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04/08/2025

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With All India money help  – I just got recognized as one of their top fans! 🎉
01/08/2025

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🙏🏻🙏🏻❣️सपने बड़े रखो, लेकिन कदम छोटे रखो। Good Afternoon❤️❤️
15/07/2025

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आज कृष्णा बहुत ही जल्दी में अपने कपड़ों की फैक्ट्री जाने की वजह पहले बैंक गया क्योंकि आज उसे अपने कर्मचारी को महीने का त...
15/07/2025

आज कृष्णा बहुत ही जल्दी में अपने कपड़ों की फैक्ट्री जाने की वजह पहले बैंक गया क्योंकि आज उसे अपने कर्मचारी को महीने का तनख्वाह देनी थी इसलिए उसने सोचा की सबसे पहले बैंक जाकर वहां से पैसे लेकर फिर फैक्ट्री जाएगा और अपने कर्मचारियों को उसका मेहताना देगा वैसे कपड़े की फैक्ट्री उनके पिताजी ने शुरू किया था लेकिन किसी बीमारी की वजह से उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण कृष्ण को महज 28 साल की उम्र में अपने पिता की छोड़ी हुई फैक्ट्री को और परिवार को संभालना पड़ा. कृष्ण के घर में उसकी मम्मी के अलावा उसकी एक छोटी बहन भी थी और वह तीनों बहुत ही सुखी और खुशी से अपनी जिंदगी को जी रहे थे कृष्ण काफी मेहनती और मिलनसार था अपने कर्मचारियों से हमेशा बड़े ही प्रेम भाव से बात किया करता था.

कृष्ण जैसे ही बैंक के अंदर घुसा कि उसे एक आवाज सुनाई दी कि बेटा यह फॉर्म थोड़ा भर दे मुझे पैसे निकालने हैं खाते से, कृष्ण ने पीछे मुड़ के देखा तो एक बहुत ही गरीब औरत जिसके कपड़े काफी मैले कुचैले और उलझे हुए बाल थे और वह बहुत ही दुखी और रो भी रही थी किंतु कृष्ण के पास समय नहीं था क्योंकि उसे जल्दी-जल्दी अपनी फैक्ट्री पहुंचना था इसलिए उसने कहा किसी और से भरवा लीजिए मेरे पास टाइम नहीं है और वह आगे बढ़कर अपने काम में लग गया लगभग 20 से 25 मिनट के बाद जब वह अपने काम से बाहर निकाला तो देखा वह महिला अभी भी औरों से निवेदन कर रही थी कि उसके फार्म को भर दिया जाए लेकिन इधर-उधर उसे कोई आदमी ना मिल रहा था नहीं ही औरत जो उसका फॉर्म भर सके… चुकी कृष्ण की भी अपनी मजबूरी थी इसलिए वह उस महिला को अनदेखा करते हुए बैंक के बाहर निकल गया.

कृष्ण जैसे ही बाहर आया और अपनी चार पहिया गाड़ी का दरवाजा खोलकर बैठते ही वाला था कि तभी उसकी नजर बैंक के बाहर बैठे एक गरीब आदमी पर गई जो दीवार का सहारा लिए एक यही कोई 5 साल के बच्चे के साथ बैठा था पास में एक डंडा रखा था और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे पानी की बोतल से उस बच्चे के मुंह में वह पानी डाल रहा था न जाने कृष्ण ने क्या सोचकर उस आदमी के पास गया और बोला -आप ! क्यों रो रहे हैं और बैंक के बाहर क्यों बैठे हैं तब उसआदमी ने कहा – कि बेटा मेरी पत्नी अंदर गई है पैसे निकालना बहुत ही बुरा वक्त चल रहा है अभी तक नहीं आई है.रोते हुए वह आदमी अपने आंसू पहुंचने लगा तो कृष्ण ने पूछा यह बच्चा आपका है तो उसने दोबारा कहा- हाँ बेटा! इसे दिल की बीमारी है बहुत इलाज करवा रहे हैं सब बिक गया हमारा पर मेरा बेटा ठीक नहीं हो रहा है रात से तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब हो गई है क्या करूं मैं अपने बच्चों को मारता हुआ नहीं देख सकता भगवान मुझे ले ले पर मेरे बच्चे को बचा ले. कृष्ण को समझते हुए देर नहीं लगा कि अंदर जो महिला है वह इस बच्चे की मां है.

