शब्द मंदाकिनी- स्वरचित

शब्द मंदाकिनी- स्वरचित लिखने और पढ़ने में जो सुकून ढूंढते है,उन्हें सारी परेशानियों का हल मिल जाता है।

श्रीमदभगवदगीता की विद्यार्थियों के जीवन में सार्थकता- एक संक्षिप्त लेख के रूप  में मेरे व्यक्तिगत विचार-ज्ञान का अनंत सा...
02/08/2025

श्रीमदभगवदगीता की विद्यार्थियों के जीवन में सार्थकता- एक संक्षिप्त लेख के रूप में मेरे व्यक्तिगत विचार-
ज्ञान का अनंत सागर है श्रीमदभगवदगीता. जीवन के सभी प्रश्नों के सटीक उत्तर देता है यह अनमोल ग्रंथ. मात्र एक दो श्लोक पढ़ने से भगवदगीता समझ नहीं आती,यहाँ सिर्फ पूजा पाठ वाला दृष्टिकोण होता है कि धार्मिक ग्रंथ पढ़ने से दुःख दूर होंगे.भगवदगीता जीवन की वास्तविकता को सुंदर तरीके से बताती हैं.इस ग्रंथ को पढ़कर श्रद्धा भाव से समझना होता है कि इसमें कहा क्या गया है. यदि श्रीमदभगवदगीता को पढ़ने की आदत हो जाए तो हर बार हमें समाधान यही से मिलने शुरू हो जाते हैं. जिज्ञासु और श्रद्धावान बनकर गीताजी का अध्ययन जितनी बार करोगे, गहराई में उतरते रहोगे और जीवन के प्रति दृष्टिकोण बहुत ही सकारात्मक और सहज़ हो जायेगा.भगवदगीता ईश्वर की वाणी हैं जो मनुष्य मात्र को जीवन जीने के लिए कही गई हैं.. यह एक Life mannual है.यहाँ हर जगह मानव और उसके जीवन से जुड़ी चुनौतियाँ खड़ी हैं. यहाँ मानव केंद्र में हैं, मनोवैज्ञानिक तरीके से मनुष्य को अर्जुन के रूप में स्वीकारोक्ति के साथ शांत होकर सुना जा रहा हैं.फिर उसको महत्वपूर्ण सत्य बताये जा रहे हैं,. निर्देशन देने के बाद उसके कुछ संदेह(doubts ) और जिज्ञासाएँ हैं, उन्हें स्पष्ट करते हुए, उचित परामर्श दिया जा रहा हैं..
यहाँ मनोविज्ञान के सारे चरण ( steps ) हमें दिखते हैं. श्री कृष्ण हर समस्या का ऐसा समाधान बताते हैं जो तर्क की कसौटी पर आज भी उतना ही खरा उतरता हैं जितना 5000 वर्ष पूर्व उतरा था, क्योंकि मानव के प्रश्न आज भी वही हैं.. श्रीमदभगवद गीता का अध्ययन करने पर हम देखते हैं कि इसमें जीवन के हर पहलू के समाधान समाहित हैं. 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में इतने सरल तरीके से दर्शन, धर्म, विज्ञान, प्रबंधन, नेतृत्व,मनोविज्ञान, शरीर विज्ञान, सांख्य योग, साकार -निराकार कि अवधारणा, कर्म-अकर्म -विकर्म की परिभाषा, मानवीय विकारों की उत्पति के कारक, मानव स्वभाव को निर्धारित करने वाले अवयव (elements ), प्रकृति के कार्य करने का तरीका, आध्यात्मिक प्रगति के सोपान और भी बहुत कुछ.. जितना मैं अभी तक समझ पाई हूँ.. (भगवदगीता पर विद्वानों द्वारा लिखी गई लगभग 10 टिकाओ के अध्ययन एवं गीता परिवार की एक वर्ष तक ली गई online गीता कक्षा से इतना समझ पाई हूँ.)
भगवदगीता पर लिखना मेरे जैसे साधारण learner के लिए सूर्य को दिए दिखाना जैसा हैं. फिर भी यह कोशिश उन विद्यार्थियों के लिए जो सतही स्तर पर सुन कर इस महान ग्रंथ के प्रति सुनी सुनाई पूर्वाग्रह जनित धारणा बना लेते हैं और इस अनमोल ज्ञान से वंचित रह कर जीवन में कुंठित, हताश और निराश होते हैं.सबसे पहले स्पष्ट कर दूँ कि भगवद गीता में मानव और उससे संबंधित जीवन के सभी ज्वलंत प्रश्न समाहित हैं, और उनके उत्तम सकारात्मक समाधान. यह एक पंथ निरपेक्ष ग्रन्थ है. यहाँ कोई विचार धारा थोपी नहीं गई है. कोई एक मार्ग थोपा नहीं गया है. संसार के सारे कलह सम्प्रदायों, पंथो के विभिन्न मार्गो एवं पद्द्तियों को लेकर ही होते आये हैं. कोई किसी मार्ग को मानता हैं तो कोई अन्य मार्ग को. सभी चाहते हैं की संसार उनके मत, पंथ और मार्ग को जबरन अपनाये. परन्तु श्रीमदभगवद ऐसा ग्रंथ हैं जहाँ किसी मार्ग को थोपा नहीं गया हैं.यहाँ मनुष्य ( अर्जुन) की जिज्ञासा को शांत कर परामर्श दिया गया है.. गूढ से गूढ (secret knowlege) ज्ञान देकर श्री कृष्ण चयन की आजादी अर्जुन को दे देते है. सही गलत, नियम, सत्य सब बताकर अर्जुन को मार्ग चुनने की आजादी दे दी. आज से 5000 वर्ष पूर्व दिया गया मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का कोई जवाब नहीं.. कितने सुंदर तरीके से कृष्ण अर्जुन से 18 वें अध्याय के 63 वें श्लोक में कहते है..
मैंने तुम्हे सब रहस्य बता दिए है ज्ञान के, अब तुम इस पर अच्छे से विचार करो और जैसा चाहते हो वैसा करो,अर्थात जो तुम्हे उत्तम लगे, वही करो..
इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया |
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु l
भगवदगीता का हर श्लोक ज्ञान और आनंद से भरा है..इस ग्रन्थ को पढ़ने की आदत बन जाए एक बार तो आपको लगेगा दुनियां भर का साहित्य यही से प्रेरित है.सारे पंथो ने यही से कुछ न कुछ लिया हैं..और जादू की तरह हर समाधान मिल जाते है. दुःख - सुख, लाभ -हानि, मान -अपमान, प्रसिद्धि इनसे बहुत ऊपर उठा देती है भगवदगीता.. जरूर पढ़िए, मनन कीजिये, जीवन में क्रियान्वित कीजिये.चुनौती भरा जीवन आनंदमय तरीके से जीने की निर्भय कला सिखाती हैं भगवदगीता.. अनंत सागर की बूंद का 100000 वां भाग भी नहीं लिख पाई हूँ. जितना कहो उतना कम हैं, बस जीवन के इस मधुर गीत को गाते रहे. सांसारिक कर्तव्यों को निभाते हुए भी जीवन मुक्त का आनंद लेते रहें.
©Laxmi Bisht Gariya

