़ों के पत्तों को आपस में बुनकर हाउ पोटलीनुमा घरौंदा बनाती हैं. उसमें अंडे देती हैं. ये जब हाउ बन जाते हैं, तो ग्रामीण इसे पेड़ों से उतारकर बाजार में बेच देते हैं.