
08/10/2024
नीले और गहरे समुंदर के तल में, जहाँ सूरज की किरणें मुश्किल से पहुँच पाती थीं, वहाँ एक रहस्यमयी राज्य बसा हुआ था। इसे **स्वर्णलोक** कहा जाता था, क्योंकि यहाँ सोने का कोई अंत नहीं था। इस अद्भुत राज्य की दीवारें, स्तंभ, और यहां तक कि राजा का सिंहासन भी शुद्ध सोने से बना था।
स्वर्णलोक के प्रवेश द्वार पर दो विशाल सोने की मूर्तियाँ खड़ी थीं, जिनके चेहरे पर गंभीरता और शक्ति का भाव था। जैसे ही कोई इस राज्य में प्रवेश करता, वह एक अद्वितीय दृश्य से सम्मोहित हो जाता। चारों ओर सोने के चमकते स्तंभ खड़े थे, जिनकी ऊँचाई आकाश को छूने जैसी प्रतीत होती थी। इन स्तंभों के बीच विशाल स्वर्णिम मूर्तियाँ थीं, जो प्राचीन योद्धाओं की कहानियाँ बयां करती थीं।
यहाँ के जल में विशेष प्रकार की जलकुंभी और रंग-बिरंगे समुद्री पौधे उगते थे। यह पौधे अपने आप में जीवन की अद्वितीय चमक रखते थे, मानो सोने की चट्टानों से पोषित हो रहे हों। चारों ओर तैरते अनोखे समुद्री जीव थे, जिनकी त्वचा पर सुनहरी आभा थी। यहाँ के मछली और समुद्री कछुए इतने अद्वितीय थे कि उनकी आँखों में सोने जैसी चमक दिखाई देती थी।
सिंहासन के पास एक विशाल कुंड था, जो पूरी तरह से सोने के सिक्कों से भरा हुआ था। पानी की धीमी लहरें जब इन सिक्कों से टकरातीं, तो एक मधुर संगीत सा गूंज उठता था। यह ध्वनि पूरे स्वर्णलोक में फैल जाती और उसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती थी।
हालाँकि स्वर्णलोक की यह दुनिया जितनी सुंदर थी, उतनी ही रहस्यमयी भी। इसके पीछे की कहानियाँ आज भी गहरे समुंदर में छिपी हुई थीं। यहाँ के निवासी कभी-कभी दिखते, तो कभी रहस्यमय अंधेरे में विलीन हो जाते। इनकी चमकती आँखों में गहरे रहस्य थे, और उनके चेहरे पर गूढ़ मुस्कान।
समुद्र की गहराइयों में एक जगह थी जहाँ रोशनी मंद पड़ जाती थी, और अंधेरा बढ़ने लगता था। यही अंधेरा स्वर्णलोक का सबसे बड़ा रहस्य था। कहते हैं कि इस अंधेरे के भीतर छिपी हुई थी एक शक्ति, जो इस सोने को संचालित करती थी। जो भी इस शक्ति को जानना चाहता, वह रहस्यमय तरीके से गायब हो जाता।
स्वर्णलोक की यह कहानी समुद्र की लहरों के साथ बहती है, और हर यात्री जो इसे ढूंढने की कोशिश करता है, वह खुद रहस्य का हिस्सा बन जाता है।
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