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लुगू बुरू घंटाबाड़ी धोरोम गाढ़ में बैठक, 9 अगस्त को दिशोम गुरु शिबू सोरेन की श्रद्धांजलि सभा का निर्णय ।लुगू बुरू( लालपन...
08/08/2025

लुगू बुरू घंटाबाड़ी धोरोम गाढ़ में बैठक, 9 अगस्त को दिशोम गुरु शिबू सोरेन की श्रद्धांजलि सभा का निर्णय ।

लुगू बुरू( लालपनिया , बोकारों ) 7 अगस्त 2025 – आज लुगू बुरू घंटाबाड़ी धोरोम गाढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता सोडोक टोला मांझी बाबा श्री मंझला मुर्मू ने की। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की स्मृति में एक भव्य श्रद्धांजलि सभा लुगू बुरू घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ दरबार चट्टानी में आयोजित की जाएगी।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी समाज, गरीब, मजदूर, शोषित और पीड़ितों के अधिकारों की लड़ाई को समर्पित रहा। उन्होंने झारखंड राज्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई और जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया।

इस श्रद्धांजलि सभा का उद्देश्य उनके संघर्षों और योगदान को याद करना तथा उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना है। आयोजकों ने आदिवासी समुदाय से अपील की है कि वे इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल होकर दिशोम गुरु के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करें।

बैठक में मुख्य रूप से लुगू बुरू घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ के अध्यक्ष बबुली सोरेन, उप सचिव मिथलेश किस्कू, जगेसर मांझी, परगना दिनेश मुर्मू, बुधन हांसदा, गुरुलाल सोरेन, मेघराज मुर्मू, सुखदेव मांझी, फूलचंद किस्कू, सोमेश हेंब्रम, जीवन किस्कू, कालिदास मरांडी, लालजी मांझी, दिलीप कुमार मरांडी, दीपक मरांडी, रतिराम मरांडी, रमाकांत सोरेन, तथा झामुमो गोमिया प्रखंड अध्यक्ष लुदू मांझी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

शिबू सोरेन (11 जनवरी 1944 – 4 अगस्त 2025), जिन्हें आदिवासी समुदाय में “Dishom Guru” (प्रादेशिक गुरु) के नाम से जाना जाता...
04/08/2025

शिबू सोरेन (11 जनवरी 1944 – 4 अगस्त 2025), जिन्हें आदिवासी समुदाय में “Dishom Guru” (प्रादेशिक गुरु) के नाम से जाना जाता है, भारतीय राजनीति के एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता थे।
🧑‍🌾 प्रारंभिक जीवन और आंदोलन
• सोरेन का जन्म नरमरा (तत्कालीन बिहार, अब झारखंड) के एक सन्ताली आदिवासी परिवार में हुआ था ।
• उनके पिता का वध धनबाद के जंगलों में कर्जदाताओं द्वारा किया गया माना जाता है, जिसने उनके अंदर आदिवासियों के अधिकार के लिए संघर्ष की भावना को जन्म दिया ।
• 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने Santhal Navyuvak Sangh की स्थापना की और बाद में 1972–73 में Jharkhand Mukti Morcha (JMM) की नींव रखी, जिसमें शहरी एवं ग्रामीण आदिवासी एकजुट हुए ।
राजनीतिक करियर और उपलब्धियाँ
Jharkhand Mukti Morcha (JMM)
• सोरेन JMM के सह-संस्थापक और लंबे समय तक इसके अध्यक्ष रहे। उन्होंने आदिवासी धरती तथा सामाजिक‑आर्थिक न्याय के लिए नेतृत्व किया ।
राज्य और केंद्र में भूमिका
• तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री: मार्च 2005 (10 दिन), 2008–09, और 2009–10 तक कार्यरत रहे, लेकिन गठबंधन राजनीति के कारण कोई कार्यकाल लंबा नहीं रह पाया ।
• केंद्रीय स्तर पर कोयला मंत्री भी तीन बार नियुक्त हुए: 2004‑05 और 2006 में, लेकिन कुछ याचिकाओं एवं विवादों के कारण इस्तीफे भी देने पड़े ।
संसदीय प्रतिनिधित्व
• डुम्का से लोकसभा सांसद: 1980–84, 1989–98, और 2002–2019 तक सात या आठ बार चुने गए ।
• 2020 से 2025 तक राज्यसभा सांसद भी रहे ।
विवाद और न्यायिक मुकदमें
• 1994 में अपने निजी सचिव शशीनाथ झा की हत्या के आरोप में जिला अदालत ने उन्हें 2006 में दोषी ठहराया और दंडित किया; हालांकि, बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया ।
निधन और राष्ट्रीय श्रद्धांजलि
• 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में दिल्‍ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हुआ। झारखंड सरकार द्वारा तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया और अंतिम संस्कार आदिवासी रीति‑रिवाजों के साथ उनके पैतृक गांव नरमरा में संपन्न हुआ ।
• युवा मुख्यमंत्री बेटे हेमंत सोरेन, कई राज्य व राष्ट्रीय नेताओं (जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव) ने उन्हें आदिवासियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के प्रतीक बताया और गहरी संवेदना व्यक्त की।

