Avinash Pareek

Avinash Pareek जिंदगी एक अनमोल अमृत है,
ये बार बार नही मिलता है!
इसे व्यर्थ न करे।।

09/07/2024

लड़कियों के एक विद्यालय में आई नई अध्यापिका बहुत खूबसूरत थी, बस उम्र थोड़ी अधिक हो रही थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी...

सभी छात्राएं उसे देखकर तरह तरह के अनुमान लगाया करती थीं। एक दिन किसी कार्यक्रम के दौरान जब छात्राएं उसके इर्द-गिर्द खड़ी थीं तो एक छात्रा ने बातों बातों में ही उससे पूछ लिया कि मैडम आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की...?

अध्यापिका ने कहा- "पहले एक कहानी सुनाती हूं। एक महिला को बेटे होने की लालच में लगातार पांच बेटियां ही पैदा होती रहीं। जब छठवीं बार वह गर्भवती हुई तो पति ने उसको धमकी दी कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो उस बेटी को बाहर किसी सड़क या चौक पर फेंक आऊंगा। महिला अकेले में रोती हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी, क्योंकि यह उसके वश की बात नहीं थी कि अपनी इच्छानुसार बेटा पैदा कर देती। इस बार भी बेटी ही पैदा हुई। पति ने नवजात बेटी को उठाया और रात के अंधेरे में शहर के बीचों-बीच चौक पर रख आया। मां पूरी रात उस नन्हीं सी जान के लिए रो रोकर दुआ करती रही। दूसरे दिन सुबह पिता जब चौक पर बेटी को देखने पहुंचा तो देखा कि बच्ची वहीं पड़ी है। उसे जीवित रखने के लिए बाप बेटी को वापस घर लाया लेकिन दूसरी रात फिर बेटी को उसी चौक पर रख आया। रोज़​ यही होता रहा। हर बार पिता उस नवजात बेटी को बाहर रख आता और जब कोई उसे लेकर नहीं जाता तो मजबूरन वापस उठा लाता। यहां तक कि उसका पिता एक दिन थक गया और भगवान की इच्छा समझकर शांत हो गया। फिर एक वर्ष बाद मां जब फिर से गर्भवती हुई तो इस बार उनको बेटा हुआ। लेकिन कुछ ही दिन बाद ही छह बेटियों में से एक बेटी की मौत हो गई, यहां तक कि माँ पांच बार गर्भवती हुई और हर बार बेटे ही हुए। लेकिन हर बार उसकी बेटियों में से एक बेटी इस दुनियां से चली जाती।"

अध्यापिका की आंखों से आंसू गिरने लगे थे। उसने आंसू पोंछकर आगे कहना शुरु किया।

"अब सिर्फ एक ही बेटी ज़िंदा बची थी और वह वही बेटी थी, जिससे बाप जान छुड़ाना चाह रहा था। एक दिन अचानक मां भी इस दुनियां से चली गई। इधर पांच बेटे और एक बेटी सब धीरे धीरे बड़े हो गए।"

अध्यापक ने फिर कहा- "पता है वह बेटी जो ज़िंदा बची रही, मैं ही हूं। मैंने अभी तक शादी इसलिए नहीं की, कि मेरे पिता अब इतने बूढ़े हो गए हैं कि अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते और अब घर में और कोई नहीं है जो उनकी सेवा कर सकें। बस मैं ही उनकी सेवा और देखभाल किया करती हूं। जिन बेटों के लिए पिताजी परेशान थे, वो पांच बेटे अपनी अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ अलग रहते हैं। बस कभी-कभी आकर पिता का हालचाल पूछ जाते हैं।"

वह थोड़ा मुस्कराई। फिर बोली -

"मेरे पिताजी अब हर दिन शर्मिंदगी के साथ रो-रो कर मुझ से कहा करते हैं, मेरी प्यारी बेटी जो कुछ मैंने बचपन में तेरे साथ किया उसके लिए मुझे माफ कर देना।"

दोस्तों, बेटी की बाप से मुहब्बत के बारे में एक प्यारा सा किस्सा यह भी है कि एक पिता बेटे के साथ खेल रहा था। बेटे का हौंसला बढ़ाने के लिए वह जान बूझ कर हार जा रहा था। दूर बैठी बेटी बाप की हार बर्दाश्त ना कर सकी और बाप के साथ लिपटकर रोते हुए बोली- "पापा ! आप मेरे साथ खेलिए, ताकि मैं आपकी जीत के लिए हार सकूँ।"

ऐसी होती हैं बेटियां!

