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असम की 'Iron Lady' – संजुक्ता पराशर: एक निडर और प्रेरणादायक महिला अधिकारीभारत में जब भी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा की बात ...
30/06/2025

असम की 'Iron Lady' – संजुक्ता पराशर: एक निडर और प्रेरणादायक महिला अधिकारी

भारत में जब भी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा की बात होती है, तो पुरुषों का नाम अधिकतर सुनने को मिलता है। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि अपने कार्यों से समाज को प्रेरित भी किया है। ऐसी ही एक नाम है – IPS संजुक्ता पराशर, जिन्हें असम की 'Iron Lady' के रूप में जाना जाता है।

संजुक्ता पराशर की कहानी सिर्फ एक महिला अधिकारी की नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व की है जो किसी भी खतरे से टकराने का साहस रखती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत असम जैसे उग्रवाद प्रभावित राज्य से की, जहाँ हर कदम पर मौत का साया मंडराता रहता है। लेकिन उन्होंने डर को अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया। महज 15 महीनों की तैनाती के दौरान उन्होंने 16 उग्रवादियों को ढेर किया और 64 को गिरफ्तार किया। ये आँकड़े सिर्फ संख्या नहीं हैं, बल्कि एक महिला के साहस, रणनीति और कर्तव्य परायणता की गवाही हैं।

असम में कई दशकों से उग्रवादी संगठन सक्रिय रहे हैं, जिनसे निपटना किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए बड़ी चुनौती होती है। संजुक्ता पराशर ने ना केवल इन चुनौतियों का सामना किया, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करते हुए उग्रवाद के खिलाफ अभियान भी चलाया। उन्होंने हथियार उठाने वाले युवाओं को समझाकर मुख्यधारा में लाने की कोशिश भी की। उनके कार्यों से ना केवल आतंकवादियों के हौसले पस्त हुए, बल्कि आम जनता को भी राहत की सांस मिली। 🙏🏻🙏🏻

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30/06/2025

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30/06/2025

30/06/2025
असम सरकार का बड़ा फैसला: अब प्राइवेट अस्पताल नहीं रोक सकेंगे शव, हेल्पलाइन नंबर भी शुरूअसम सरकार ने एक मानवीय और संवेदनश...
29/06/2025

असम सरकार का बड़ा फैसला: अब प्राइवेट अस्पताल नहीं रोक सकेंगे शव, हेल्पलाइन नंबर भी शुरू

असम सरकार ने एक मानवीय और संवेदनशील फैसला लेते हुए एक ऐसी प्रथा पर रोक लगा दी है, जो लंबे समय से विवादों में रही है। अक्सर देखने को मिलता था कि किसी मरीज की मृत्यु हो जाने के बाद, अगर परिवार अस्पताल का बिल नहीं चुका पाता, तो प्राइवेट अस्पताल मृतक का शव परिजनों को सौंपने से इनकार कर देते थे। यह स्थिति पहले से ही शोकाकुल परिवार के लिए और अधिक पीड़ादायक बन जाती थी। अब असम सरकार ने इसे पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अस्पतालों द्वारा ऐसा करना न केवल अमानवीय है, बल्कि संविधान के भी खिलाफ है। इस नई नीति के तहत कोई भी निजी अस्पताल अब बिल भुगतान के अभाव में मृतक का शव परिजनों को सौंपने से इनकार नहीं कर सकता। यदि कोई अस्पताल ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस पहल को मानवीय दृष्टिकोण से उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि मरीज का इलाज एक सेवा है, और अगर दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसका सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार परिजनों का अधिकार है। किसी भी कीमत पर इस अधिकार से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता।

इस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है, जिस पर आम नागरिक तत्काल संपर्क कर सकते हैं। यह हेल्पलाइन उन परिवारों के लिए सहायता प्रदान करेगी, जिनसे अस्पताल किसी भी तरह का अनुचित व्यवहार करते हैं। हेल्पलाइन पर शिकायत मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी संबंधित अस्पताल से संपर्क करेंगे और शव को परिवार को सौंपने की प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे।

स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि वे किसी भी स्थिति में मृतक के शव को बंधक न बनाएं। इसके अलावा, अगर अस्पताल को बिल का भुगतान नहीं मिलता है, तो वे कानूनी माध्यमों से उसे वसूलने के प्रयास कर सकते हैं, लेकिन शव को रोकना अब अपराध की श्रेणी में आएगा।

