17/08/2025
कभी कभी आपकी बहुत सामान्य यात्राएं बहुत यादगार बन जाती है। ❤️
एक होता है पहाड़ चढ़ना।
एक होता है...सीधी खड़ी चढ़ाई पे रस्सी से पहाड़ पर चढ़ना।
अभी कुछ समय पहले जब हम कज़ाख़िस्तान के सुदूर Altyn Emel नेशनल पार्क में थे तो वहां एक बेहद खूबसूरत और भूगोल की नजरों से साक्षात् लैबोरेटरी देखने का मौका मिला।
सुबह 250 मीटर ऊंचे "गाने वाले बरखान" की चढ़ाई के बाद अब बारी थी,,रंग बिरंगे पहाड़ों पर चढ़ने की।
इस नेशनल पार्क के दूसरे कोने पर है Aktau माउंटेंस।
यह काफी रिमोट एरिया है और यहां तक आने और जाने के लिए एक मात्र पतली सी रोड है जो बहुत दुर्गम हिस्से से होते हुए इस खूबसूरत जगह तक पहुंचाती है।
जब दोपहर को हम लोग यहां पहुंचे तो यहां केवल हम ही लोग थे और सामने बंजर, सूखा और मिट्टी से भरा पहाड़ था। हमारे साथ के कुछ लोगों ने नीचे रहने का निर्णय लिया लेकिन हम जैसे कुछ अति उत्साही लोगों ने पहाड़ के ऊपर चढ़ कर यहां का 360° नजारा देखने का निर्णय किया।
यह रंग बिरंगे पहाड़ weathring और erosion के कभी न रुकने वाले प्रोसेस का कमाल है।
हमारे ड्राइवर कम गाइड ने आगे चलकर हमे एक ट्रेल पर चलने का इशारा किया और हम 5 लोग इनके पीछे चल दिए। बाकी 5 लोगों ने नीचे रहकर हमे देखने का निर्णय किया।
पहले कुछ मिनिट तो सब कुछ ठीक था। लेकिन जैसे जैसे हम लोग ऊपर की ओर चढ़ते गए, हवा का वेग तेज होता गया। यहां की मिट्टी बहुत ज्यादा भुरभुरी थी। पैर लगातार मिट्टी के अंदर धंसते जा रहे थे। लेकिन मंजिल तो ऊपर थी तो हम चढ़ते जा रहे थे। सबसे आगे हमारे गाइड उनके पीछे अमन भाई, उनके पीछे एक कपल और उनके पीछे यानी सबसे पीछे मै और नेहा चल रहे थे। हवा का वेग कुछ बहुत ही ज्यादा महसूस हो रहा था। कई बार मेरी हैट उड़ी, लेकिन मैं नीचे जाकर उसे उठा लाता। बाद में मैने उससे गले मे ही लटका लिया। लगभग 40 मिनट की चढ़ाई के बाद पहाड़ का एक ऐसा हिस्सा आया जहां सीधे चढ़ पाना नामुमकिन सा था।। यहां ढाल इतना तीव्र था की सीधे खड़े हो पाना मुश्किल था उसके ऊपर से इतनी ढीली मिट्टी जो लगातार नीचे सरक रही थी। इसके बाद साइड से आती तेज हवा वहां खड़े होने ही नहीं दे रही थी।
इसी बीच हमारे गाइड ने कहा कि ढाल पर बैठ जाओ और कुछ देर इंतजार करो। अपना गाइड रूसी शरीर वाला 6.5 फीट का इंसान धीरे धीरे उस खतरनाक ढाल पर अपने पैर जमाता हुआ ऊपर की ओर चढ़ता चला गया। इसके बाद वह हमारी आंखों से ओझल हो गया और ऊपर से एक रस्सी नीचे आई और साथ में कुछ निर्देश भी।
ये क्या भाई?😱 अब रस्सी पकड़ कर ऊपर चढ़ना पड़ेगा।
वाह !! ऐसा कुछ तो सोचा ही नहीं था,,मजा आएगा!! रस्सी की मदद से पहाड़ पर चढ़ना होगा।
इसके बाद तो इस एडवेंचर में मजा आने लगा। सबसे पहले अमन भाई गए। उनके पीछे पीछे मैं चढ़ने लगा तो ऊपर से आवाज आई। वन बाय वन । कोई नहीं एक एक करके चढ़ते है। फिर सबसे पहले अमन भाई ऊपर पहुंच उसके बाद आगे वाला कपल फिर नेहा और सबसे आखिरी में मैं गया।
आधी चढ़ाई चढ़ने के बाद मुझे पता लगा कि ऊपर से गाइड ने एक एक करके आने के लिए क्यों कहा था।😅😅
दरअसल हमारे तगड़े गाइड ने रस्सी को अपनी कमर में बांधा हुआ था और हम बाकी पांच लोग उसी के सहारे ऊपर चढ़े थे। 😲😲
यह देख कर मेरे और अमन भाई के होश ही उड़ गए। क्या गजब की स्ट्रेंथ है इस इंसान में!!!