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Celebrating my 1st year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉
04/05/2024

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 #बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।घर घर नीम लगाइये,यही पुरातन साँच।।यही पुरातन साँच,- आज सब मान रहे हैं।भाग जाय प्रदूषण ...
04/05/2024

#बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।
घर घर नीम लगाइये,यही पुरातन साँच।।

यही पुरातन साँच,- आज सब मान रहे हैं।
भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ।

विश्वताप मिट जाये होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं- नीम पीपल और बरगद।।

आप को लगेगा अजीब बकवास है , किन्तु यह सत्य है.. .

पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है,

पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %

इसके बदले लोगो ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया , जो जमीन को जल विहीन कर देता है,

आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है,

अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही,
और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही,

हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें,
तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा...

वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए...

पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है
जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।

वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है।
इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।

अब करने योग्य कार्य....

इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें....

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया..उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और ब...
06/04/2024

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया..
उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..
जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा..
पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा..
पर experimenters यहीं नहीं रुके,
उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया..
बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए..
पर वे कब तक बैठे रहते,
कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया..
और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा..
अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया..
और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी..
एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए...
थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ..
बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया,
ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..
अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की..
अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया..
नया बन्दर वहां के rules क्या जाने..
वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका..
पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी..
उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे..
ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं..
इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया..
इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था..
जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था..
पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह ही था..
वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते..
Friends, हमारी society में भी ये behaviour देखा जा सकता है..
जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है,
चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं..
उसे failure का डर दिखाया जाता है..
और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..
इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आस पास के लोगों का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये..
अपने logic और guts की सुनिए..
ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..
और बढ़ते रहिये..
कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए..

25/03/2024

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिश उनकी ही राह पर वापिश आना पड़ रहा है।

1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।

2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।

3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।

4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना ।

5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।

6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।

7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।

8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....

9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना।

इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।

🚩जय हिंद जय भारत🚩

बेटी का भाग्य.....!!"भगवान क्या लिख रहे हो, इतनी देर से?"देवदूत ने सृष्टि के निर्माता के कक्ष में आते हुवे कहा।भगवान् ने...
29/02/2024

बेटी का भाग्य.....!!

"भगवान क्या लिख रहे हो, इतनी देर से?"
देवदूत ने सृष्टि के निर्माता के कक्ष में आते हुवे कहा।

भगवान् ने उसकी तरफ ध्यान दिए बगैर लिखना चालू
रखा।

देवदूत ने कहा:- "सो जाइये भगवान् कई दिनों से आपने
तनिक भी विश्राम नहीं किया, क्या लिख
रहे है
आप?"

भगवान् :- "भाग्य"

देवदूत :- "किसका?"

भगवान :- "है एक गाव की लड़की,
अभी कुछ
ही महीनो में उसका जन्म होगा,
उसी का भाग्य
लिख रहा हुँ।"

देवदूत ने हंस कर कहा :- "गाव
की लड़की उसका क्या भाग्य?"

भगवान् ने क्रोधित होते हुवे कहा :- "ये आम
बेटी नहीं है,
इसका भाग्य मेने खुद लिखा है।"

देवदूत ने कहा :- "ऐसा क्या भाग्य है इसका?

भगवान् :- "ये लड़की बहुत पढेगी।"

देवदूत ने कटाक्ष में कहा :- "गांव में इसे कौन पढने देगा?"

भगवान् :- "ये खुद अपनी महेनत से
पढेगी और अपने गाव
का नाम रोशन करेगी।
अपने गांव की ये
एकलौती पढ़ी-
लिखी लड़की पुरे गाव
में क्रांति लाएगी, पुरे समाज को सुधारेगी।
देखना फिर उस गाव में कोई कम पढ़ा-लिखा न होगा।
देश में बड़े-बड़े लोग इसके इस कार्य से प्रभावित होंगे।
उसे उसके कार्य के लिए पुरस्कार दिया जायेगा।
वो अपने माँ-बाप का नाम रोशन करेगी, समझो ये
साक्षात लक्ष्मी होगी।
अपने माँ-बाप के सभी दुःख वो दूर करेगी।
एक झोपड़े से वो उन्हें महलों तक ले जायेगी।"

देवदूत ने कहा :- "पर क्या काम का,
लड़की तो पराया धन होती है.?
एक दिन ससुराल चली जायेगी, फिर?"