असम सरकार का यह निर्णय न केवल संवेदनशील है, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण भी है। यह फैसला उस सामाजिक चेतना को दर्शाता है जिसमें मानवता को प्राथमिकता दी जाती है। अब समय आ गया है कि अन्य राज्यों की सरकारें भी इस दिशा में कदम उठाएं और ऐसी अमानवीय प्रथाओं को पूरी तरह से खत्म करें। 🙏🏻

धीरेन्द्र शास्त्री का प्रेरणादायक कार्य: 251 बेटियों का सम्मानपूर्वक विवाहभारत एक ऐसा देश है जहाँ बेटियों को लक्ष्मी का ...
28/06/2025

धीरेन्द्र शास्त्री का प्रेरणादायक कार्य: 251 बेटियों का सम्मानपूर्वक विवाह

भारत एक ऐसा देश है जहाँ बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्यवश कई गरीब परिवारों के लिए बेटियों का विवाह करना एक बड़ी चुनौती बन जाता है। ऐसे में जब कोई समाजसेवी या धार्मिक गुरु आगे आकर इस जिम्मेदारी को निभाता है, तो यह केवल एक सामाजिक कार्य नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और प्रेरणादायक उदाहरण बन जाता है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है।

धीरेन्द्र शास्त्री ने 251 गरीब कन्याओं का विवाह धूमधाम से करवा कर न केवल उनका जीवन संवारा, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि सच्चा धर्म वही है, जो समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाए। इस आयोजन में बेटियों को सिर्फ विवाह नहीं दिया गया, बल्कि उन्हें संपूर्ण सम्मान, वर-वधु सामग्री, और आत्मसम्मान के साथ विदा किया गया। उन्होंने हर कन्या को अपनी बेटी की तरह समझा, और उसी भाव से उनका कन्यादान किया। यह कोई साधारण कार्य नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा मानवीय प्रयास है, जिसे जितनी सराहना मिले, कम है।

आज के समय में जब समाज में आर्थिक विषमता बढ़ रही है और बेटियों के विवाह एक बोझ की तरह देखे जाते हैं, ऐसे उदाहरण समाज के लिए एक नई दिशा और सोच को जन्म देते हैं। यह प्रयास केवल 251 परिवारों के लिए राहत नहीं था, बल्कि समाज के उन वर्गों के लिए एक संदेश था जो बेटियों को बोझ समझते हैं। धीरेन्द्र शास्त्री ने यह सिद्ध कर दिया कि बेटियां बोझ नहीं, सौभाग्य होती हैं—जरूरत है उन्हें प्यार, सम्मान और अवसर देने की।

यह भी उल्लेखनीय है कि इस आयोजन को किसी दिखावे या प्रचार का माध्यम नहीं बनाया गया, बल्कि पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ सम्पन्न किया गया। ऐसे आयोजनों से समाज में आपसी भाईचारे, सहयोग और सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है। धीरेन्द्र शास्त्री के इस कार्य की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।

दुख की बात यह है कि इतना बड़ा और प्रेरणादायक कार्य होने के बावजूद कई लोग मौन हैं, और इसकी चर्चा उस स्तर पर नहीं हो रही, जितनी होनी चाहिए। जब समाज में नकारात्मक घटनाओं को बार-बार उठाया जाता है, तो सकारात्मक प्रयासों को भी उतनी ही गंभीरता और सराहना के साथ सामने लाना चाहिए। 🙏🏻🙏🏻

उत्तर प्रदेश में एक राह चलती छात्रा के सीने पर मनचले ने हाथ मारा। शिकायत पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने आरोपी को पकड़ने की क...
28/06/2025

उत्तर प्रदेश में एक राह चलती छात्रा के सीने पर मनचले ने हाथ मारा। शिकायत पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने आरोपी को पकड़ने की कोशिश की, भागने पर उसके पैर में गोली मार दी गई। 👏🏻👏🏻👏🏻

अशोक खाड़े की कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और अथक मेहनत की वह मिसाल है, जो यह साबित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो...
28/06/2025

अशोक खाड़े की कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और अथक मेहनत की वह मिसाल है, जो यह साबित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इंसान में आगे बढ़ने की जिद हो, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है।

महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे अशोक खाड़े बेहद गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका बचपन अभावों में बीता। उनकी मां खेतों में मजदूरी करके घर का खर्च चलाती थीं। उन्हीं खेतों में अशोक भी अपने मां के साथ कई बार काम पर जाया करते थे। उस वक्त उनके घर की हालत इतनी खराब थी कि दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी।

अशोक जब युवा हुए, तो उन्हें एक कंपनी में नौकरी मिली जहाँ वे मात्र 90 रुपये महीना कमाते थे। लेकिन उन्होंने कभी मेहनत करना नहीं छोड़ा। काम के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाना शुरू किया।

अशोक खाड़े ने नौकरी करते हुए अनुभव और पूंजी दोनों इकट्ठा किए और फिर एक दिन खुद का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। शुरुआती दौर में बहुत संघर्ष हुए। आर्थिक संकट, संसाधनों की कमी और सामाजिक भेदभाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। उन्होंने "Das Offshore Engineering Pvt. Ltd." नामक कंपनी की स्थापना की, जो आज भारत की सबसे सफल मरीन और ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनियों में से एक मानी जाती है।

आज उनकी कंपनी की कीमत 500 करोड़ रुपये से भी अधिक है और वह हजारों लोगों को रोजगार दे रही है। अशोक खाड़े ने सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि अपने पूरे समुदाय को गर्व का अवसर दिया है। वह आज भी अपने गांव और समाज के लोगों की मदद करना नहीं भूले। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कई सामाजिक कार्य किए हैं।

सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि अशोक खाड़े ने वही खेत खरीदे, जहां उनकी मां मजदूरी करती थीं। यह केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जीत भी थी—एक बेटा जिसने मां के संघर्ष को सम्मान में बदला।

अशोक खाड़े की कहानी हमें यह सिखाती है कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की दिशा को बदल सकता है, बशर्ते उसमें मेहनत करने का हौसला और आगे बढ़ने का विश्वास हो। उन्होंने समाज के लिए यह संदेश छोड़ा है कि जाति, गरीबी या असुविधाएं आपकी सफलता में बाधा नहीं बन सकतीं, अगर आप खुद पर विश्वास करें।🙏🏻🙏🏻

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेसिडेंट और मुकेश अंबानी के पूर्व राइट हैंड रहे प्रकाश शाह ने ह...
28/06/2025

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेसिडेंट और मुकेश अंबानी के पूर्व राइट हैंड रहे प्रकाश शाह ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है जिसने कॉर्पोरेट जगत को हैरानी में डाल दिया है। वर्षों तक रिलायंस समूह में शीर्ष पद पर कार्य करते हुए करोड़ों की सैलरी और तमाम भौतिक सुख-सुविधाओं का लाभ लेने के बावजूद प्रकाश शाह ने सांसारिक जीवन त्यागकर साधु बनने का मार्ग चुन लिया है।

प्रकाश शाह की सालाना आय लगभग 75 करोड़ रुपये थी। वे न केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज के बेहद महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल रहते थे, बल्कि कंपनी की रणनीतिक योजनाओं में भी उनकी भूमिका अहम थी। मुकेश अंबानी जैसे वैश्विक स्तर के उद्योगपति के अत्यंत विश्वासपात्रों में उनकी गिनती होती थी। उनके अचानक लिए गए इस फैसले से न केवल उनके सहकर्मी चौंक गए, बल्कि बिज़नेस जगत में भी इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।

प्रकाश शाह ने अपने आध्यात्मिक जीवन की ओर झुकाव के बारे में बताते हुए कहा कि भौतिक सुख, ऐश्वर्य और ऊंचे ओहदे के बावजूद उन्हें अंदर से शांति नहीं मिल रही थी। उन्होंने बताया कि वर्षों तक उन्होंने इस असंतोष को नजरअंदाज किया, लेकिन अंततः उन्हें यह अहसास हुआ कि सच्चा सुख भौतिकता में नहीं, बल्कि आत्मा की खोज और सेवा में है। इसी सोच ने उन्हें संन्यास की ओर प्रेरित किया।

अब उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समाज सेवा, ध्यान, साधना और आध्यात्मिकता को समर्पित कर दी है। वे अब एक साधु के रूप में सादा जीवन जी रहे हैं और हिमालय के एक शांत क्षेत्र में निवास कर रहे हैं, जहां वे ध्यान और अध्ययन में समय बिता रहे हैं। उनका कहना है कि वे अब उन लोगों की सहायता करना चाहते हैं जो जीवन में मानसिक और आत्मिक शांति की तलाश कर रहे हैं।

