29/06/2025
*उत्तराखंड एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई- एसटीएफ उत्तराखंड का साइबर ठगों पर वार: डिजिटल हाउस अरेस्ट फ्रॉड में एक आरोपी पूर्व में गिरफ्तार, मास्टरमाइंड को अब भोपाल सेंट्रल जेल से बी वारंट पर दबोचा गया "*
*एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राईम पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रचलित "डिजिटल हाउस अरेस्ट" स्कैम का भण्डाफोड़ करते हुये एक अभियुक्त को अब भोपाल सेंट्रल जेल से बी वारंट पर गिरफ्तार किया है।*
*देहरादून निवासी एक पीड़िता को साइबर ठगों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 1 करोड़ 70 लाख रुपये ठगे जाने के मामले में हुआ इस गिरोह का पर्दाफाश।*
*गिरोह द्वारा मुम्बई क्राईम ब्रान्च, CBI के ऑफिसर बन Skype App पर वीडियो कॉल व वॉइस कॉल माध्यम से पीड़िता को किया गया था डिजिटल अरेस्ट*
*श्रीमान पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड, श्री दीपम सेठ के दिशा निर्देशन में साईबर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुये साईबर पीड़ितो को न्याय दिलाया जा रहा है* ।
*वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 श्री नवनीत सिंह* द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि देहरादून निवासी पीड़िता द्वारा साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई कि उसके मोबाइल नं0 पर *Fedex कोरियर* से एक कॉल आयी कि आपका एक *पार्सल है जो मुम्बई से ताईवान* के लिये भेजा गया था, उक्त पार्सल पर आपका नाम, मोबाइल नम्बर व ईमेल आई0डी0 अंकित है और उस पार्सल में कुछ अवैध दस्तावेज व सामान जिसमें *05 पासपोर्ट, 05 ATM कार्ड, 01 लैपटॉप, 5000 US डॉलर कैश, 200 ग्राम M**A नारकोटिक ड्रग तथा 04 किलो कपड़े मिले है* जिसके आधार पर “पहचान की चोरी, ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग” मामले का हिस्सा होने का आरोप लगाकर गिरफ़्तार करने की धमकी दी और तथा 30 से 90 दिनों के लिए गैर-ज़मानती गिरफ़्तार होने के बात बतायी गयी फिर मुम्बई क्राईम ब्रान्च द्वारा पार्सल के बारे में जानकारी ली गयी और आधार कार्ड नम्बर पूछ गया और बताया कि आपका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में कई बार इस्तेमाल हो चुका है तथा इस मामले में व्यक्तिगत रुप से मुम्बई आकर केस में सहयोग करना होगा अथवा ऑनलाइन माध्यम से बयान दर्ज कराने को कहा गया। जिस पर उसके द्वारा ऑनलाइन बयान कराने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया तो उनके द्वारा बताया कि Skype App बयान दर्ज करवाने का अधिकारिक माध्यम है और Skype App डाउनलोड करवाकर उक्त ऐप के सर्च में जाकर मुम्बई की एक क्राईम ब्रांच साईट पर कनैक्ट करवाकर वीडियो कॉल शुरु की गयी और चैट में पुलिस आई0डी0 कार्ड भेजा गया व घण्टों तक पूरी जाँच प्रक्रिया समझाते हुये बताया गया कि उक्त सारी जाँच प्रक्रिया न्यायालय में पेश करने के लिये रिकॉर्ड की जायेगी जिसमें 02 घण्टे से 02 दिन भी लग सकते हैं तथा इस दौरान दरवाजा बन्द रखने व किसी से भी बात करने से मना किया गया। इसके बाद उसके सभी बैंक खातों की जानकारी प्राप्त कर खातों में अनियमितता पायी जाना बताकर इस प्रकरण में आर0बी0आई0 को भी शामिल करने की बात कहते हुये सारा पैसा वैरिफिकेशन हेतु बताये गये खाते में ट्रांसफर करने को बताया गया कि जाँच के बाद आपका सारा पैसा आपके खाते में वापस कर दिया जायेगा। उनके बताये अनुसार पैसा ट्रांसफर करने के बाद उनके द्वारा और अधिक रुपये ट्रांसफर करने को कहने पर जब वह असमर्थ रही तो ये लोग भड़क गये और धमकाने लगे की पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट PCC न मिलने के कारण आपके इण्डिया के सारे अकाउण्ट फ्रीज हो जायेंगे और आपको 07 साल की सजा हो जायेगी और कॉल डिसकनैक्ट कर दी गयी। इसके बाद ही उन्हे अहसास हुआ कि उसके साथ करोड़ो रुपये की ठगी हो चुकी है।साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी ।
प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत *वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में मामले का प्रवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक श्री स्वप्न किशोर, पुलिस उपाधीक्षक श्री अंकुश मिश्रा मिश्रा एवं विवेचना श्री विकास भारद्वाज निरीक्षक* साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये |
साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी और साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त दिनेश कुमार खींची पुत्र मंगल खींची निवासी खटीको का मोहल्ला डीडवारा किशनगढ़ अजमेर राजस्थान को भोपाल सेंट्रल जेल से बी वारंट पर गिरफ्तार किया है।
*अपराध का तरीका* :-
डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवाआपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है। कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए।इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।
Uttarakhand Police समाचार इंडिया 24