भगवान ने कहा :- "ना, ना ये
लड़की शादी के बाद
भी अपने माँ-बाप को संभालेगी।
अरे जिस दिन इसका भाई इसके माँ-बाप को घर से
निकालेगा उस दिन
यही बेटी उनका सहारा बनेगी।
उन्हें किसी बात का दुःख होने
नहीं देगी।"

अचानक भगवान बोलते-बोलते रुक गए।
उनकी छाती में पीड़ा होने
लगी।

देवदूत ने उन्हें संभाला और कहा:- "क्या हुवा भगवान?"

भगवान् की आँखों में आसू थे :-
"मेरी सारी मेहनत
पानी में गई देवदूत!"

देवदूत :- "क्या हुवा?"

भगवान :- "अब वो बेटी जन्म
नहीं लेगी"

देवदूत:- "क्यों भगवान्?"

भगवान :- "उसकी माँ ने उसे जन्म देने से पहले
ही मार
डाला"

देवदूत बुरी तरह चीखा :- "क्यों..........?

भगवान :- "सुनो.... उनकी आवाज... उन
दुष्टों की आवाज....वो कहते है उन्हें
बेटी नहीं बेटा चाहिए, बेटा चाहिए।
देवदूत ये लोग क्यों एसा करते है, क्यों बेटियों को जन्म
लेने से पहेले ही मार देते है....क्यों देवदूत क्यों?

देवदूत चुप-चाप भगवान के आँसुओ से कागज पे लिखे
बेटी के भाग्य को बहता देख रहा था।

बंद दुकान के बाहर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना ख...
08/02/2024

बंद दुकान के बाहर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना खुश होने की वजह पूछी...?

एक बूढ़े ने बामुश्किल अपनी हंसी पर काबू पाते हुए कहा "हमारे पास इस देश की समस्याओं को हल करने की एक शानदार योजना है, और वह योजना यह है कि सारी प्रजा को जेल में डाल दिया जाए और उन सबके साथ एक गधा भी जेल में डाला जाए।"

राहगीर ने हैरत से दोनों को देखा और पूछा "उन सबके साथ एक गधे को क्यों कैद किया जाए...?

दोनों बूढ़े और ज़ोर-ज़ोर से हंसे, एक दूसरे को देखा और एक बूढ़े ने दूसरे से कहा "देखा रामु !! आ गया ना यकीन तुझे मेरी बात पर, मैं कहता था ना कि, जनता के बारे में कोई भी नहीं पूछेगा...!

सब गधे की ही फ़िक्र करेंगे...!!😄🤣

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=329936073370149&id=100090612772643&sfnsn=wiwspwa&mibextid=RUbZ1f
07/02/2024

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स्त्रियां...
बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,
बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,
फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है
और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।

स्त्रियां...
किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।
वही दही जमाती घी बनाती है
और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???

स्त्रियां...
बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।
और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???

स्त्रियां...
बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,
बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि
दिनभर से क्या कर रही थी ???

स्त्रियां...
कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,
फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।

स्त्रियां...
बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,
घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,
फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।

स्त्रियां...
दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,
मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,
बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,
थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,
मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।

पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार करती है... मुझे सही लगा तो शेयर किया आपको यदि लगे तो आप भी शेयर कर सकते हैं।

स्त्रियां...बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रह...
07/02/2024

स्त्रियां...
बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,
बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,
फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है
और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।

स्त्रियां...
किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।
वही दही जमाती घी बनाती है
और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???

स्त्रियां...
बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।
और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???

स्त्रियां...
बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,
बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि
दिनभर से क्या कर रही थी ???

स्त्रियां...
कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को दिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,
फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।

स्त्रियां...
बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,
घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,
फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।

स्त्रियां...
दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,
मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,
बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,
थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,
मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।

पर स्त्रियां फिर भी तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार करती है... मुझे सही लगा तो शेयर किया आपको यदि लगे तो आप भी शेयर कर सकते हैं।

03/12/2023

फर्स्ट राउंड में चोमू से कांग्रेस आगे

12/09/2023

गुस्से को नियंत्रित करने का एक सुंदर उदाहरण

एक वकील ने सुनाया हुआ एक ह्यदयस्पर्शी किस्सा

"मै अपने चेंबर में बैठा हुआ था, एक आदमी दनदनाता हुआ अन्दर घुसा
हाथ में कागज़ो का बंडल, धूप में काला हुआ चेहरा, बढ़ी हुई दाढ़ी, सफेद कपड़े जिनमें पांयचों के पास मिट्टी लगी थी

उसने कहा,

"उसके पूरे फ्लैट पर स्टे लगाना है
बताइए, क्या क्या कागज और चाहिए... क्या लगेगा खर्चा... "

