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सावन में शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने के लिए, आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। फिर, एक ता...
14/07/2025

सावन में शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने के लिए, आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। फिर, एक तांबे के लोटे में जल भरकर, शिवलिंग के सामने उत्तर दिशा में मुख करके खड़े हो जाएं। जल को धीरे-धीरे शिवलिंग पर अर्पित करें, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए। जल चढ़ाते समय, आप बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद फूल और अक्षत भी चढ़ा सकते हैं।
सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि:
1. स्नान और शुद्धता:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए आवश्यक है।
2. लोटा और जल:
एक तांबे, कांसे या चांदी के लोटे में जल भरें।
3. दिशा:
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपका मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
4. जल चढ़ाते समय:
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए, जल को धीरे-धीरे शिवलिंग पर अर्पित करें।
5. अन्य सामग्री:
जल के साथ, आप बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद फूल और अक्षत भी चढ़ा सकते हैं।
6. जलाधारी:
जल चढ़ाते समय, जलाधारी के दाएं और बाएं ओर भी जल चढ़ाएं, जो क्रमशः गणेश जी और कार्तिकेय जी का स्थान है।
7. अशोक सुंदरी:
फिर, अशोक सुंदरी को जल चढ़ाएं और अंत में, पीठम के चारों ओर जल चढ़ाएं, जो माता पार्वती का स्थान है।
8. प्रार्थना:
जल चढ़ाने के बाद, अपनी मनोकामना व्यक्त करें और भगवान शिव से आशीर्वाद लें।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
समय:
सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच जल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
दिशा:
उत्तर दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाएं।
मंत्र:
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
श्रद्धा:
श्रद्धा और भक्ति के साथ जल चढ़ाएं।
यह विधि भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।




13/07/2025

।। संन्यास ।।

आचार्य शंकर कहते हैं- ब्राह्मण सम्पूर्ण कर्म तथा देव-पितृ-मनुष्य लोक सम्बन्धी यज्ञोपवीत आदि को छोड़कर, चूंकि इन्ही के द्वारा देव-पितृ-ऋषि सम्बन्धी कर्म किये जाते हैं। देव-कर्म में यज्ञोपवीत बायें कन्धे पर, ऋषि-कर्म में कण्ठीवत् और पितृ-कर्म में दायें कन्धे पर यज्ञोपवीत होता है। यज्ञोवीत को त्याग करके परमहंस परिव्राजक भाव को प्राप्त होकर भिक्षा वृत्ति से निर्वाह करते हैं। विविदिशा संन्यासी तो दण्ड आदि चिन्हों को धारण करते हैं तथा विद्वत् संन्यासी दण्ड आदि चिन्हों से रहित होते हैं।

स्मृतियों में कहा है-
"तस्मादलिङ्गो धर्मज्ञोऽव्यक्त लिङ्गोऽव्यक्ताचार:।
अथ परिव्राड् विवर्ण वासा मुण्डोऽपरिग्रह:।।"

इसलिए धर्मज्ञ विद्वान् संन्यास की पहचान दण्ड तथा आचार से रहित हो तथा गुप्त आचार वाला हो। संन्यास के अनन्तर परिव्राजक संन्यासी बिना रङ्ग के वस्त्र धारण करे, मुण्डन करवावे तथा परिग्रह (संग्रह) न करे, शिखा सहित केशों को कटवा कर यज्ञोपवीत को विसर्जित कर दे।

भगवती श्रुति तो "भिक्षा करते हैं"- ऐसा कहती है, इसमें वर्तमान काल लट् लकार की क्रिया का प्रयोग किया गया है। इसीलिए यह प्रशंसा मात्र है, विधि-वचन नहीं। आचार्य की बात को सुनकर पूर्वपक्षी कहता है-

श्रुति-स्मृति यज्ञोपवीत का साधनों सहित त्याग की आज्ञा नहीं देती, क्योंकि उपनयन के अनन्तर वेदाध्ययन करे-करवाये, यज्ञ करे-करवाये, संन्यास में वेद विहित है अर्थात् वेद का त्याग न करे-

"वेद संन्यासनाच्छूद्रस्तस्माद्वेदं न संन्यसेत्। स्वाध्याय एवोत्सृज्यमानोवाचं [आपस्तम्ब:] ब्रह्मोज्झं वेद निन्दा च कौट साक्ष्यं सुहृद वध:। गर्हितानन्नाद्ययोर्जग्धि: सुरापान समानिषट्।"

ब्राह्मण वेद का त्याग न करे, इसका त्याग करने से वह शूद्र हो जाता है। वाणी का त्याग करने वाले को स्वाध्याय करना चाहिए। वेद का त्याग, वेद की निन्दा, झूठी गवाही, मित्र की उपासना, अतिथि सेवा, हवन, जप, कर्म, भोजन में, आचमन में, स्वाध्याय में यज्ञोपवीत होना चाहिए।

