
06/05/2025
पारंपरिक उत्तराखंड” से तात्पर्य उस सांस्कृतिक, सामाजिक, और भौगोलिक विरासत से है जो उत्तराखंड राज्य की पहचान बनाती है। यह राज्य भारत के उत्तर में स्थित है और इसकी परंपराएं हिमालय की गोद में बसे समाजों की जीवनशैली, आस्थाओं और लोक-संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
पारंपरिक उत्तराखंड की कुछ प्रमुख विशेषताएं:
1. लोक संस्कृति व संगीत:
• उत्तराखंड का लोक संगीत (जैसे झोड़ा, चांचरी, थडिया) और नृत्य वहां की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।
• लोक वाद्ययंत्रों में ढोल, दमाऊ, हुड़का प्रमुख हैं।
2. पहनावा:
• पारंपरिक पुरुष वस्त्रों में चूड़ीदार पायजामा, अंगरखा, टोपी आदि होते हैं।
• महिलाओं का पहनावा क्षेत्र विशेष पर निर्भर करता है, जैसे घाघरा-चोली, ओढ़नी, और पिचौरा।
3. खानपान:
• उत्तराखंड का पारंपरिक भोजन मोटे अनाज (जैसे मंडुवा, झंगोरा), दालें, और स्थानीय सब्जियों पर आधारित होता है।
• लोकप्रिय व्यंजन हैं – भट्ट की चुड़कानी, कापा, झंगोरे की खीर, रस, आदि।
4. त्योहार व मेले:
• हरेला, फूलदेई, घुघुतिया, कुम्भ, नंदा देवी मेला आदि यहाँ के पारंपरिक पर्व हैं।
5. स्थानीय वास्तुकला:
• पारंपरिक घर लकड़ी और पत्थर से बने होते हैं, जो भूकंपरोधी होते हैं। कटथी-कुणी शैली प्रसिद्ध है।
6. लोक मान्यताएँ व धार्मिकता:
• लोग देवी-देवताओं और प्रकृति की पूजा करते हैं। देवता नृत्य, जागर जैसी परंपराएँ लोक आस्था का प्रतिनिधित्व करती हैं।