10/05/2025

हथियार नहीं किताबें है जरूरी।

ज्ञान रहता है सदा अमर,
जाना ये किताबें पढ़कर।
कुछ नही मिला मनुज को,
मनुज का ही अरि बनकर।
दिल में इतनी घृणा भरकर,
क्या करेगा जंग जीतकर।
करुण रुदन ने तोड़ दिया
दम जहां थककर।
मौत की ही फसल उगेगी
रक्तसिंचित उस जमीं पर।
जीता है जो विजयी होकर,
नहीं गया वो कुछ भी लेकर।
युद्ध नही किसी समस्या का समाधान,
युद्ध तो है बस सुख-शांति में व्यवधान।
किताबें यही करती है बयां,
पढें जरा लगाकर ध्यान।
युद्धों ने पल में जो छीना,
सदियां नहीं कर पायी उसका भुगतान।
किताबों में लिखा है यही इतिहास,
जंग से हुआ है सदा ही सर्वनाश।
शोणित से नहीं बुझी कभी प्यास,
आओ करें शांति का प्रयास।
युद्ध से हमें क्या मिला है?
युद्ध से किसका हुआ भला है?
दर्द और आँसू के सिवा,
युद्ध ने मानव को दिया ही क्या है।
युद्ध तो बेबसी और सिसकियों
का अंतहीन सिलसिला है।
क्या सुलझाएगा उलझने हमारी,
युद्ध तो खुद ही एक गंभीर मसला है।
मिल जाता है हर विवाद का हल,
गर हो विचारशक्ति प्रबल।
ज्ञान से होता परिवर्तन हृदय,
यही होती है सच्ची विजय।
युद्ध गहन अंधकार है,
परिणाम जिसका संहार है।
ज्ञान के अभाव में,
जो चुनता हथियार है।
नेह के धागे से वसुधा को जोड़े,
नफरत की जंजीर को तोड़े,
किताबें वो औजार हैं।
®©लक्ष्मी बिष्ट

04/05/2025

Stat of mind is everything..