संन्यासियों के धर्म में भी गुरुओं की सेवा, स्वाध्याय, भिक्षा, आचमन आदि कर्म पाये जाते हैं, यज्ञोपवीत गुरुओं की सेवा का अंग होने से त्याज्य नहीं है, यद्यपि तीनों चेष्टाएं विद्यमान है।

इसीलिए पुत्रादि इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, किन्तु वेद-विहित कर्मों का, शिखा- यज्ञोपवीत आदि का त्याग उचित नहीं। इनका त्याग क़रने से निन्दनीय कर्म के आचरण में प्रवृत्ति होगी तथा न त्यागने योग्य यज्ञोपवीत आदि का त्याग महान अपराध है, अतः संन्यासियों को इनका त्याग नहीं करना चाहिए, इनका त्याग वेद-विरुद्ध है, अज्ञान से इनका त्याग किया जाता है।

पूर्वपक्षी की बात सुनकर अब आचार्य शंकर समाधान करते हैं कि- ऐसी बात नहीं है।

"यज्ञोपवीतं वेदांश्च सर्वतद्वर्जयेद्यति:।"

यज्ञोपवीत तथा वेद का यति त्याग कर दें।

सम्पूर्ण उपनिषदें ज्ञान परक हैं। आत्मदर्शन करना चाहिए। इसके लिये आत्मा के सम्बन्ध में सुनना, विचार करना तथा निदिध्यासन करना चाहिए। वह आत्मा साक्षात् अपरोक्ष, सर्वान्तर, भूख-प्यास आदि संसारी धर्मों से रहित है, उसका अनुभव करना चाहिए।

सम्पूर्ण उपनिषदों का यही तात्पर्य है, इसमें प्रशंसा यथार्थ है। इसके विपरीत आत्मा को इन धर्मों से युक्त मानना अज्ञान अथवा अविद्या है।

"अन्योऽसावन्योहमस्मीति। न स वेद। मृत्यो: स मृत्युमाप्नोति। य इहनानेवपश्यति। एकदैवानुद्रष्टव्यम्। एकमेवाद्वितीयम् तत्त्वमसि इत्यादि श्रुतिभ्य:।"

️मैं और हूँ, परमात्मा और है अथवा इष्टदेव और है- इस भेदबुद्धि से उपासना करने वाला देवताओं का पशु है। जो परमतत्त्व को नहीं जानता, जो एक ब्रह्म में अनेकत्त्व देखता है, वह जन्म-मरण से नहीं छूटता।

अतः, "एकमात्र ब्रह्म को ही देखना चाहिए।" "एक अद्वितीय ब्रह्म ही है।", "वही ब्रह्म तुम हो"- इत्यादि श्रुतियों से सिद्ध है। इस प्रकार के श्रुतियों के सैंकड़ो वचन एक ब्रह्म को सत्य तथा जगत् को मिथ्या सिद्ध करते हैं, जीवात्मा के एकत्त्व का प्रतिपादन करते हैं।

अन्धकार और प्रकाश के समान विरोध होने से विद्या- अविद्या एक पुरुष में एक ही साथ नहीं रह सकती; इसीलिए आत्मवेत्ता को अविद्या में अधिकार नहीं है। क्रिया-कारक फल में भेद होने से वह बार-बार जन्म-मरण को प्राप्त करता है; इसीलिए श्रुति ने निन्दा की है।

सम्पूर्ण क्रियाएं, साधन तथा फल अविद्या विषयक होने से त्याज्य है; इसीलिए यज्ञोपवीतादि साधनों से सिद्ध होने वाले, अविद्या से होने वाले कर्म तथा ऐषणाओं का त्याग करके संन्यास लेने की विधि है।

।। जय जय सियाराम ।।
Mahayogi Muni Baba

राधिका यादव... आखिर हत्या की वजह क्या ?एक अनसुलझी पहेली की तरह एक होनहारइस दुनिया से चली जाती है लेकिन अपने पीछेकई सबक औ...
12/07/2025

राधिका यादव... आखिर हत्या की वजह क्या ?
एक अनसुलझी पहेली की तरह एक होनहार
इस दुनिया से चली जाती है लेकिन अपने पीछे
कई सबक और न जाने कितने सवाल छोड़ गयी.

राधिका यादव की हत्या हो गई
पिता दीपक यादव जेल गया
मां और परिवार का रो रो कर बुरा हाल है
पूरा घर बर्बाद हो गया

लेकिन सवाल कि इनामुल हक का क्या गया ?

