सुनील शर्मा

सुनील शर्मा Entertainment,news clippings, videos belonging to nature, rivers etc हम अपने अंदाज में मस्त हैं
जरुरी नहीं की सबको पसंद आए.

07/10/2025
07/10/2025

दिखावे के आयोजन और समाज की सच्‍चाई

आज कल जगह-जगह नए-नए दंगल और भव्य आयोजन हो रहे हैं। लाखों रुपए इन आयोजनों में बहाए जा रहे हैं, जिनका असली मकसद अब खेल या परंपरा नहीं बल्कि स्टेटस और दिखावा बन गया है। वही दंगल, जो कभी आपसी मेलजोल और अनुशासन का प्रतीक था, अब पैसे और प्रतिष्ठा की दौड़ में बदल गया है ।
लेकिन सोचिए – क्या यही ऊर्जा, यही धन, हम अपने समाज के सबसे जरूरतमंद लोगों की मदद में नहीं लगा सकते?
लाखों लोग इलाज के पैसे के अभाव में दम तोड़ देते हैं। कितने गरीब खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लिए कोई बड़ी सामाजिक मुहिम नहीं दिखती।
अफसोस की बात है, ऐसे वक्त में समाज का यही हिस्सा, जो दिखावे में आगे रहता है, मानवता की खोज में पीछे रह जाता है ।
दंगल ही नहीं, हमारे समाज में कई ऐसे आयोजन जैसे बड़ी-बड़ी शादियाँ और दहेज, बारहवीं–तेरहवीं के भोज, महंगी झांकियाँ आदि कई ऐसे आयोजन किए जाते हैं जिनके बिना भी समाज, परिवार और रिश्ते मजबूत रह सकते हैं ।
इन आयोजनों में फिजूलखर्ची, सामाजिक दबाव और दिखावे की भावना हावी हो गई है और जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने का असली मकसद कहीं खो गया है।
अगर इसी तरह ऊर्जा, समय और पैसा जरूरतमंदों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास में लगाया जाए, तो देश-समाज वास्तव में आगे बढ़ेगा।
दिखावे, धन और स्टेटस वाली होड़ छोड़कर इंसानियत, सहयोग और सेवा का उत्सव मनाना चाहिए।
असली दंगल मैदान में नहीं, समाज की असमानता और संवेदनहीनता को हराने में है!
"दिखावे का उत्सव नहीं, मदद का जज्बा हो समाज का असली पर्व!"
"मेरी बातों को किसी तरह से अन्यथा न लिया जाए, यह केवल मेरा निजी विचार है और मेरा इरादा किसी को आहत करने का नहीं है।"🙏🙏🙏

🌿 **खुशियों की खेती** 🌿जब हम कोई पौधा लगाते हैं तो मन में यही उम्मीद होती है कि एक दिन ये बड़ा होकर हमें फल या फूल देगा।...
14/09/2025

🌿 **खुशियों की खेती** 🌿
जब हम कोई पौधा लगाते हैं तो मन में यही उम्मीद होती है कि एक दिन ये बड़ा होकर हमें फल या फूल देगा। और जब वह पौधा सचमुच फल देने लगता है, तो उस खुशी और सुकून को शब्दों में बयां करना मुश्किल हो जाता है।
दो साल पहले लगाया गया अमरूद का पौधा आज फलों से लदा देखकर मन भर आया। चेहरे पर आई मुस्कान और दिल को मिली तसल्ली वाकई अनमोल है। 🍐
खेती-बाड़ी का शौक तो है, लेकिन समय की कमी अक्सर आड़े आ जाती है। फिर भी जब भी मौका मिलता है, पौधे लगाने की कोशिश करता हूं। हाल ही में करीब 3 महीने पहले लगाया गया सहजन का पौधा अब पूरे शबाब पर है। लगता है कि आने वाले दो साल में ये भी अपनी सब्ज़ियों से घर आँगन महका देगा।
सच कहूं तो पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते, ये जीवन में उम्मीद, धैर्य और सुकून भी भरते हैं।🌳🥦
Sunil Sharma