कृष्ण इतना सुनकर तुरंत वह अंदर गया और उस बच्चे की मां से जो अभी भी हर किसी को अपना फार्म भरवाने को कह रही थी कृष्ण ने उसके हाथ से फॉर्म लिया पासबुक मांगी और जल्दी से फॉर्म को भर दिया और उसे महिला से कहा पैसे निकलवा लो आप और फिर कृष्ण ने उस महिला के पासबुक की फोटो खींची बाहर आया और चुपके से उस बच्चे और उस आदमी की भी एक फोटो ले ली और अपने गाड़ी के अंदर बैठ गया और उसी समय ट्विटर फेसबुक पर शेयर करते हुए यह लिखा कि – जितना हो सके आप लोग मदद कीजिए इस महिला का यह बैंक अकाउंट नंबर है इस पर भेज दीजिए यह बच्चा आप लोगों की मदद से बच सकता है.

आज वह बच्चा बिल्कुल ठीक है और वह महिला आज भी नहीं समझ सकी कि उसके खाते में इतने पैसे आए तो आए कहां से और कृष्ण ने उसे महिला का तिनके का सहारा देते हुए एक इंसानियत का फर्ज निभाया और उसे सहारे ने उस महिला के मासूम बच्चे को बचा लिया.

यह कहानी हमें यह सीख देती है कभी जीवन में मौका मिले तो इंसानियत का फर्ज अवश्य निभाना चाहिए चाहे वह किसी अनजान या फिर अजनबी इंसान के लिए क्यों ना हो हमारी की गई थोड़ी सी कोशिश किसी के जीने का और खुशियों का वजह बन सकता है.

Good Afternoon friends 🥰
15/07/2025

Good Afternoon friends 🥰

With Sweetlake – I just got recognized as one of their top fans! 🎉
15/07/2025

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‘हर व्यक्ति की 4 पत्नियां होनी चाहिए’  #बुद्ध के अनुसार किसी व्यक्ति की एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 4 पत्नियां होनी चाहिए। ए...
14/07/2025

‘हर व्यक्ति की 4 पत्नियां होनी चाहिए’
#बुद्ध के अनुसार किसी व्यक्ति की एक नहीं,
दो नहीं, बल्कि 4 पत्नियां होनी चाहिए।

एक समय की बात है,
एक व्यक्ति था जिसकी 4 पत्नियां थीं।
यह उस दौर की बात है जब भारत में एक पुरुष को
एक से अधिक पत्नियां रखने की इजाजत थी।

उसका जीवन काफी अच्छा चल रहा था,
लेकिन परेशानियां भी अधिक दूर नहीं थीं।
वह काफी बीमार पड़ गया,
उसकी बीमारी ठीक ना होने की
कगार पर आ गई थी।
अब उसे समझ आ गया था कि
उसकी मृत्यु का समय बेहद नजदीक है।
इस बात का आभास होने पर वह काफी
अकेला और उदास रहने लगा।

लेकिन तब उसने हिम्मत करके अपनी पहली
पत्नी से एक प्रश्न किया,
“प्रिय, मेरी मृत्यु काफी नजदीक है,
बहुत जल्द मैं अपना शरीर त्यागकर संसार से
मुक्त हो जाऊंगा।
लेकिन मैं अकेले ही यह सफर
तय नहीं करना चाहता।
मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया और
अब भी करता हूं,
क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ
चलोगी, जहां भी मैं जाऊं?”

इस बात को सुनकर कुछ क्षण के लिए
उस व्यक्ति की पत्नी खामोश हो गई।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।
लेकिन कुछ हिम्मत जुटाते हुए उसने अपने
पति के प्रश्न का उत्तर दिया।

“स्वामी, मैं जानती हूं कि आप मुझसे बेहद प्रेम करते हैं। मैं भी आपसे तहे दिल से मोहब्बत करती हूं,
लेकिन अब तुम्हारी मृत्यु के साथ हमारे अलग होने का समय आ गया।“
ऐसा कहते हुए पहली पत्नी ने अपने पति से विदा ली।

अब उदास पति अपनी दूसरी पत्नी के पास पहुंचा,
उससे भी उसने यही सवाल किया और कहा,
“क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ चलोगी?”