विश्व आदिवासी दिवस को लेकर जामताड़ा में तैयारियाँ जोरों पर, आयोजन समिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्नजामताड़ा, 24 जुलाई:आगामी ...
24/07/2025

विश्व आदिवासी दिवस को लेकर जामताड़ा में तैयारियाँ जोरों पर, आयोजन समिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न

जामताड़ा, 24 जुलाई:
आगामी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के भव्य आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री उत्कृष्ट बालिका उच्च विद्यालय, जामताड़ा के प्रांगण में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी सुश्री अमिता टुडू ने की। बैठक में कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु विभिन्न विभागों का गठन किया गया तथा विभाग प्रभारियों की घोषणा की गई।

गत वर्षों की परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी "मांझी परगना सरदार महासभा, जामताड़ा जिला" एवं "सिदो कान्हू मुर्मू सेवा समिति" के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन समिति का गठन किया गया। इस समिति के संरक्षक श्री सुनील कुमार हांसदा तथा आनंद टुडू बनाए गए हैं। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सर्वसम्मति से अमिता टुडू को सौंपी गई है। अन्य प्रमुख पदाधिकारी इस प्रकार हैं:

सचिव: वैधनाथ सोरेन

उप सचिव: बुद्धदेव मरांडी एवं गिरिजानांद हेम्बरम

कोषाध्यक्ष: श्याम कुमार सोरेन

सह-कोषाध्यक्ष: निर्मल मरांडी

सांस्कृतिक एवं स्वागत समिति प्रभारी: नाज़िर सोरेन

सहयोगकर्ता: कालेश्वर मरांडी, बलदेव मुर्मू, निर्मल सोरेन

बच्चों के लिए आयोजित होने वाली भाषण एवं चित्रांकन प्रतियोगिता की जिम्मेदारी सुधीर सोरेन और देवेन्द्र मुर्मू को दी गई है। सहयोग में देवेन्द्र मरांडी, हेमलाल मुर्मू, सुनीत कुमार हेमब्रम, सुबोधन हांसदा एवं शिक्षक बलदेव मुर्मू रहेंगे।

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी एक स्मारिका का प्रकाशन किया जाएगा, जिसके संपादक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक श्री सुनील कुमार बास्की होंगे। सहयोग हेतु "दिशोम गोडेत" के प्रधान संपादक विलियम हांसदा, संपादक कृष्ण कुमार मुर्मू, सिकंदर टुडू, प्रो. प्रदीनाथ हांसदा, प्रधानाचार्य देवेन्द्र मरांडी, कृष्णा टुडू और बीरेंद्र नाथ हांसदा के नाम प्रस्तावित किए गए हैं।

आयोजन समिति के कार्यकारिणी सदस्य:
निशापति हांसदा, रामलाल मरांडी, जिला परिषद सदस्य जिमोली बास्की, मंगल सोरेन, अर्जुन सोरेन एवं नीतू मुर्मू।

बैठक में पूर्व आयोजनों की समीक्षा करते हुए शौचालय व्यवस्था, वाहन पार्किंग, ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं पर विशेष चर्चा की गई एवं समाधान हेतु सुझाव लिए गए।

दिनांक: 20 जुलाई 2025स्थान: पहाड़पुर, टुंडी प्रखंड (धनबाद)वन अधिकार कानून के तहत पहाड़पुर गांव में सामुदायिक वन भूमि का ...
20/07/2025

दिनांक: 20 जुलाई 2025
स्थान: पहाड़पुर, टुंडी प्रखंड (धनबाद)

वन अधिकार कानून के तहत पहाड़पुर गांव में सामुदायिक वन भूमि का भौतिक सत्यापन, ग्राम सभा ने किया सीमांकन

