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"विरह की वो आख़िरी रासलीला"(एक अधूरी प्रेम कहानी - राधा और कृष्ण)बरसों बीत गए थे वृंदावन छोड़े हुए...द्वारका की गलियों म...
06/07/2025

"विरह की वो आख़िरी रासलीला"

(एक अधूरी प्रेम कहानी - राधा और कृष्ण)

बरसों बीत गए थे वृंदावन छोड़े हुए...
द्वारका की गलियों में अब श्रीकृष्ण राजा थे — लेकिन दिल कहीं और अटका था। वहां, यमुना किनारे... वृंदावन में... राधा के पास।

एक दिन, राधा बिना किसी संदेश के द्वारका पहुँची। कृष्ण ने उन्हें देखा, तो समय ठहर गया। न कोई सवाल था, न कोई जवाब। बस दो आँखों में वर्षों की पीड़ा, प्रेम और विरह भरा हुआ था।

कृष्ण ने राधा से पूछा, “तुम इतने वर्षों बाद आई हो राधे... क्यों?”

राधा मुस्कराई, पर आंखें नम थीं —
“मैं तुम्हें देखने नहीं आई कृष्ण... मैं खुद को समर्पित करने आई हूँ। जो प्रेम अधूरा था, उसे पूर्ण करने आई हूँ।”

कृष्ण सब समझ गए। उन्होंने उस रात केवल राधा के लिए रास रचाई। न कोई गोपी थी, न कोई साज... बस राधा और कृष्ण। एक आख़िरी रासलीला।

चांदनी रात थी, बांसुरी की धुन थी, और दो आत्माएं थीं जो फिर एक हो रही थीं — इस बार शरीर से नहीं, आत्मा से।

रास खत्म हुआ, राधा थकी-थकी सी ज़मीन पर बैठ गईं।

कृष्ण ने कहा —
“राधे, तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं गईं... तुम तो हमेशा मेरे भीतर थीं। लेकिन अब तुम जाने की तैयारी में हो न?”

राधा की आंखों से आंसू बहने लगे।
“अब बस विदा लेने आई हूँ कृष्ण... अगला जन्म फिर तुम्हारा इंतज़ार करूंगी — शायद उस जन्म में हम साथ जी सकें...”

कृष्ण ने उनकी मांग में चुपचाप तुलसी का एक पत्ता रखा और बोले,
“अब तुम सिर्फ राधा नहीं — मेरी आत्मा हो... मेरी अधूरी कविता का अंतिम शब्द।”

सुबह जब सूरज निकला, राधा वहीं बैठी थीं — शांत, स्थिर और मुक्त।
वो चली गई थीं... लेकिन मुस्कुरा रही थीं।

कृष्ण बांसुरी को होंठों तक ले गए, पर आज धुन नहीं निकली...
बांसुरी चुप थी, जैसे राधा की विदाई के बाद उसमें कोई सुर ही न बचा हो।

उस दिन के बाद कृष्ण ने कभी बांसुरी नहीं बजाई।

क्योंकि राधा चली गई थीं — और कृष्ण का संगीत भी।

05/07/2025

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04/07/2025

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J C Chauhan

04/07/2025

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02/07/2025

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28/06/2025

*दर्द भरी दास्तान*

उसका नाम था मीरा, और वह एक छोटे से गाँव में रहती थी। उसकी जिंदगी में एक ही सपना था, अपने परिवार को खुश देखना। मीरा के पिता एक मजदूर थे, और उसकी माँ एक घरेलू महिला थी। मीरा के दो छोटे भाई थे, जो हमेशा उसके साथ खेलते रहते थे।

मीरा की माँ को कैंसर हो गया था। डॉक्टर ने कहा था कि अब ज्यादा समय नहीं बचा है। मीरा के पिता ने अपनी जमीन बेचकर इलाज करवाया, लेकिन माँ की हालत दिन-ब-दिन खराब होती गई। मीरा ने अपनी माँ की देखभाल की, उनकी हर जरूरत का ध्यान रखा। वह अपनी माँ के साथ हर पल बिताना चाहती थी।

एक दिन, मीरा की माँ ने उसे अपने पास बुलाया और कहा, "मीरा, मेरे जाने के बाद अपने भाइयों का ध्यान रखना। तुम्हारे पिता की उम्र हो गई है, वे अकेले नहीं संभाल पाएंगे।" मीरा ने अपनी माँ को वादा किया कि वह हमेशा अपने भाइयों के साथ रहेगी और उनकी हर जरूरत का ध्यान रखेगी।

कुछ दिनों बाद, मीरा की माँ इस दुनिया को छोड़कर चली गईं। मीरा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। वह अपने भाइयों के लिए मजबूत बनने की कोशिश करती थी, लेकिन अंदर से टूट गई थी। उसके पिता भी अपनी पत्नी की मौत के बाद उदास रहने लगे।

मीरा ने अपनी माँ के वादे को पूरा करने की कोशिश की। वह अपने भाइयों को पढ़ाती, उनकी हर जरूरत का ध्यान रखती। वह खुद भी पढ़ना चाहती थी, लेकिन अब उसके लिए समय नहीं था। वह अपने परिवार के लिए लड़ती रही, लेकिन धीरे-धीरे उसकी अपनी जिंदगी खत्म होती गई।

एक दिन, मीरा के पिता भी बीमार हो गए। मीरा ने उनकी देखभाल की, लेकिन उसके पिता की हालत भी खराब होती गई। मीरा के पास अब कोई नहीं था, जिसके पास वह अपनी बातें कह सके। उसके भाइयों ने भी अपनी जिंदगी में व्यस्त होना शुरू कर दिया था।

मीरा के पिता ने भी इस दुनिया को छोड़ दिया। अब मीरा पूरी तरह से अकेली थी। उसके पास कुछ नहीं बचा था, सिवाय अपने भाइयों के। मीरा ने सोचा कि अब वह क्या करेगी, किसके लिए जिएगी। वह अपने भाइयों के साथ रहती तो थी, लेकिन वह अकेला महसूस करती थी।

मीरा की कहानी यहीं नहीं खत्म होती है। वह अभी भी जिंदा है, लेकिन उसकी जिंदगी में अब कोई रंग नहीं है। वह बस अपने दिन गुजार रही है, अपने भाइयों के लिए जी रही है। मीरा की कहानी उन लोगों के लिए एक सबक है, जो अपने परिवार को महत्व नहीं देते। मीरा ने अपने परिवार के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया, लेकिन अब वह अकेली है।

26/06/2025

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23/06/2025

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23/06/2025

सच्चा प्यार कभी पैसों का मोहताज नहीं होता।
जब दिल से रिश्ता जुड़ता है, तब हालात मायने नहीं रखते – साथ मायने रखता है ❣️
True love doesn’t demand luxury – सिर्फ समझदारी, भरोसा और साथ चाहिए।
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