अगला बहुत बड़ा सवाल... जो पिता ख़ुशी ख़ुशी अपनी बेटी को टेनिस खेलने को पूरे देश में भेज रहा था आखिर वो ऐसे ही अपनी ही बेटी को क्यों मारेगा

थोड़ा गौर करने वाली बात अगर आप वास्तव में. इस पहेली को समझना चाहते हैं तो ये पढ़िए

गाने का सिंगर और लिरिक्स - इनाम मुहम्मद
गाने का कम्पोजर - जमील अहमद
म्यूजिक डायरेक्टर - शहज़ान मुज़ीब
प्रोडूसर - ज़ीशान अहमद
सिनेमाटोग्राफी - मुहीब शेख
एसोसिएट प्रोडूसर - अनस मुहम्मद
स्पेशल thanks - मुहम्मद साहिल

गाने का एक्टर् - इनामुल हक

और गाने की एक्ट्रेस - "राधिका यादव"

मतलब एक पूरा का पूरा ट्रैप, जिसमें एक अकेली हिन्दू बेटी को घेर लिया गया था

और शायद पिता इस ट्रैप को समझ चुका था

हालांकि पुलिस कुछ और ही स्टोरी बता रही है कि पिता बेटी के टेनिस अकादमी खोलने से नाराज़ था लेकिन सवाल ये कि जो पिता बेटी को टेनिस प्लेयर बना रहा था वो उसकी अकादमी से खुश होगा या नाराज़ ?

कुछ भी हो लेकिन राधिका आज इस दुनिया में नहीं है, और राधिका का पूरा परिवार बर्बाद हो गया है ✍️

आपको क्या लगता है...

मैं तुम तक आकर रुक जाउंगा बाबा,उसके आगे तुम हाथ पकड़कर चलाना महादेव।हर हर महादेव🙏🚩
11/07/2025

मैं तुम तक आकर रुक जाउंगा बाबा,
उसके आगे तुम हाथ पकड़कर चलाना महादेव।

हर हर महादेव🙏🚩

!!यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है।श्री सौम्या केशव पेरुमल भू देवी और श्री देवी के साथ खड़ी मुद्रा में हैं!!अधिशेषण के आ...
10/07/2025

!!यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है।
श्री सौम्या केशव पेरुमल भू देवी और श्री देवी के साथ खड़ी मुद्रा में हैं!!
अधिशेषण के आसपास 108 शंख (शंकु) खुदे हुए हैं। अधिशेषण के सिर को राहु और पूंछ को केतु के रूप में माना जाता है।

🚩राहु-केतु परिहार पूजा के लिए, लोगों को अधिशन के नीचे खड़े होने के लिए कहा जाता है। माना जाता है कि यह परिहार पूजा संतान भाग्य, मानसिक बीमारी, विवाह में देरी आदि समस्याओं को दूर करती है।
माना जाता है कि गरुड़ स्तम्भम को श्री रामानुजर ने बनवाया था।🙏

धरती अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी,
09/07/2025

धरती अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी,

🌺काद्यवर्चा गणपति की मूर्ति एक ही शिलाखंड से बनाई गई है और माथेरान में एक पहाड़ के किनारे स्थित होने के कारण इसे यह नाम ...
09/07/2025

🌺काद्यवर्चा गणपति की मूर्ति एक ही शिलाखंड से बनाई गई है और माथेरान में एक पहाड़ के किनारे स्थित होने के कारण इसे यह नाम दिया गया है।🌹

🙏गणपति बप्पा मोरया🙏

सूरत (गुजरात) के उमरा गांव में त्रेतायुग का शिवलिंग स्थापित है। तापी नदी के तट पर यह शिवलिंग प्रभु श्रीराम के पूजन के लि...
09/07/2025

सूरत (गुजरात) के उमरा गांव में त्रेतायुग का शिवलिंग स्थापित है। तापी नदी के तट पर यह शिवलिंग प्रभु श्रीराम के पूजन के लिए प्रगट हुआ था। षट्तिला एकादशी के दिन भक्त इस शिवलिंग पर पुष्प के साथ केकड़ा चढ़ाते हैं। कहते हैं कि प्रभु श्रीराम के वरदान से यहां केकड़ा पूजा जाता है।🙏

पारिजात वृक्ष - सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। इसको छूने का हक सिर्फ  #उर्वशी को था,,,समुद्र मंथन के स...
08/07/2025

पारिजात वृक्ष - सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। इसको छूने का हक सिर्फ #उर्वशी को था,,,

समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था,, #पारिजात नाम है इसका,,इसे ही #कल्पवृक्ष भी कहा गया है,,

⚜️ पूरी रात सुगंधी बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है!अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता,अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें,अद्भूत ताजगी मिलेगी....

⚜️यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है....

⚜️इंद्र के बगीचे में स्थित इस वृक्ष को सिर्फ उर्वशी को छूने का अधिकार था,,, इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। स्वर्ग में इसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी,पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलों को देव मुनि नारद ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था,इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए!