टुंडी प्रखंड के बरवाटाँड़ पंचायत अंतर्गत पहाड़पुर गांव में वन अधिकार अधिनियम 2006, नियम 2008 एवं संशोधित नियम 2012 के प्रावधानों के तहत वन अधिकार समिति, पहाड़पुर द्वारा धारा 12(1) एवं 12क(1) के अंतर्गत सामुदायिक वन अधिकार (CFR) एवं सामुदायिक वन संसाधनों पर भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया सम्पन्न की गई।

समिति द्वारा राजस्व विभाग एवं वन विभाग को लिखित सूचना देकर अधिकारियों की उपस्थिति में यह प्रक्रिया आरंभ की गई। इस क्रम में ग्राम सभा, पहाड़पुर ने वन भूमि पर स्थित 'जाहेर थान' का निरीक्षण किया एवं गांव की सीमा के भीतर समस्त वन क्षेत्र का सीमांकन करते हुए संरक्षण, संवर्धन, प्रबंधन और विपणन का अधिकार सुनिश्चित करने हेतु दस्तावेजी कार्रवाई पूर्ण की।

इस ऐतिहासिक प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण एवं प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:

👉 रमेश टूडू (केंद्रीय सदस्य, झामुमो),
👉 रतिलाल टूडू (वरिष्ठ नेता, झामुमो),
👉 सनातन सोरेन (केंद्रीय अध्यक्ष, सोनोत संथाल समाज),
👉 गुरुचरण बास्की (जिला परिषद प्रतिनिधि),
👉 चंदन कुमार (मास्टर ट्रेनर),
👉 लखिन्द्र हंसदा,
👉 जियालाल हांसदा (समाजसेवी),
👉 पड़ोसी गांवों के वार्ड सदस्य,
👉 वन अधिकार समिति के प्रतिनिधि,
👉 गांव के बुजुर्ग,
👉 पारंपरिक ग्राम नेतृत्व – मांझी हाड़ाम, नायके, जोक मांझी, परानिक,
👉 ग्राम सभा के सैकड़ों महिला एवं पुरुष।

इस कार्यक्रम में राजस्व एवं कल्याण विभाग के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे, जिन्होंने समिति के प्रयासों की सराहना की और आवश्यक सहयोग का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गांव के मांझी हाड़ाम श्री रुबिलाल हांसदा ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन वन अधिकार समिति के सचिव महेन्द्र हांसदा ने किया।

यह पहल ग्रामवासियों की वन अधिकारों के प्रति जागरूकता, स्वशासन की भावना, तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के संकल्प को दर्शाता है।

विश्व आदिवासी दिवस की तैयारी को लेकर पेटरवार में हुई जिला स्तरीय बैठकपेटरवार: 9 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले विश्व आदिवा...
20/07/2025

विश्व आदिवासी दिवस की तैयारी को लेकर पेटरवार में हुई जिला स्तरीय बैठक

पेटरवार: 9 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस की तैयारियों को लेकर आदिवासी बालक छात्रावास, पेटरवार परिसर में दिनांक 20 जुलाई 2025 को एक जिला स्तरीय बैठक आयोजित की गई। यह बैठक आदिवासी छात्रावास की पहल पर आयोजित की गई, जिसमें जिले भर के आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी, समाजसेवी, शिक्षक, इंजीनियर, वकील, और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैठक की अध्यक्षता रमेश मुर्मू ने की एवं संचालन बीरेंद्र किस्कू ने किया। बैठक में पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस को और भी अधिक भव्यता एवं उत्साहपूर्वक मनाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