#मन्दाकिनी
©शब्द -मन्दाकिनी

27/10/2024

जीवन में सुख और दुःख देखा जाए तो दोनों का उद्देश्य हमें कुछ न कुछ सिखाने का ही होता है.. यह जीवन की एक प्रक्रिया मात्र है, वास्तव में सिर्फ घटनाएं ही है.. जो एक के बाद एक घटित होती है.. कुछ चीज़े हमें दुःखी कर देती है.. क्योंकि वे हमारे अनुसार नहीं होती अर्थात मन को प्रतिकूल लगती है.. और कुछ चीज़े हमारे मन मुताबिक होती है वे हमारे मन की इच्छाओं के अनुकूल होती है तो हम इन्हें सुख कहते है..देखने का नज़रिया ही तो है.. क्यों न इन्हें खूबसूरत आयाम दे दिया जाए. एक बार कोशिश करके जरूर देखिएगा, यकीन मानिये जीने का अंदाज़ शानदार हो जायेगा.. 🙏
#सुख
#मन्दाकिनी
©शब्द मन्दाकिनी

शाश्वत आनंद संसार से कभी नहीं मिल सकता है.. क्योंकि यहां हर एक चीज नश्वर है.. कितनी भी बड़ी इच्छा पूरी हो जाए, कितना भी आ...
27/10/2024

शाश्वत आनंद संसार से कभी नहीं मिल सकता है.. क्योंकि यहां हर एक चीज नश्वर है.. कितनी भी बड़ी इच्छा पूरी हो जाए, कितना भी आपको मिल जाए,कभी न कभी वो समाप्त हो ही जाता है.. या फिर उसे पाने के बाद उसका उतना महत्व नहीं रहता.., जितना प्राप्त करने से पहले होता है.. इसलिए आनंद तो आनंद के महासागर ( ईश्वर ) में डुबकी लगा कर ही मिलेगा..बस संसार के कार्य करते रहे तन्मयता से.. सागर (ईश्वर स्मरण ) में डुबकी लगा कर आनंद के साथ हर कार्य आनंदमय हो जायेगा.. फिर पाना खोना बहुत छोटी बातें हो जाती है..मिल गया तो प्रभु कृपा न मिला तो प्रभु इच्छा.. दोनों ही सही.. दोनों का अपना अपना सौंदर्य है, इसे महसूस करने के लिए रचनात्मक होना जरूरी है.. कुछ भी मिले, अच्छा सा बना दो.. सृष्टा भी यहीं करते हैं..©Laxmi Bisht
#मन्दाकिनी
#शब्द
#अर्थ

22/10/2024
दर्द और कष्ट जीवन को एक नया आयाम देते है.. आप इन्हें कैसे लेते हो यह आपके दृष्टिकोण पर निर्भर है. #मन्दाकिनी  #शब्द    #...
22/10/2024

दर्द और कष्ट जीवन को एक नया आयाम देते है.. आप इन्हें कैसे लेते हो यह आपके दृष्टिकोण पर निर्भर है.
#मन्दाकिनी
#शब्द

#सुख
#कष्ट

©शब्द मन्दाकिनी

जीवन का अर्थ. और जीवन में अर्थ.   #अर्थ
17/10/2024

जीवन का अर्थ. और जीवन में अर्थ.
#अर्थ

जीवन में अर्थ ( money) जरुरी तो है किन्तु जीवन का अर्थ ( meaning, goal ) समझे बिना अर्थ (money ) का अर्जन करना निरर्थक ह...
17/10/2024

जीवन में अर्थ ( money) जरुरी तो है किन्तु जीवन का अर्थ ( meaning, goal ) समझे बिना अर्थ (money ) का अर्जन करना निरर्थक है..©laxmiBisht
#मन्दाकिनी
#सुख


#अर्थ

16/10/2024

#मन्दाकिनी
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