⚜️सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने पारिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया,जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात को प्राप्त कर लिया,श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया!

⚜️भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में,परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे,एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था!

⚜️यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है,पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है,जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है,यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है!

⚜️यह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है,साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है,इस उपयोगी वृक्ष को अवश्य ही घर के आसपास लगाना चाहिए!!!

पारिजात एक पुष्प देने वाला वृक्ष है, इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है...... पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब झड जाते है ...।
पारिजात अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।
#साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता...... हारसिंगार के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ...... पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें.....तेज आग पर मत पकाए....चाय की तरह पकाए,चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले... पहली बार मे ही 10% फायदा होगा.... प्रतिदिन 2 बार पिए ... इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए,दही लस्सी और आचार न खाएं.

अब यह वृक्ष धरती पर है,,न इस पेड़ के #बीज बनते हैं,, और न ही इसको #कलम विधि के द्वारा पैदा किया जा सकता है,,,कुदरत ही इसकी पैदा करने वाली है,,,

रात को इसके फूल खिलते हैं,,और गंध इतनी दिव्य है कि इस लोक की लगती ही नहीं है,,, ईश्वर के आशीर्वाद अद्भुत और विचित्र हैं,,

जिनको #पारिजात_के_पौधे चाहिए वे हमारे औषधालय में आकर निःशुल्क रूप से ले जा सकते हैं ऐसा अवसर बहुत कम मिलता है।

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि जुगनू को देखने वाली हम आखिरी पीढ़ी है। जुगनू धीरे धीरे विलुप्त हो...
07/07/2025

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि जुगनू को देखने वाली हम आखिरी पीढ़ी है। जुगनू धीरे धीरे विलुप्त हो गए है! जुगनू की खासियत ये है कि ये रात में बैटरी की तरह चमकते है। अलग अलग जगह पर इसको अलग नाम से जाना जाता है, हरियाणा में इसको “पटबिजणा” कहा जाता है!

सोचिए, आपका फ़ोन बिना तार के चार्ज हो रहा है, या दूर-दराज के इलाकों में भी पलक झपकते ही बिना तार के बिजली पहुंच रही है!य...
06/07/2025

सोचिए, आपका फ़ोन बिना तार के चार्ज हो रहा है, या दूर-दराज के इलाकों में भी पलक झपकते ही बिना तार के बिजली पहुंच रही है!
यह बात सुनने में भले ही साइंस फिक्शन लगे, लेकिन अब यह सिर्फ कल्पना नहीं है!

जून 2025 में, अमेरिकी रक्षा अनुसंधान एजेंसी DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) ने न्यू मैक्सिको में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है।
उन्होंने लेजर तकनीक की मदद से 800 वॉट ऊर्जा को 5.3 मील (8.6 किमी) दूर सफलतापूर्वक भेजा है!
इस 30 सेकंड के प्रयोग में 1 मेगाजूल से अधिक ऊर्जा भेजी गई, जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

यह सफलता साबित करती है कि लंबी दूरी तक वायरलेस बिजली भेजना अब कोई सपना नहीं, बल्कि एक उज्ज्वल वास्तविकता है।
एक शक्तिशाली लेजर और विशेष रिसीवर का उपयोग करके, हवा में उड़ने वाले ड्रोन, बिना ईंधन वाले सैन्य ठिकाने, और यहां तक कि दुर्गम क्षेत्रों में भी बिजली पहुंचाना संभव होगा।

आश्चर्यजनक रूप से, वायरलेस बिजली भेजने का यह सपना लगभग एक सदी से भी पहले महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने देखा था।
उन्होंने 'वर्ल्ड सिस्टम' नामक एक विशाल टावर के निर्माण के माध्यम से दुनिया भर में वायरलेस बिजली वितरण की कल्पना की थी, हालांकि विभिन्न सीमाओं के कारण तब यह साकार नहीं हो पाया था।
DARPA की यह सफलता टेस्ला के उस दूरदर्शी सपने को नया जीवन दे रही है!

लेकिन सिर्फ यु'द्ध के मैदान में ही नहीं, यह वायरलेस बिजली तकनीक हमारे दैनिक जीवन में जो क्रांति ला सकती है, वह अकल्पनीय है!
यह तकनीक हमारे दैनिक जीवन को और अधिक सुविधाजनक, कुशल और सुरक्षित बनाएगी।

हो सकता है निकट भविष्य में हम एक ऐसी दुनिया में रहें जहाँ तारों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी और बिजली और अधिक सुलभ होगी। ⚡❤️

मंदिरों की लौटी हुई रौनक बता रहीं है,हमारे महादेव का सावन आने वाला है..❤️🚩
05/07/2025

मंदिरों की लौटी हुई रौनक बता रहीं है,
हमारे महादेव का सावन आने वाला है..❤️🚩

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