बैठक में विशेष रूप से उपस्थित रहे:
👉 लोबिन मुर्मू (सचिव, अंतरराष्ट्रीय लुगू बुरु घंटाबड़ी),
👉 अर्जुन हेंब्रम (समाजसेवी),
👉 शिवचरण सोरेन (वकील),
👉 रामकृष्ण सोरेन (सिविल इंजीनियर),
👉 अरविंद मुर्मू (मुखिया, उल्गाड़ा पंचायत),
👉 कार्तिक बेदया (शिक्षक),
👉 हीरालाल भोक्ता (जिला अध्यक्ष, भोक्ता समाज),
👉 देवप्रसाद मरांडी (सिविल कोर्ट),
👉 पीतांबर बेसरा (पूर्व अध्यक्ष, छात्रावास),
👉 रविशन मांझी (जिला अध्यक्ष, आदिवासी छात्रसंघ),
👉 रमेश मुर्मू (जिला सचिव, ACS बोकारो),
👉 भोला (भोक्ता समाज), बिहार टुडू, आनंद टुडू, रामप्रसाद हेंब्रम (CCL कथारा), जीतराम मुर्मू (वन विभाग), महेंद्र किस्कू, संतोष हांसदा (मायापुर), रामू सोरेन, वीरेंद्र किस्कू, सुरेंद्र बेसरा, अनिल मुर्मू, छोटन मरांडी, बाबूलाल हेंब्रम, रोबिन किस्कू, सुनील बास्के, प्रेम मुर्मू, विकास बेदया, डब्लू बेदिया, सुधीर बेसरा, कृष्ण सोरेन, वीरेंद्र मुर्मू, किशन नाथ सोरेन, मणिलाल किस्कू, नितेश किस्कू, राजकुमार बेसरा, पुराण मरांडी, देवचंद हेंब्रम, अनिल सोरेन, सुनील किस्कू, रमेश किस्कू, सुनील मरांडी, शेखर हेंब्रम, सहदेव मुर्मू, निखिल सोरेन, सुखदेव हेंब्रम, काली प्रसाद सोरेन, वकील बास्के, संतोष हांसदा, आलोक मरांडी, नरेश टुडू, सुरेश टुडू, कपिलेश्वर टुडू, सूर्यकांत सोरेन।

बैठक में सभी उपस्थित लोगों ने इस वर्ष कार्यक्रम को सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामाजिक संदेश के साथ अधिक व्यापक स्तर पर आयोजित करने के लिए सुझाव दिए।

अगली बैठक की तिथि 27 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है ।

सिद्धू-कान्हू मुर्मू का 170वां हुल दिवस श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाया गयाचंद्रपुरा में ऐतिहासिक जुलूस और जनसभा के माध्यम...
30/06/2025

सिद्धू-कान्हू मुर्मू का 170वां हुल दिवस श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाया गया

चंद्रपुरा में ऐतिहासिक जुलूस और जनसभा के माध्यम से गूंजा आदिवासी अस्मिता का स्वर

चंद्रपुरा, 30 जून 2025 ( बोकरो )–
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक गौरवशाली अध्याय हुल विद्रोह की 170वीं वर्षगांठ के अवसर पर सिद्धू-कान्हू मुर्मू चौक, चंद्रपुरा में हुल दिवस को अत्यंत गरिमापूर्ण एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में मनाया गया। यह आयोजन आदिवासी सामाजिक सुरक्षा समिति, चंद्रपुरा के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ, जिसमें आदिवासी विकास मंच, सरहुल पूजा समिति चंद्रपुरा एवं सरहुल पूजा समिति दुगदा ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

ऐतिहासिक मार्ग से गुजरा जुलूस

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, सिद्धू-कान्हू मुर्मू चौक से एक विशाल जुलूस निकाला गया, जो बिनोद बिहारी महतो चौक दुगदा, दुगदा कॉलोनी, महावीर चौक रटारी, स्टेशन रोड, चंद्रपुरा स्टेशन होते हुए निमिया मोड़ और फिर बाबा शहीद तिलका मांझी हॉस्पिटल पहुँचा। वहाँ शहीद तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। जुलूस पुनः चौक लौटा, जहाँ सिद्धू-कान्हू मुर्मू की प्रतिमाओं पर भी माल्यार्पण कर श्रद्धा अर्पित की गई।

जनसभा में आदिवासी चेतना की बुलंद आवाज

इसके पश्चात चौक परिसर में आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने सिद्धू-कान्हू मुर्मू, चांद-भैरव मुर्मू, और फूलो-झानो मुर्मू के बलिदान को याद किया। वक्ताओं ने आदिवासी समाज पर हो रहे वर्तमान शोषण, अशिक्षा, अन्याय और विस्थापन जैसे मुद्दों को रेखांकित करते हुए आज के संदर्भ में नव-हुल की आवश्यकता पर बल दिया।

सभा में वक्तव्य रहा —

"आज यदि आदिवासी समाज को अपने अस्तित्व और अधिकार की रक्षा करनी है, तो उसे हुल की भावना के साथ संगठित होकर संघर्ष करना होगा।"