उनके इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया और व्यवसायिक दुनिया में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोगों ने इसे एक साहसी और प्रेरणादायक कदम बताया है, तो वहीं कुछ इसे एक असामान्य निर्णय मानते हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि प्रकाश शाह ने अपने भीतर की आवाज को सुना और उस राह पर चलने का साहस दिखाया, जिसे चुनना आसान नहीं होता।

प्रकाश शाह की यह यात्रा केवल एक व्यक्ति के बदलाव की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए एक संदेश भी है जो बाहरी चमक-धमक के पीछे दौड़ते हुए अपनी आत्मा की आवाज को भूल जाते हैं। उनका यह निर्णय हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि असली सफलता क्या है—धन और पद, या आत्मिक शांति और संतुलन? 🙏🏻🌹

पेल ब्लू डॉट (Pale Blue Dot): एक छोटा सा बिंदु, जहां हम सब हैं"पेल ब्लू डॉट" (Pale Blue Dot) केवल एक तस्वीर नहीं, बल्कि ...
27/06/2025

पेल ब्लू डॉट (Pale Blue Dot): एक छोटा सा बिंदु, जहां हम सब हैं

"पेल ब्लू डॉट" (Pale Blue Dot) केवल एक तस्वीर नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करने वाली एक ऐतिहासिक झलक है। यह फोटो 14 फरवरी 1990 को NASA के Voyager 1 अंतरिक्ष यान द्वारा खींची गई थी, जब वह पृथ्वी से लगभग 600 करोड़ किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में था। इस तस्वीर में पृथ्वी मात्र एक धुंधला सा नीला बिंदु है — एक बिंदु जो हमारे पूरे इतिहास, संस्कृति, जीवन और अस्तित्व को समेटे हुए है।

यह तस्वीर क्यों खास है?
Voyager 1 ने जब यह तस्वीर ली, तो वह सौरमंडल के किनारे की ओर बढ़ रहा था। अमेरिकी खगोलशास्त्री और लेखक कार्ल सागन के सुझाव पर NASA ने यान को पृथ्वी की ओर मुड़कर तस्वीर लेने का निर्देश दिया। तस्वीर में, सूर्य की रौशनी की चमक के बीच एक बेहद छोटा और फीका सा नीला बिंदु दिखाई देता है — वही है हमारी पृथ्वी।

इस तस्वीर को "Pale Blue Dot" यानी "फीका नीला बिंदु" नाम दिया गया, और कार्ल सागन ने इस पर एक अत्यंत प्रभावशाली और विचारोत्तेजक भाषण भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा:

“ध्यान से देखो उस बिंदु को। वही है हमारा घर। वहीं हैं हम सब। तुम, मैं, हमारे प्रियजन, इतिहास के सारे राजा, योद्धा, कवि, संत और पापी — सभी ने अपना जीवन वहीं बिताया।”

यह तस्वीर हमें क्या सिखाती है?
नम्रता और विनम्रता: जब हम पृथ्वी को इतनी दूरी से देखते हैं, तो समझ आता है कि हम कितने छोटे हैं। हमारे बीच की लड़ाइयाँ, सीमाएं, धर्म, जातियाँ — सब इस अनंत ब्रह्मांड के संदर्भ में नगण्य हैं।

पर्यावरण की रक्षा: यह नन्हा नीला बिंदु ही जीवन के लिए हमारी एकमात्र जगह है। हमें इसे बचाना, इसकी रक्षा करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखना हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।

मानवता की एकता: ब्रह्मांड में कहीं और जीवन की पुष्टि अब तक नहीं हुई है। इसका अर्थ है कि हम सभी एक ही घर के निवासी हैं, और आपसी सहयोग ही हमारे अस्तित्व की कुंजी है।

ब्रह्मांड में हमारी स्थिति
जब हम अंतरिक्ष की विशालता को देखते हैं, तब "पेल ब्लू डॉट" हमें हमारे वास्तविक स्थान का एहसास कराता है। अरबों तारों और ग्रहों के बीच यह बिंदु ही हमारा जीवन, हमारी कहानियाँ और हमारे सपने समेटे हुए है। यह फोटो न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें दर्शन, भावनाओं और इंसानियत के स्तर पर भी गहराई से सोचने को मजबूर करती है।🙏🏻🙏🏻

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