
20/06/2025
छुट्टियों में मायके जाना प्रेम या फिर एक फ़ैशन
राधा की ननद स्मिता का विवाह उसके घर से दो गलियां छोड़कर हुआ था। स्मिता का लगभग रोज़ ही मायके आना जान हो जाता था। मां अथवा पिता से मुलाकात अक्सर शाम को दूध की डेयरी पर हो जाती थी। राधा नौकरी करती थी। इसलिए पीछे सास घर पर अकेली होती तो बेटी को बुला लेती लेकिन फिर भी जब गर्मी की छुट्टियां होती है तो स्मिता अपने छोटे बच्चों को लेकर मायके रहने आ जाती। राधा का एक ही बेटा था और वह पांचवी कक्षा में पढ़ता था। उसकी भी छुट्टियां होती और वह घर पर ही अपने स्कूल का कार्य करता। स्मिता के बच्चे छोटे होने के कारण उसे पढ़ाई में काफी डिस्टरबेंस होती थी। शाम को राधा को भी वापस लौट कर अधिक काम करना पड़ता था। सास चाहती कि स्मिता और उसके बच्चों के लिए अच्छे से अच्छा खाना बनाया जाए। एक तो भयंकर गर्मी का मौसम और ऊपर से इतने लोगों का खाना राधा को परेशान कर जाता। स्मिता यह सोचकर कि मैं अपने मायके में कुछ दिन आराम करने आई हूं राधा के साथ काम में हाथ भी नहीं बटाती थी। धीरे-धीरे राधा और स्मिता के रिश्ते खराब होने लगे और हर गर्मी की छुट्टियों में स्मिता एक बोझ की तरह लगने लगी और फिर एक दिन रिश्तों में एक दूरी सी आ गई। रमेश की बहन राजी का विवाह भी उसी शहर में हुआ था और उसका घर मायके से बहुत अधिक दूरी पर नहीं था लेकिन एक दिन राजी ने फोन करके रमेश से उसे अपने घर ले जाने को कहा क्योंकि बच्चों का मन था। बच्चों की खुशी देखते हुए रमेश राजी और उसके बच्चों को अपने घर ले आया। परंतु रविवार के दिन जब पूरे सप्ताह की लंबी ड्यूटी के बाद रमेश आराम कर रहा था तो बच्चों की शरारतों के कारण उसकी नींद जल्दी खुल गई। सारा दिन शोर शराबे और बच्चों की बाहर घूमने की जिद के कारण उसकी तबीयत काफी खराब हो गई और वह हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो गया।
मैं उन महिलाओं से आग्रह करना चाहूंगी जो छुट्टियों में मायके जाना एक रिवाज की तरह समझती है कि यह सही है कि माता-पिता के पास जाने का मन होता है और कुछ समय उनके साथ व्यतीत भी करना चाहिए परंतु इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अब उस घर में आपके भाई का परिवार भी है। आपके कारण आपके भाई एवं भाभी को असुविधा न हो। इस कारण से आपके माता-पिता के साथ भी उनके रिश्ते खराब हो सकते हैं। आप जाइए परंतु अपना कोई भी बोझ उन पर ना डालिए। अपनी और अपने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी आप स्वयं उठाएं। बच्चों को अनुशासन सिखाएं ताकि वह नानी के घर जाकर किसी को परेशान ना करें। उन्हें उनके स्कूल कार्य की जिम्मेदारी बताते रहे ताकि वे व्यस्त रहें और भाई के बच्चों की पढ़ाई में भी कोई बाधा न हो और यदि आपका विवाह आपके मायके वाले शहर में ही हुआ है तो यह जरूरी नहीं की छुट्टियों के दौरान वहां जाकर रहना ही है। आप महीने में दो-तीन बार जाकर भी अपने माता-पिता से मिलकर वापस आ सकते हैं। अपने घर का आनंद कुछ अलग ही होता है यह ठीक है कि आप वहां पर पले बढ़े हैं परंतु अब वहां पर और सदस्य भी हैं। उनकी सुविधा का ख्याल रखना आपकी जिम्मेदारी बनती है। ऐसा ना हो कल आपके आपके बच्चों के नाम से ही किसी को घबराहट होने लगे यह आपके अपने आत्म सम्मान का सवाल भी है। जय श्री कृष्णा