
01/09/2025
उत्तराखंड के श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच, अलकनंदा नदी के किनारे स्थित धारी देवी मंदिर है।यह मान्यता है कि देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती है। सुबह में वे एक बालिका के रूप में, दोपहर में एक युवती के रूप में और शाम को एक वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं। धारी देवी की मूर्ति को कभी भी छत के नीचे नहीं रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी को खुले आसमान के नीचे रहना पसंद है ताकि वे नदी की आवाज सुन सकें और स्वच्छ हवा का आनंद ले सकें।
धारी देवी मंदिर का इतिहास 2013 की उत्तराखंड त्रासदी से भी जुड़ा हुआ है। 16 जून, 2013 को एक जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए देवी की मूर्ति को उनके मूल स्थान से हटा दिया गया था। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि मूर्ति को हटाने के कुछ ही घंटों बाद भयानक बाढ़ और भूस्खलन आया, जिसने केदारनाथ और आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचाई। इस घटना को देवी के क्रोध से जोड़कर देखा जाता है। इस घटना के बाद, 2023 में मूर्ति को उनके मूल स्थान पर फिर से स्थापित किया गया।
उत्तराखंड की रक्षक देवी: धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि वे प्राकृतिक आपदाओं से इस क्षेत्र की रक्षा करती हैं।
चार धामों की संरक्षिका: यह मंदिर चार धाम यात्रा मार्ग पर स्थित है, इसलिए इसे चार धामों का रक्षक भी कहा जाता है। तीर्थयात्री अपनी यात्रा शुरू करने से पहले देवी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।