Travrist Madhur

Travrist Madhur Low cost travel in India & abroad. Love to see known & famous places as well as less explored places

15/10/2025

बेहद खूबसूरत व्यास घाटी🫶🏻

14/10/2025

दारमा घाटी, उत्तराखंड
जब आप धारचुला से इस घाटी की ओर जाते हैं तो आपको कई लोक-कथाएँ और मान्यताएँ सुनने को मिलती हैं ।। इन्हीं में से एक मान्यता है एक पहाड़ पर बनी छवि की, जिसकी वजह से इसके नीचे बसे गाँव को उसका नाम मिला।।
इस आकृति के ऐसे केवल यहाँ दो ही पहाड़ हैं ।।
विज्ञान है या दंतकथा आप ख़ुद ही तय कीजिए ।।

ब्रह्मा पर्वत: आदि कैलाश यात्रा का दौरान कई तीर्थयात्री इस पर्वत को देख अथवा भ्रमित होकर इस पर्वत को आदि कैलाश पर्वत भी ...
13/10/2025

ब्रह्मा पर्वत: आदि कैलाश यात्रा का दौरान कई तीर्थयात्री इस पर्वत को देख अथवा भ्रमित होकर इस पर्वत को आदि कैलाश पर्वत भी समझ लेते है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है लेकिन तब भी कुछ लोगों को यह पर्वत भ्रमित जरूर करता है। आदि कैलाश और ब्रह्म पर्वत दोनों देखने में थोड़े थोड़े समान लगते भी है
इस पर्वत की ऊंचाई 6321 मीटर हैं और इसके पवित्र पर्वत के दर्शन कुटी गांव के बाद और जोलिककोंग से पहले गणेश नाले से होते है।। पिछली दो यात्राओं में दोनों ही बार यह पर्वत बहुत स्पष्ट और सुंदर दिखाई दिया।






12/10/2025

छियालेख के 32 लूप्स और ये स्कूटी !! #

11/10/2025

इतनी ऊँचाई से आता हुआ झरना पहली बार देखा😲

09/10/2025

आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शन हेतु अधिकतम तीर्थयात्रियों के बेस का काम करता है - गूंजी गांव। यह गांव इन दोनों स्थानों के बीच है कि.मी की नजरों से नहीं अपितु इन दोनों ही जगहों का मार्ग इसी गांव से विपरीत दिशाओ में जाता है।

गूंजी गांव के लोगों का सरनेम गुंज्याल है इधर व्यास घाटी में एवं उत्तराखंड के कई गांवों में लोगों के सरनेम उनके गांव के नाम से ही बनते है। जैसे गूंजी से आदि कैलाश जाने पर एक बड़ा गांव आता है कुटी। यहां के लोगों का सरनेम है कुटियाल।

यहां के अधिकतर लोग तिब्बत के तकलाकोट में व्यापार के लिए जाया करते थे। अभी वो व्यापार बंद है। यहां के लोग आज भी उस समय की दिल खोल कर बात करते है और बोलते बोलते बहुत सारी कहानियों में आपको हिस्सेदार बना देते है।

ऐसा ही हुआ इस बार जब दारमा घाटी के दंतु गांव से चलकर हमारी सवारी गूंजी पहुंची। हमने गूंजी की मुख्य सड़क पर (एक ही सड़क है) एक होमस्टे देखा। कमरा और रेट आदि पता करने के बाद हम लोगों वहीं रुक गए।

"शुभम गुंज्याल होमस्टे" : फिलहाल गूंजी के सबसे अच्छे होमस्टे में से एक है। ऐसा इसलिए बोल सकता हूं क्योंकि हमने कुछ और भी होमस्टे देखे थे। खैर,, यहां हमारी मुलाकात हुई इस जगह की मालकिन अर्चना गुंज्याल जी से। क्या गजब की पर्सनेलिटी है आंटी जी की!!! वो पाँच साल पहले गूंजी की प्रधान थी। सब लोग उन्हें जानते है और वो भी सब लोगो को जानती है।

गूंजी गांव कैलाश मानसरोवर की पैदल यात्रा के दौरान रास्ते में आने वाला मुख्य पड़ाव हुआ करता था और आज भी है। आंटी जी के पास कई हजार कहानियां थी उस समय को लेकर। उनका होमस्टे बहुत पुराना है। लेकिन हाल ही में उन्होंने लेंटर वाली पहली बिल्डिंग गूंजी में बनाई थी जो अब होमस्टे का काम करती है।