मैंने उन्हें बैठने का कहा,

"रग्घू, पानी दे इधर" मैंने आवाज़ लगाई

वो कुर्सी पर बैठे

उनके सारे कागजात मैंने देखे
उनसे सारी जानकारी ली
आधा पौना घंटा गुजर गया
"मै इन कागज़ो को देख लेता हूं
आपकी केस पर विचार करेंगे
आप ऐसा कीजिए, बाबा, शनिवार को मिलिए मुझसे"

चार दिन बाद वो फिर से आए
वैसे ही कपड़े

बहुत डेस्परेट लग रहे थे

अपने भाई पर गुस्सा थे बहुत
मैंने उन्हें बैठने का कहा
वो बैठे
ऑफिस में अजीब सी खामोशी गूंज रही थी

मैंने बात की शुरवात की
" बाबा, मैंने आपके सारे पेपर्स देख लिए
आप दोनों भाई, एक बहन
मा बाप बचपन में ही गुजर गए
तुम नौवीं पास। छोटा भाई इंजिनियर
आपने कहा कि छोटे भाई की पढ़ाई के लिए आपने स्कूल छोड़ा
लोगो के खेतों में दिहाड़ी पर काम किया
कभी अंग भर कपड़ा और पेटभर खाना आपको मिला नहीं
पर भाई के पढ़ाई के लिए पैसा कम नहीं होने दिया।"

"एक बार खेलते खेलते भाई पर किसी बैल ने सींग घुसा दिए
लहूलुहान हो गया आपका भाई
फिर आप उसे कंधे पर उठा कर 5 किलोमीटर दूर अस्पताल लेे गए
सही देखा जाए तो आपकी उम्र भी नहीं थी ये समझने की, पर भाई में जान बसी थी आपकी
मा बाप के बाद मै ही इन का मा बाप… ये भावना थी आपके मन में"

"फिर आपका भाई इंजीनियरिंग में अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले पाया
आपका दिल खुशी से भरा हुआ था
फिर आपने मरे दम तक मेहनत की
80,000 की सालाना फीस भरने के लिए आपने रात दिन एक कर दिया
बीवी के गहने गिरवी रख के, कभी साहूकार कार से पैसा ले कर आपने उसकी हर जरूरत पूरी की"

"फिर अचानक उसे किडनी की तकलीफ शुरू हो गई
दवाखाने हुए, देवभगवान हुए, डॉक्टर ने किडनी निकालने का कहा
तुम ने अगले मिनट ने अपनी किडनी उसे दे दी
कहा कल तुझे अफसर बनना है, नोकरी करनी है, कहा कहा घूमेगा बीमार शरीर लेे के। मुझे गाव में ही रहना है, एक किडनी भी बस है मुझे
ये कह कर किडनी दे दी उसे।"

"फिर भाई मास्टर्स के लिए हॉस्टल पर रहने गया
लड्डू बने, देने जाओ, खेत में मकई खाने तयार हुई, भाई को देने जाओ, कोई तीज त्योहार हो, भाई को कपड़े करो
घर से हॉस्टल 25 किलोमीटर
तुम उसे डिब्बा देने साइकिल पर गए
हाथ का निवाला पहले भाई को खिलाया तुमने।"

"फिर वो मास्टर्स पास हुआ, तुमने गाव को खाना खिलाया
फिर उसने शादी कर ली
तुम सिर्फ समय पर वहा गए
उसी के कॉलेज की लड़की जो दिखने में एकदम सुंदर थी

भाई को नौकरी लगी, 3 साल पहले उसकी शादी हुई, अब तुम्हारा बोझ हल्का होने वाला था।"

"पर किसी की नज़र लग गई आपके इस प्यार को
शादी के बाद भाई ने आना बंद कर दिया। पूछा तो कहता है मैंने बीवी को वचन दिया है
घर पैसा देता नहीं, पूछा तो कहता है कर्ज़ा सिर पे है
पिछले साल शहर में फ्लैट खरीदा
पैसे कहा से आए पूछा तो कहता है कर्ज लिया है
मेंने मना किया तो कहता है भाई, तुझे कुछ नहीं मालूम, तू निरा गवार ही रह गया
अब तुम्हारा भाई चाहता है गांव की आधी खेती बेच कर उसे पैसा दे दे"

इतना कह के मै रुका
रग्घू ने लाई चाय की प्याली मैंने मुंह से लगाई

" तुम चाहते हो भाई ने जो मांगा वो उसे ना दे कर उसके ही फ्लैट पर स्टे लगाया जाए
क्या यही चाहते हो तुम"...

