22/06/2025
&&&गाँव के लड़के की सफलता की कहानी&&&&
एक समय की बात है, छत्तीसगढ़ के छोटे से गाँव, मानपुर में, राहुल नाम का एक होनहार लड़का रहता था। उसका परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता दिन-भर खेतों में मजदूरी करते, माँ घर का काम संभालती और दोनों छोटी बहनें भी अक्सर घर के कामों में हाथ बंटातीं। राहुल जानता था कि गरीबी एक अभिशाप है, और वह इसे तोड़ना चाहता था। उसके मन में एक ही सपना था – पढ़-लिखकर एक अच्छी नौकरी पाना और अपने परिवार को गरीबी के दलदल से बाहर निकालना।
राहुल की पढ़ाई गाँव के सरकारी स्कूल में हुई थी, जहाँ संसाधनों की भारी कमी थी। न अच्छी किताबें थीं, न ही पर्याप्त शिक्षक। लेकिन राहुल ने कभी हार नहीं मानी। वह दिन-रात पढ़ाई करता। जब बिजली नहीं होती, तो वह लालटेन की रोशनी में पढ़ता। स्कूल से लौटने के बाद, वह अपने पिता के साथ खेतों में भी हाथ बंटाता, ताकि कुछ पैसे कमा सके।
गाँव के एक बुजुर्ग शिक्षक, मास्टर साहब, ने राहुल की लगन और प्रतिभा को पहचान लिया था। उन्होंने राहुल को मुफ्त में पढ़ाया और उसे हमेशा प्रोत्साहित किया। मास्टर साहब की प्रेरणा से, राहुल ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाएँ बहुत अच्छे अंकों से पास कीं।
अब बारी थी आगे की पढ़ाई की। राहुल को इंजीनियरिंग करने का मन था, लेकिन इसके लिए शहर जाना पड़ता और पैसे नहीं थे। यह उसके जीवन का सबसे मुश्किल दौर था। एक दिन, उसने अपने परिवार को इकट्ठा किया और अपने मन की बात बताई। उसके पिता ने कहा, "बेटा, हम जानते हैं कि तुम बहुत मेहनती हो, लेकिन हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं।"
यह सुनकर राहुल निराश हो गया, लेकिन उसने उम्मीद नहीं छोड़ी। उसने गाँव में ही एक छोटी-मोटी नौकरी करने का फैसला किया और साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। वह जानता था कि सरकारी नौकरी ही उसके परिवार की किस्मत बदल सकती है। उसने एक स्थानीय दुकान पर काम करना शुरू किया और बचे हुए समय में अपनी किताबों में डूबा रहता। रात को देर तक जागकर पढ़ता और सुबह जल्दी उठकर रिवीजन करता।
कई बार वह परीक्षाओं में असफल भी हुआ, लेकिन हर असफलता उसे और मजबूत बनाती गई। वह अपनी गलतियों से सीखता और दोगुनी लगन से तैयारी करता। आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाई। एक दिन उसे भारतीय रेलवे से एक जॉइनिंग लेटर मिला। उसे क्लर्क के पद पर चुन लिया गया था!
यह खबर पूरे गाँव में आग की तरह फैल गई। राहुल के घर में जैसे खुशियों की दिवाली मन रही थी। उसकी माँ की आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे, पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था और बहनें खुशी से उछल रही थीं। राहुल ने गाँव के सबसे गरीब परिवार से निकलकर यह मुकाम हासिल किया था।
जब राहुल अपनी पहली सैलरी लेकर घर आया, तो उसने सबसे पहले अपने पिता के हाथों में पैसे रखे। उसके पिता ने उसे गले लगा लिया। उस दिन राहुल के परिवार ने भरपेट खाना खाया, जैसा उन्होंने कभी नहीं खाया था। राहुल ने अपनी बहनों को अच्छी स्कूल में दाखिला दिलवाया, अपनी माँ के लिए नई साड़ी खरीदी और अपने पिता के लिए एक नया कुर्ता-पायजामा। उसने धीरे-धीरे अपने गाँव में एक छोटा सा पक्का मकान बनवाया और अपने परिवार को सारी सुख-सुविधाएँ दीं।
राहुल की कहानी गाँव के हर बच्चे के लिए प्रेरणा बन गई। उसने दिखा दिया कि अगर सच्ची लगन, कड़ी मेहनत और अटूट विश्वास हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों। उसके परिवार में खुशियों का अंबार लग गया, और वह खुशियाँ सिर्फ राहुल की नौकरी लगने से नहीं, बल्कि उसके संघर्ष और सफलता से मिली थीं, जिसने पूरे परिवार को एक नया जीवन दिया था।