अर्चना गुंज्याल जी लिपूलेख दर्रे से होते हुए तिब्बत में व्यापार करने भी जाती थी। वहां गुड़, चीनी, नमक आदि लेकर जाना और वहां से बहुत कुछ यहां ले आना। यही हर साल की कहानी थी। उन्होंने कैलाश मानसरोवर की भी यात्रा की।

जब दो रात हमारा उनके यहां रुकना हुआ तो उन्होंने हमे अपने कई अनुभव सुनाए जो कभी कभी रोंगटे खड़े कर देने वाले थे।

उनके होमस्टे में 10 के आसपास कमरे है जिनमें 2, 3, 4 ,5 बेड वाले अरेंजमेंट है। उत्तराखंड के इस क्षेत्र में कमरे के पैसे नहीं प्रति व्यक्ति पैसे लिए जाते है। जैसे 1500 प्रति व्यक्ति प्रति रात, इसमें एक बेड, डिनर और सुबह का नाश्ता शामिल है।

हमारा अनुभव यहां रुकने का बहुत ही अच्छा था। पहले दिन आंटी जी ने अपने बाग से ही साग तोड़ कर बना दिया। अगले दिन अपने खेत से सब्जी लेकर आए और हमे रात को खिलाया। उनके साथ इनका बेटा शुभम इस होमस्टे को चलाते हैं। फार्मेसी से ग्रेजुएट शुभम अपनी मम्मी का पूरा साथ दे रहे हैं।

यदि आप उस तरफ जाते है तो एक बार उनके यहां रुक कर स्थानीय जन जीवन की बहुत जानकारियां समेट सकते है।

इनका होमस्टे, गूगल मैप पर भी दिखता है। फोटो वहीं का है।

08/10/2025

हालांकि इस समय आदि कैलाश यात्रा इस साल के समापन की ओर बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल रोड की हालत थोड़ी ज्यादा खराब हो गई है। इस बरसात में 20 से ज्यादा जगह लैंडस्लाइड देखने को मिले जो पहाड़ों मैं सामान्य बात है। लेकिन अभी भी गूंजी से धारचूला का रोड कभी कभी अपना रौद्र रूप दिखा ही देता है। इस रोड पर तीन या चार ऐसे बैंड है जो कार और उसके ड्राइवर्स की कड़ी परीक्षा लेते है।

वैसे मुझे लगता है ऐसे मामलों में वाहन से ज्यादा ड्राइवर की परीक्षा होती है। यह वीडियो अभी 30 सितंबर को गूंजी कि तरफ जाते हुए बनाया था।






08/10/2025

चौकोरी गाँव का ख़ूबसूरत नज़ारा..

07/10/2025

बारिशों के बाद पहाड़ों पर जाओ तो ये तो होना ही है !!!!

कभी कभी ऊपर वाला ऐसी गणित बैठाता है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो..।।अभी 1 अक्टूबर को हम लोग सुबह 5 बजे गूंजी से चलकर ...
06/10/2025

कभी कभी ऊपर वाला ऐसी गणित बैठाता है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो..।।

अभी 1 अक्टूबर को हम लोग सुबह 5 बजे गूंजी से चलकर एक घंटे में नाभीढांग ॐ पर्वत के सामने एक आर्मी चेकपोस्ट पर खड़े थे और हमारे मन में चल रहा था कि कैसे भी आज नाभीढांग से आगे लिपू लेख दर्रे तक जाने की अनुमति मिल जाए। परंतु 1 अक्टूबर के भारत और चीन की कोई सेना मीटिंग थी जिसके कारण हमे वहां से वापिस आना पड़ा। मन बहुत भारी हो रहा था।

आज हम लिपू लेख दर्रे से कैलाश पर्वत के दर्शन करने से चूक गए थे। लेकिन हमने कार का मुंह आदि कैलाश की ओर घुमा दिया और 3 घंटे बाद हम आदि कैलाश के दर्शन कर रहे थे।

अगला दिन यानी 2 अक्टूबर फिर हमने अपनी किस्मत आजमाने का सोचा और सुबह 5:30 बजे फिर निकल गए नाभीढांग के लिए। आज ॐ पर्वत के बहुत अच्छे दर्शन हुए। कल बादल भी थे। आज आसमान बिल्कुल साफ और नीला था।