वो तुरंत बोला, "हां"

मैंने कहा,

" हम स्टे लेे सकते है
भाई के प्रॉपर्टी में हिस्सा भी मांग सकते है

पर….

तुमने उसके लिए जो खून पसीना एक किया है वो नहीं मिलेगा

तुमने दी हुई किडनी वापस नहीं मिलेगी,

तुमने उसके लिए जो ज़िन्दगी खर्च की है वो भी वापस नहीं मिलेगी

मुझे लगता है इन सब चीजो के सामने उस फ्लैट की कीमत शुन्य है
भाई की नीयत फिर गई, वो अपने रास्ते चला गया
अब तुम भी उसी कृतघ्न सड़क पर मत जाना"

"वो भिकारी निकला,

तुम दिलदार थे।

दिलदार ही रहो …..

तुम्हारा हाथ ऊपर था,

ऊपर ही रखो

कोर्ट कचेरी करने की बजाय बच्चो को पढ़ाओ लिखाओ

पढ़ाई कर के तुम्हारा भाई बिगड़ गया;

इस का मतलब बच्चे भी ऐसा करेंगे ये तो नहीं होता"

वो मेरे मुंह को ताकने लगा"
उठ के खड़ा हुआ, सब काग़ज़ात उठाए और आंखे पोछते हुए कहा,
"चलता हूं वकील साहब" उसकी रूलाई फुट रही थी और वो मुझे वो दिख ना जाए ऐसी कोशिश कर रहा था

इस बात को अरसा गुजर गया

कल वो अचानक मेरे ऑफिस में आया
कलमो में सफेदी झांक रही थी उसके। साथ में एक नौजवान था
हाथ में थैली

मैंने कहा, "बाबा, बैठो"

उसने कहा, "बैठने नहीं आया वकील साहब, मिठाई खिलाने आया हूं
ये मेरा बेटा, बैंगलोर रहता है, कल आया गांव
अब तीन मंजिला मकान बना लिया है वहा
थोड़ी थोड़ी कर के 10–12 एकड़ खेती खरीद ली अब"
मै उसके चेहरे से टपकते हुए खुशी को महसूस कर रहा था

"वकील साहब, आपने मुझे कहा, कोर्ट कचेरी के चक्कर में मत लगो
गांव में सब लोग मुझे भाई के खिलाफ उकसा रहे थे
मैंने उनकी नहीं, आपकी बात सुन ली
मैंने अपने बच्चो को लाइन से लगाया और भाई के पीछे अपनी ज़िंदगी बरबाद नहीं होने दी
कल भाई भी आ कर पाव छू के गया
माफ कर दे मुझे ऐसा कह गया"

मेरे हाथ का पेडा हाथ में ही रह गया
मेरे आंसू टपक ही गए आखिर. .. .

गुस्से को योग्य दिशा में मोड़ा जाए तो पछताने की जरूरत नहीं पड़े कभी

बहुत ही अच्छा है पर कोई समझे और अमल करे तब सफल हो...
मन...🙏

26/08/2023

अदभुत, केवल #हिंदी में ही है ऐसी विशेषता....!

एक बार एक कवि हलवाई की दुकान पहुँचे, जलेबी ली और वहीं खाने बैठ गये।
इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला....

हलवाई को बड़ा गुस्सा आया उसने पत्थर उठाया और कौए को दे मारा।
कौए की किस्मत ख़राब, पत्थर सीधे उसे लगा और वो मर गया....

ये घटना देख कर कवि हृदय जगा। वो जलेबी खाने के बाद पानी पीने पहुँचे तो उन्होंने एक कोयले के टुकड़े से वहाँ एक पंक्ति लिख दी।
"काग दही पर जान गँवायो"

तभी वहाँ एक लेखपाल महोदय, जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे, पानी पीने आए।
कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुँह से निकल पड़ा...

कितनी सही बात लिखी हैं ! क्योंकि उन्होंने उसे कुछ इस तरह पढ़ा :-
"कागद ही पर जान गँवायो"

तभी एक मजनू टाइप लड़का, पिटा-पिटाया सा वहाँ पानी पीने आया।
उसे भी लगा कितनी सच्ची बात लिखी हैं। काश उसे ये पहले पता होती, क्योंकि उसने उसे कुछ यूँ पढ़ा था :-
"का गदही पर जान गँवायो"

इसीलिए संत तुलसीदास जी ने बहुत पहले ही लिख दिया था :-

"जाकी रही भावना जैसी... प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"

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