17/03/2025
राजकुमार बनते नही है
बल्कि ये समाज के लोग बनाते है उन्हें
एक सीधा साधा लड़का जो कॉलेज के लिए गया हुआ था
उसने खुद भी जातिवाद महसुस करा था और
लोगों के दो चेहरे भी देखे थे
जिनकी कथनी करनी में अंतर होता है
जो ख़ुद बाहर तो कहते है जाति वाद नही होता
पर उनके ही घर से सबसे ज्यादा गंदगी निकलती है
उनकी गालिया ही किसी जाति का नाम है,
वो कहते है महापुरुष सब बराबर
पर कभी गोविंद गुरु जयंती, बिरसा मुंडा जयंती नही मनाएंगे
वो कहते है जातिवाद सही नही
पर आरक्षण का नाम होते ही तरह तरह के ब्लेम करने लग जाते है,
जिनका 90 फीसदी समाज आज तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है
ऐसे आदिवासी, पिछड़े समाज के लोग
जब 10 परसेंट सक्सेस होते है तो बार बार 10 परसेंट का उदाहरण देकर आरक्षण का मजाल बनाते है
आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी
अगर तुम आरक्षण को इतना बुरा मानते हो तो
कभी ये सोचा कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
इनके शंकराचार्य आज भी च*..र , *हरि.... जैसी जातियों को नीचा बताते है फिर भी ये विरोध नही कर पाते,,,,
और जब तुम दोगला चेहरे अपनाते हो इसलिए राजकुमार बमते है और दिल्ली हिलती है
बाकी गोविंद गुरु, संत सुरमाल दास, पुंजा भील, टंट्या मामा के वंशज तुमसे बड़े सनातनी है....बस तुम सनातनी नही बन पाए