आर्मी चेकपोस्ट पर पता किया तो आज ऊपर जाने के परमिशन थी । यहां कुछ 2 घंटे की फॉर्मेलिटी हुई और 8:30 बजे हमारी कार 5-6 अन्य कारों के साथ लिपू लेख दर्रे की ओर चल पड़ी थी।

आज महादेव हमारे ऊपर बहुत मेहरबान थे। 6:30 से 8:30 के बीच जब आर्मी की फॉर्मेलिटी चल रही थी तभी एक व्यक्ति और उनकी माता जी से मिलना हुआ। रोहित शिव ही शिव(उन्होंने अपना सरनेम शिव ही शिव रख लिया है)
वो 1999 से लगातार हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे है।।

उनसे उनकी यात्राओं को लेकर बहुत गहन चर्चा हुई। उनके चेहरे का तेज बहुत अलग था।

8:25 के आस पास उनकी माता जी मेरे पास आई और बोली चलो बेटा तुम्हे मानसरोवर झील का जल पिलाती हूँ😲

वो दोनों कैलाश मानसरोवर की यात्रा से ही वापिस आ रहे थे और घर जाने से पहले आदि कैलाश और ॐ पर्वत के दर्शन करने आए थे और लिपू लेख से भी महादेव को देखना चाहते थे। हालांकि वो ऐसा कई बार अपनी पैदल यात्रा के दौरान कर चुके थे।

वो मुझे अपनी कार के पास लेकर गए और एक बोतल में मानसरोवर झील का जल देकर बोले कि एक एक ढक्कन आप लोग इसे पी लो बाकी आधा बॉटल अपने घर ले जाओ।

आज 2 अक्टूबर दशहरा का पावन दिन था। महादेव ने अपने दर्शन देने से पहले ही मानसरोवर झील का जल हम तक पहुंचा दिया था और हमे कैलाश मानसरोवर यात्रा का संपूर्ण सुख दे दिया था।

यदि हमे एक दिन पहले आर्मी से परमिशन मिल गई होती तो आज इतना कुछ नहीं मिल पाता (किसी ने सच कहा है: भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है)
(लिपू लेख दर्रे तक की ड्राइव का अनुभव बाद में लिखता हूं।)

सुबह 9:45 पर मै और नेहा कुछ पलो के लिए इस दुनिया से कट चुके थे। वो पल केवल मेरे नेहा और महादेव के बीच का था।
कल किसी ने कही लिखा था कि जब आपको कैलाश पर्वत के दर्शन होते है तो सब शून्य हो जाता है।

हमारे साथ सब कुछ और हम दोनों शून्य हो चुके थे। आंखों से बही अश्रुधारा ने मन का सारा पाप बहा दिया था।

(मैं और नेहा दोनों ही बहुत धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति नहीं है) लेकिन महादेव के दर्शन मात्र से हमारे अंदर का आध्यात्म हिलोरे मार रहा था।

उस समय चल रही तीव्र वेग की ठंडी हवा, शून्य से कम तापमान, 5300 मीटर की ऊंचाई सब बेमानी थी। इन सभी स्थितियों का हम दोनों पर सुई बराबर भी असर नहीं हो रहा था।

लिपू लेख दर्रे से आप कैलाश पर्वत के विहंगम दर्शन और राक्षस ताल की झलक देख सकते हो।

हम दोनों ने उस असीम शक्ति को धन्यवाद दिया हाथ जोड़े और उसके अगले ही पल पर हम इस भौतिकवादी दुनिया में वापिस आ गए।

इसके बाद तेज हवा से हमारे कदम डगमगाए भी। शून्य से कम तापमान ने हमारे हाथ, मुंह को अथवा शरीर का जो भी अंग खुला था सबको लगभग जमा ही दिया। 5300 मीटर की ऊंचाई पर इफेक्टिव ऑक्सीजन 11% का असर भी दिखने लगा।

लेकिन जब तक हम दोनों महादेव की शरण में थे यह सब बेमानी था।

अब उस असीम शक्ति से केवल एक ही उम्मीद है। वो कभी अपनी परिक्रमा के लिए बुलाएगा🙏🏼

05/10/2025

Address

DELHI
Tezpur

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Travrist Madhur posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Travrist Madhur:

Share