12/09/2025

✨ ज़िन्दगी और मतलबी लोग ✨

लोग आपका फायदा तब तक उठाते हैं, जब तक उन्हें आपसे जरूरत होती है।
लेकिन याद रखो — हर ठोकर तुम्हें और मजबूत बनाने के लिए आती है। 💪
👉 "ना" कहना सीखो।
👉 उम्मीदें कम रखो।
👉 खुद से इतना प्यार करो कि किसी के जाने से तुम टूटो नहीं।
मतलबी लोग हमेशा रहेंगे…
लेकिन तुम्हारी अच्छाई ही तुम्हारी ताकत है, कमजोरी नहीं। 🌸

अब से ‘गाली देना’ भी हेल्थ टिप्स की लिस्ट में शामिल कर लो!🤣🤣🤣
09/09/2025

अब से ‘गाली देना’ भी हेल्थ टिप्स की लिस्ट में शामिल कर लो!🤣🤣🤣

🌺 *जन्मदिन की शुभकामनाएँ निधि* 🌺जीवन की लंबी यात्रा में पति का असली सहारा उसकी पत्नी होती है। वो सिर्फ़ घर की ज़िम्मेदार...
08/09/2025

🌺 *जन्मदिन की शुभकामनाएँ निधि* 🌺

जीवन की लंबी यात्रा में पति का असली सहारा उसकी पत्नी होती है। वो सिर्फ़ घर की ज़िम्मेदारी ही नहीं निभाती, बल्कि हर मोड़ पर हिम्मत, धैर्य और समझदारी से रास्ता आसान करती है।
*निधि*, तुमने मेरे जीवन को संवारने और संभालने में जो योगदान दिया है, वो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। तुम्हारा साथ मेरे लिए भाग्य का सबसे बड़ा उपहार है।
आज तुम्हारे जन्मदिन पर दिल से यही दुआ करता हूँ कि ईश्वर तुम्हें लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और जीवनभर खुशियाँ दे। 🙏❤️
🎂✨ जन्मदिन मुबारक हो ✨🎂

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02/09/2025

✨ आधुनिक असुर और धर्म पर कुतर्क✨

पुराने समय में जब भी यज्ञ या कोई बड़ा धार्मिक कार्य होता था, असुर आकर उसमें विघ्न डालते थे। आज के समय में भी तस्वीर वही है, बस रूप बदल गया है। अब असुर तलवार लेकर नहीं आते, बल्कि कुतर्क और दिखावटी ज्ञान लेकर आते हैं।आज यदि कोई पूजा, हवन या धार्मिक आयोजन करता है तो ऐसे लोग ताने मारते हैं –
"यह सब अंधविश्वास है…", "ऐसे नहीं, वैसे करो…"
जैसे कि सारा वेद और धार्मिक ज्ञान सिर्फ इन्हीं के पास सुरक्षित हो। सच्चाई यह है कि इनमें से अधिकतर लोग खुद अपने जीवन को ही पवित्र नहीं रख पाए।
शाम को मांस, मदिरा, भांग और चरस का सेवन करने वाले सुबह ज्ञान बांटने निकल पड़ते हैं।
कुछ लोग अपनी सहूलियत के लिए पूजा पद्धति को शॉर्टकट बना चुके हैं और वही दूसरों को उपदेश देने लगे हैं।
याद रखो –
* किसी देवता की पूजा से कभी विनाश नहीं होता।
* असली विनाश बुरे कर्मों से होता है।
* जब इंसान बुरा आचरण करता है, व्यसन करता है, दूसरों को कष्ट देता है और प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करता है… तब विनाश निश्चित है।
पूजा और आराधना तो आत्मा को शुद्ध करने का साधन है। असली ज्ञान वही है जो जीवन को सुधार दे, न कि वह जो दिखावे और नशे की आड़ में लोगों को गुमराह करे।
इसलिए पहले खुद धर्म और पूजा पद्धति को पढ़ो, समझो और आत्मसात करो। फिर दूसरों को ज्ञान दो।
देवता की भक्ति से नहीं, बुरे कर्मों से अनिष्ट होता है।यही सनातन सत्य है।🙏🙏🙏
#गणपति

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