खैर यह एडवेंचर पूरा करने के बाद हम उस खूबसूरत पहाड़ के ऊपर आ गए थे और वहां से दूर बहती Eli नदी का चमचमाता पानी, पीछे की तरफ से चमकता हुआ सूरज, इसके बाद लगभग हमे उड़ा कर ले जाने वाली तेज हवा, इन सबका रोमांचक अनुभव एक साथ हो रहा था। वहां से 360° नजारा आज भी आंखों के सामने आ जाता है। हम 5 लोग इतनी मेहनत के बाद ऊपर आकर बहुत खुश थे।
लगभग 200 मीटर उस पहाड़ी एरिया में ऊपर ऊपर चलने के बाद,, हम एक किनारे पर पहुंचे जो नीचे की तरफ तीव्र ढाल वाला था।
पूछने पर अपने गाइड साहब बोले यहां से नीचे उतरना है और वो भी बिना रस्सी के....पहले हमे लगा बंदा मजाक कर रहा है,,इतने तीव्र ढाल से, बिना किसी सहारे के नीचे कैसे जाया जा सकता है लेकिन इधर हमारी नजर बची और वह भाई उसी ढाल पर उतरने लगा। अईई अब ये क्या मजाक है। 😡
इससे नीचे जाएंगे तो पक्का लुढ़कते हुए ही नीचे 300 मीटर पहुंचेंगे और जिंदा तो बचने से रहे।। खड़े खड़े तो हम पांचों में से कोई नहीं जा पाएगा।
लेकिन वो सीरियस था हमे उसी रस्ते से नीचे जाना था। वो कुछ 20 मीटर नीचे गया फिर उसने नेहा और हर्षिता को नीचे आने के लिए बोला। वो दोनों तो ऐसे खड़े थे कि "मर जाएंगे लेकिन इस रस्ते से नीचे नहीं जाएंगे।" 🤣
फिर गाइड वापिस ऊपर आया और उन दोनों का हाथ पकड़, लगभग घसीटते हुए, उस ढीली मिट्टी पर ग्लाइड करता हुआ बहुत आराम से उन्हें नीचे उतार कर ले गया।उसकी वो तकनीक गजब थी। इसके बाद अमन भाई और फिर मैं उनके पीछे पीछे चल दिए। मैने कुछ देर शूट किया लेकिन इसके बाद लगा जान बचेगी तो आगे कुछ शूट हो जाएगा अभी तू सीधा सम्भल कर चल मधुर।
लेकिन 10 या 20 कदम के बाद उस तीव्र ढलान पर उतरना एक मजेदार एक्टिविटी में बदल गया। पहाड़ की ढीली और भुरभुरी मिट्टी जो हमें पहले चढ़ने नहीं दे रही थी अब वही उतरने में सहायक सिद्ध हो रही थी।। दरअसल मिट्टी में धंसते हुए पैरों के कारण बहुत अच्छी ग्रिप मिल रही थी और लगभग एक फुट तक पर अंदर धंस जा रहे थे।। तो अब ये जिंदगीभर याद रहने वाला अनुभव हो गया।
इसके बाद अगले कई दिनों तक इस दिन की बाते हम पांचों लोगों के बीच चलती रहीं।