उस व्यक्ति की दूसरी पत्नी ने बेहद विनम्र तरीके से
अपने पति के इस सवाल का जवाब दिया
और कहा,
“जब आपकी पहली पत्नी ने ही आपके साथ
जाने से इनकार कर दिया,
तो मैं आपके साथ कैसे जा सकती हूं?
” ऐसा कहते हुए वह वहां से चली गई।

अब वह व्यक्ति बेहद उदास होकर वहां से चला गया। मौत के बेहद करीब खुद को पाकर उसने अपनी तीसरी पत्नी को बुलाया और वही प्रश्न किया जो उसने अपनी पहली और दूसरी पत्नी से भी किया था।
लेकिन उससे भी उसे इनकार के सिवा
और कुछ हासिल ना हुआ।

अब उसने अपनी चौथी पत्नी को बुलाया।
अब तक वह सारी उम्मीदें खो चुका था,
इसलिए अपनी चौथी पत्नी से वही सवाल
करने की हिम्मत ना कर सका।
वह चुपचाप अपनी चौथी पत्नी को देखता रहा,
लेकिन फिर कुछ पल के बाद आखिरकार
उसने वही सवाल किया।

“क्या मरने के बाद मैं जहां जाऊंगा,
वहां तुम मेरे साथ चलोगी?
क्या तुम मरने के बाद भी मेरा साथ दोगी..?

इस सवाल को चौथी बार दोहराते हुए
उस व्यक्ति की आवाज में बेहद
हिचकिचाहट थी।
लेकिन इस बार उसकी अपेक्षाएं
काफी कम हो गई थीं।

किंतु तभी उसकी पत्नी ने जवाब दिया,
“स्वामी, मैं आपके साथ अवश्य चलूंगी।
आप जहां मुझे लेकर जाना चाहें,
मैं आपका साथ दूंगी।
मैं स्वयं भी आपसे दूर नहीं रह सकती,
इसलिए आप जहां भी जा रहे हैं
मुझे साथ ही लेकर जाएं।“

इस कहानी को सुनाते हुए गौतम बुद्ध ने
अंत में कहा कि हर पुरुष एवं महिला के पास
4 पत्नियां एवं 4 पति, होने चाहिए।
ताकि उसे भी चौथी बार में हां सुनने को मिल सके।
किंतु कहानी में बताई गई 4 पत्नियों को गौतम बुद्ध ने जीवन के एक खास पहलू के साथ जोड़ा है।

गौतम बुद्ध के अनुसार कहानी में
पहली पत्नी हमारा #शरीर है।
जिसे हम कभी भी अपनी मृत्यु के बाद
अपने साथ लेकर नहीं जा सकते।
मनुष्य कितना ही प्रयत्न क्यों ना कर ले,
लेकिन उसका शरीर मृत्यु के बाद
उसके साथ नहीं जाता।

दूसरी पत्नी है हमारा ‘ #भाग्य’...
मृत्यु के बाद कैसा भाग्य?
मृत्यु ही तो अंत है,
इसके बाद हमें क्या मिलेगा और क्या नहीं
यह हमारे कर्मों पर निर्भर करता है।
लेकिन मृत्यु के बाद हमें जो मिलता है
वह एक नई शुरुआत ही है।
इसलिए हम अपने भाग्य को कभी साथ
नहीं ले जा सकते।

कहानी में तीसरी पत्नी से तात्पर्य है
‘ #रिश्ते’।
महाभारत में श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि
मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा का
किसी से भी संबंध नहीं रहता।
आत्मा किसी की नहीं होती,
जब तक उसे नया शरीर ना मिल जाए,
उसका कोई सगा-संबंधी नहीं होता।

इस बात को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया था,
जब अपने पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु के ग़म में
उसने युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था।
तब श्रीकृष्ण ने उसे स्वर्ग में भेजा,
जहां उसने अभिमन्यु को देखा।

पुत्र को आंखों के सामने देखते ही अर्जुन
अति प्रसन्न हो गया और गले से लगा लिया।
लेकिन जवाब में अभिमन्यु ने अर्जुन को
पीछे धक्का मारा और सवाल किया
कि ‘तुम कौन हो’?

