27/09/2025
सुबह की रोशनी कमरे में झाँक रही थी।
मैंने आईने में खुद को देखा तो चेहरा गुलाबी और आँखों में चमक थी।
रात की यादें अब भी मन में गूँज रही थीं।
वो दरवाज़े पर खड़ा मुझे देख रहा था।
उसकी मुस्कान ने मेरी झिझक को और कम कर दिया।
मैंने भी मुस्कुराकर जवाब दिया और माहौल फिर से हल्का हो गया।
उसने धीरे से कहा — “कल की रात कभी भूल नहीं पाऊँगा।”
मेरे गाल लाल हो गए, मैंने सिर झुका लिया।
उसने नज़दीक आकर मेरा हाथ थामा और बोला — “ये रिश्ता अब सिर्फ़ औपचारिक नहीं रहा, इसमें दिल और अपनापन भी जुड़ गया है।”
उसके शब्द मेरे दिल को छू गए।
एक पल को लगा जैसे मैं किसी सपने में हूँ।
मैंने कहा — “लेकिन हमें संभलकर चलना होगा, ये रास्ता आसान नहीं है।”
उसने हाँ में सिर हिलाया और बोला — “जो भी होगा, हम साथ झेलेंगे।”
उसका भरोसा और उसकी आँखों में अपनापन देखकर मैं और भी निडर हो गई।
अब हमारे बीच सिर्फ़ रात का रोमांच नहीं था, बल्कि एक गहरा रिश्ता भी बनने लगा था।