17/11/2024
मधुमेह: बढ़ता खतरा और नई पीढ़ी की चुनौतियाँ
हाल ही में प्रकाशित लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में विश्वभर में 828 मिलियन (8.28 करोड़) लोग मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रसित पाए गए हैं। यह आँकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2024 के लिए अनुमानित 422 मिलियन मामलों से लगभग दोगुना है। इस अप्रत्याशित वृद्धि ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को चिंता में डाल दिया है।
युवा पीढ़ी पर बढ़ता प्रभाव
सबसे गंभीर स्थिति यह है कि मधुमेह अब केवल वृद्धावस्था की बीमारी नहीं रह गई है। 30 वर्ष की आयु के युवा बड़ी संख्या में इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक तनाव इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
भारत में स्थिति
भारत में भी यह समस्या विकराल रूप ले रही है। देश की युवा आबादी, जिसे आर्थिक और सामाजिक विकास का इंजन माना जाता है, तेजी से मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों की चपेट में आ रही है। शहरीकरण, जंक फूड का बढ़ता चलन और व्यस्त जीवनशैली ने इस समस्या को और अधिक गहरा कर दिया है।
क्या है समाधान?
1. स्वस्थ आहार: चीनी और प्रोसेस्ड फूड के सेवन में कमी करें। ताजे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज को आहार में शामिल करें।
2. नियमित व्यायाम: रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे टहलना, योग, या साइक्लिंग को दिनचर्या में शामिल करें।
3. तनाव प्रबंधन: ध्यान (मेडिटेशन) और पर्याप्त नींद मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
4. नियमित जांच: रक्त शर्करा के स्तर की नियमित जांच और डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।
सरकार और समाज की भूमिका
सरकार को स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियानों के माध्यम से युवाओं को शिक्षित करना अनिवार्य है। साथ ही, समाज में स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता और जिम्मेदारी की भावना पैदा करना भी आवश्यक है।
मधुमेह से बचाव संभव है, बशर्ते हम समय रहते अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएँ। यह समय है कि हम अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करें।
(रेडियो बस्तर)
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