24/11/2025
गेरुआ तिलक का महत्व...
गेरुआ तिलक मुख्य रूप से गेरू (लाल-भूरी मिट्टी) से बनता है। इसमें प्राकृतिक खनिज रंग भी मिलाए जाते हैं।
गेरुआ तिलक केवल एक रंग नहीं यह त्याग, साधना, शक्ति, विनम्रता, पवित्रता और आत्मज्ञान का गहरा आध्यात्मिक संदेश है।
अग्नि और शक्ति का संकेत...
गेरुआ अग्नि का प्रतीक माना जाता है। अग्नि पुराने को जलाकर नया जन्म देती है। उसी प्रकार गेरुआ तिलक धारण करने का अर्थ है मन की नकारात्मकता, पाप और अशुद्धियों को जलाकर आत्मशक्ति को प्रज्वलित करना।
साधु–संतों की पहचान...
सन्यासियों, तपस्वियों और साधुओं का प्रमुख चिन्ह गेरुआ तिलक है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति ने जीवन को धर्म, साधना और सेवा को समर्पित कर दिया है।
यह तिलक उनके जीवन की दिशा “लोक कल्याण और आत्मज्ञान” को प्रकट करता है।
मन की स्थिरता और आध्यात्मिकता...
गेरुआ तिलक माथे (आज्ञा चक्र) पर लगाया जाता है, जो एकाग्रता, आत्मबोध और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है।
यह तिलक मन को अनावश्यक विचारों से मुक्त कर ध्यान, भक्ति और साधना में स्थिर करता है।
पृथ्वी से जुड़ाव का भाव...
गेरुआ रंग मिट्टी और प्रकृति से जुड़ा होता है, इसलिए यह तिलक व्यक्ति को विनम्रता, स्थिरता और धरातलीय संतुलन देता है।
यह संदेश भी देता है कि मनुष्य चाहे जितना ऊँचा क्यों न पहुँचे, उसकी जड़ें धरती में ही हैं।
त्याग और वैराग्य का रंग...
गेरुआ रंग हिंदू सनातन परंपरा में त्याग, सरलता और वैराग्य का प्रतीक है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति संसारिक आकर्षण, लोभ और अहंकार से दूर रहने का संकल्प लेता है। यह मन को साधना और आत्मविकास की दिशा में प्रेरित करता है।
साहस और धैर्य का प्रतीक...
गेरुआ रंग युद्धक्षेत्र में वीरता और संकल्प का भी प्रतीक रहा है।
इसलिए तिलक व्यक्ति को भीतर से साहस, धैर्य और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
पवित्रता और धार्मिक अनुशासन...
इस तिलक का उपयोग पूजा, व्रत, अनुष्ठान और पर्वों पर शुभ माना जाता है।
यह शरीर और मन दोनों को पवित्र करता है और व्यक्ति को धार्मिक अनुशासन में रखने की प्रेरणा देता है।
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा...
गेरुआ तिलक को कई परंपराओं में ऊर्जा-रक्षा कवच भी माना जाता है।
यह नज़र, ईर्ष्या और नकारात्मक भावनाओं से बचाने का एक आध्यात्मिक संकेतक है।