तब श्रीकृष्ण ने समझाया कि वह अभिमन्यु नहीं,
मात्र एक आत्मा है।
जिसका केवल तब तक तुम्हारे साथ रिश्ता था,
जब तक वह तुम्हारे पुत्र अभिमन्यु के शरीर में थी।
अब नया शरीर मिलने तक यह आत्मा किसी की
नहीं कहलाएगा।

गौतम बुद्ध की कहानी के अनुसार तीसरी पत्नी
जो कि व्यक्ति के रिश्ते को दर्शाती है,
वह उसके साथ नहीं जा सकती।
अब अगली बारी है चौथी पत्नी की,
जो आखिरकार साथ जाने के लिए तैयार हो गई।

गौतम बुद्ध के अनुसार चौथी पत्नी है
हमारे ‘ #कर्म’।
यह एकमात्र ऐसी चीज है जो मृत्यु के बाद
हमारे साथ जाती है।
हमारे पाप-पुण्य का लेखा जोखा दिलाती है।
मृत्यु के बाद हमारी आत्मा को स्वर्ग प्राप्त होगा,
नर्क प्राप्त होगा या फिर नया जीवन,
यह कर्मों पर ही निर्भर करता है।

जय सियाराम 🙏

Good Evening 🌃💡🌊
13/07/2025

Good Evening 🌃💡🌊

एक छोटा-सा शहर था, जहाँ हर गली में अपनी अलग कहानी बसती थी। वहीं रहते थे आरव और सिया — दो दिल, एक धड़कन।आरव एक सीधा-सादा ...
13/07/2025

एक छोटा-सा शहर था, जहाँ हर गली में अपनी अलग कहानी बसती थी। वहीं रहते थे आरव और सिया — दो दिल, एक धड़कन।

आरव एक सीधा-सादा लड़का था, किताबों और सपनों में खोया रहता था। वहीं सिया चंचल थी, लेकिन उसकी आँखों में गहराई थी — जैसे हर मुस्कान के पीछे कोई अधूरी बात हो।

कॉलेज के पहले दिन ही दोनों की मुलाकात हुई। पहली नज़र में कुछ खास नहीं हुआ, लेकिन वक़्त ने धीरे-धीरे दोनों के बीच एक रिश्ता बुनना शुरू कर दिया।

चाय की दुकान पर साथ बैठना, लाइब्रेरी में एक-दूसरे को ढूँढना, और बारिश के मौसम में बिना कुछ कहे घंटों साथ बैठना — ये सब उनकी मोहब्बत की बुनियाद बनते गए।

आरव ने एक दिन कहा —
“सिया, क्या तुम जानती हो, जब तुम मुस्कुराती हो तो मेरी दुनिया ठहर जाती है?”
सिया मुस्कराई, लेकिन उसकी आँखों में नमी थी।

काफी समय तक सब अच्छा चला, लेकिन फिर सिया की ज़िंदगी में एक भूचाल आया। उसके पापा को दिल का दौरा पड़ा, और उनकी हालत बिगड़ती गई। सिया ने आरव से मिलना कम कर दिया, बात करना भी बंद सा कर दिया।

आरव ने बहुत कोशिश की, लेकिन सिया ने एक दिन सिर्फ इतना कहा —
“मुझे जाना होगा, मेरी ज़िंदगी अब तुम्हारी मोहब्बत नहीं, मेरी ज़िम्मेदारी माँग रही है।”

वो शहर छोड़कर चली गई।
आरव बहुत टूटा, पर उसने कभी उसे रोका नहीं।

सालों बाद, एक शाम आरव किसी बुक फेयर में गया। एक किताब उठाई — उस पर नाम लिखा था: "कुछ रिश्ते अधूरे ही अच्छे लगते हैं" — लेखिका: सिया वर्मा।

उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वो जानता था, सिया चली गई थी... लेकिन उसकी मोहब्बत अब हर शब्द में ज़िंदा थी।

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कभी-कभी प्यार मिलकर नहीं, दूर रहकर भी पूरा हो जाता है।
क्योंकि कुछ मोहब्बतें मुकम्मल नहीं होतीं — फिर भी वो सबसे सच्ची होती हैं।

“Good morning, world! Let’s greet this day with a smile and eyes wide open to all the beauty around us. 🌼👀”
12/07/2025

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