संगठनों और जनप्रतिनिधियों की सशक्त भागीदारी

इस आयोजन की अध्यक्षता आदिवासी सामाजिक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष श्री अनिल मुर्मू ने की।
मुख्य सहयोगियों में

श्री लाल जी बास्के, आदिवासी विकास मंच, चंद्रपुरा

श्री दुखन मुर्मू, अध्यक्ष, सरहुल पूजा समिति, दुगदा

श्री अजय सोरेन, अध्यक्ष, सरहुल पूजा समिति, चंद्रपुरा

के साथ-साथ क्षेत्र के अनेक मांझी बाबा, पराणिक, सामाजिक प्रतिनिधि, महिलाएं एवं युवा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

:🏹 170वां हुल दिवस की तैयारी जोरों पर – सिद्धू-कान्हू चौक में सजावट और रंग-रोगन का कार्य अंतिम चरण में 🏹📍 चंद्रपुरा ( बो...
26/06/2025

:
🏹 170वां हुल दिवस की तैयारी जोरों पर – सिद्धू-कान्हू चौक में सजावट और रंग-रोगन का कार्य अंतिम चरण में 🏹
📍 चंद्रपुरा ( बोकारो ), 26 जून 2025 —
देश भर में 30 जून को श्रद्धा और गर्व के साथ मनाया जाने वाला हुल दिवस, जिसे संथाल विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष 170वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार और भव्य बनाने के लिए सिद्धू-कान्हू मुर्मू चौक, चंद्रपुरा को विशेष रूप से सजाया जा रहा है।
चौक की सफाई, सजावट और भव्य रंग-रोगन का कार्य पूरे उत्साह के साथ किया जा रहा है। शहीद सिद्धू और कान्हू मुर्मू की प्रतिमाओं को नये रंगों से सजाया गया है, जिससे पूरा चौक एक नई चेतना और ऊर्जा से ओत-प्रोत नज़र आ रहा है।
🎯 आयोजन का नेतृत्व
इस गरिमामयी आयोजन की कमान आदिवासी सामाजिक सुरक्षा समिति, चंद्रपुरा ने संभाली है। उनके साथ आदिवासी विकास मंच, सरहुल पूजा समिति चंद्रपुरा एवं सरहुल पूजा समिति दुगदा जैसे सक्रिय संगठनों का सहयोग आयोजन को सशक्त आधार दे रहा है।
🗣️ समिति अध्यक्ष की अपील
समिति के अध्यक्ष श्री अनिल मुर्मू ने बताया —
“हुल दिवस हमारे गौरवशाली इतिहास और संघर्ष की पहचान है। सिद्धू-कान्हू मुर्मू , चांद - भैरव मुर्मू और फूलो - झानो मुर्मू जैसे वीरों ने हमारी अस्मिता की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह आयोजन हमारे पूर्वजों को सम्मान देने का एक पवित्र प्रयास है।”
🎉 कार्यक्रम की झलकियाँ
इस दिन को और भी प्रभावशाली बनाने हेतु विभिन्न सांस्कृतिक और जन-जागृति कार्यक्रम प्रस्तावित हैं:
• रैली का आयोजन
• सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
• सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पण
• आदिवासी परंपराओं का प्रदर्शन
🎗️ जनभागीदारी की अपील
स्थानीय प्रशासन और जनसामान्य से अपील की गई है कि वे इस ऐतिहासिक आयोजन में पूरे उत्साह के साथ भाग लें और वीर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दें।
आइए, हम सब मिलकर उनके संघर्ष और आदर्शों को आत्मसात करें।
✊ हुल जोहार! वीरों को नमन! ✊

जब तक सरना धर्म कोड नहीं, तब तक जातीय जनगणना नहीं — बोकारो में झामुमो का जोरदार धरना प्रदर्शन ।बोकारो, 27 मई:झारखंड में ...
27/05/2025

जब तक सरना धर्म कोड नहीं, तब तक जातीय जनगणना नहीं — बोकारो में झामुमो का जोरदार धरना प्रदर्शन ।

बोकारो, 27 मई:
झारखंड में सरना धर्म कोड/आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर जनभावना दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है। इसी क्रम में सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा बोकारो जिला मुख्यालय में एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस धरना में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं, आदिवासी संगठनों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों का स्पष्ट कहना था कि "जब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी जाती, तब तक जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए।"
धरना स्थल पर जोरदार नारों और जनसभाओं के माध्यम से यह संदेश केंद्र सरकार को दिया गया कि यदि जल्द से जल्द कोड को मान्यता नहीं दी गई, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

