
21/07/2025
बच्चों के आगे बूढ़े लाचार मां बाप😭
आजकल के कई घरों में ये शब्द जवान बच्चों के मुंह से काफी सुनने को मिलता है, बेटा पूछता है बाप से तुमने आखिर किया ही क्या है मेरे लिए सच पूछें तो ये " शब्द, सिर्फ सवाल नहीं होता ये उन अनगिनत त्यागों, उन अनकहे बलिदानों और उन सारी रातों की नींद का अपमान होता है जो उसके बूढ़े मां बाप ने अपनी जिंदगी भर की अपनी खुशियां मर मारकरके अपने उस बच्चे के लिए कुर्बान की होती हैं , जो आज उनसे तब ये सवाल करता है जब उन्हें उनकी जरूरत होती है, वह लाचार बाप बिना कुछ कहे मन ही मन यही सोचता है कि बेटा, हमने तुम्हारे लिए कुछ खास नहीं किया. हमने बस तुम्हें वो सब दिया जो हमारे पास था – हमारा समय, हमारा पसीना, हमारा प्यार और तुम्हारी ख़ुशी की चाहत.
और साथ ही तुम्हें उड़ने के लिए पंख दिए, बेटा. अब यह तुम पर है कि तुम कितना ऊँचा उड़ पाते हो या उड़ने की कोशिश करते हो ,
आखिर क्यों भूल जाते हैं बच्चे अपने माँ-बाप का त्याग?
आजकल ऐसा क्यों होता है कि बच्चे अपने माँ-बाप के बलिदान और उनकी परवरिश को भूल जाते हैं? वे खुद परिश्रम नहीं करना चाहते और अपनी हर असफलता का ठीकरा अपने माता-पिता पर फोड़ देते हैं. यह न्याय नहीं है. माता-पिता, खासकर बुढ़ापे में, अपने बच्चों के सहारे की तलाश में होते हैं. उन्हें आपकी भावनात्मक और नैतिक ज़रूरत होती है. यह समय है कि आप अपने बेटे या बेटी होने का फर्ज़ निभाएँ, उनके किए गए अनगिनत त्यागों को याद करें और उन्हें वह मान-सम्मान और प्यार दें जिसके वे हक़दार हैं. याद रखिए, माता-पिता का साया एक अमूल्य वरदान है, जिसकी क़ीमत हम अक्सर उनके न होने पर समझते हैं.
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