झामुमो नेताओं ने कहा कि झारखंड सरकार ने सरना धर्म कोड विधेयक को विधानसभा से पारित कर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज दिया था। लेकिन करीब पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार आदिवासियों की आस्था और पहचान को नजरअंदाज कर रही है।

धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासी समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है। इसे जनगणना में शामिल न करना, उनकी अस्मिता और अधिकारों पर कुठाराघात के समान है।

कार्यक्रम के अंत में एक ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह मांग दोहराई गई कि सरना धर्म कोड को जल्द से जल्द मान्यता दी जाए। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो झामुमो सड़क से संसद तक आंदोलन को और तेज करेगा।

दिशोम जाहेर सेवा ट्रस्ट, बोकारो का प्रतिनिधिमंडल काडरूखुटा पहुँचा – पीड़ितों को दिया ढाढ़स, जताई संवेदनाबोकारो 26 मई 202...
26/05/2025

दिशोम जाहेर सेवा ट्रस्ट, बोकारो का प्रतिनिधिमंडल काडरूखुटा पहुँचा – पीड़ितों को दिया ढाढ़स, जताई संवेदना

बोकारो 26 मई 2025:
हाल ही में अंचल नवाडीह, काडरूखुटा में हुई दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। इस पीड़ादायक समय में, बोकारो स्थित दिशोम जाहेर सेवा ट्रस्ट ने सामाजिक सरोकार का परिचय देते हुए एक प्रतिनिधिमंडल पीड़िता, पीड़ित परिवार एवं स्थानीय ग्रामीणों से मिलने भेजा।
यह प्रतिनिधिमंडल दिनांक 26/05/2025, को घटनास्थल पहुँचा और पूरे समुदाय को ढाढ़स, साहस और संबल प्रदान किया।

प्रतिनिधिमंडल में ट्रस्ट के कई वरीय सदस्य, शिक्षाविद, समाजसेवी और सेवानिवृत्त पदाधिकारी शामिल रहे, जिनके नाम इस प्रकार हैं:

श्रीमती सुनीता टुडू – जिला परिषद सदस्य सह समाजसेवी

श्रीमती नुनीबाला सोरेन

श्रीमती देवला टुडू

श्री शंकर टुडू

श्री महावीर सोरेन

श्री सुनील कुमार टुडू – शिक्षक सह दिशोम जोगमांझी

श्री दिनेश्वर मरांडी

श्री फागु मुर्मू

श्री सरकार मुर्मू

प्रतिनिधियों ने पीड़ित परिवार से मिलकर उनकी पीड़ा को साझा किया और उन्हें हरसंभव सहयोग देने का भरोसा दिलाया। ट्रस्ट ने प्रशासन से इस मामले की त्वरित जांच ।

गांववासियों ने ट्रस्ट के इस सहयोगात्मक एवं मानवीय कदम की सराहना की और कहा कि इस कठिन समय में ऐसा साथ ही सच्ची संवेदनशीलता को दर्शाता है।

दिशोम जाहेर सेवा ट्रस्ट का यह प्रयास केवल एक सामाजिक कर्तव्य नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है कि दुख की घड़ी में हम सबको साथ खड़ा होना चाहिए

खराब मौसम और बूंदाबांदी के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली  की  सदस्य श्रीमती आशा लाकड़ा  ने किया कडरुखूटा  गा...
26/05/2025

खराब मौसम और बूंदाबांदी के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली की सदस्य श्रीमती आशा लाकड़ा ने किया कडरुखूटा गांव का दौरा !

बोकारो, झारखंड — खराब मौसम और रुक-रुक कर हो रही बूंदाबांदी के बीच भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी), नई दिल्ली की सदस्य श्रीमती आशा लाकड़ा ने बोकारो जिला अंतर्गत नावाडीह प्रखंड के नारायणपुर के कडरूखुटा गांव का दौरा किया।

यह दौरा हाल ही में घटित एक संवेदनशील घटना के संदर्भ में किया गया, जिसमें अब्दुल कलाम नामक अभियुक्त द्वारा एक आदिवासी महिला के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार के प्रयास का मामला सामने आया था। श्रीमती लाकड़ा ने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया।

इस अवसर पर बोकारो के निवर्तमान विधायक श्री बिरची नारायण, आदिवासी नेता श्री फुलचंद किस्कु सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। सभी ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

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