Supare Colacton

Supare Colacton Bollywood story creator

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30/06/2025

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28/06/2025

हैलो जी

🌟 बुढ़ापे की अमीरी 🌟(प्रेरणा: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचारों से)गरीब थे जब पैदा हुए,छत टपकती थी, सपने नहीं।माँ ने भ...
24/06/2025

🌟 बुढ़ापे की अमीरी 🌟
(प्रेरणा: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचारों से)

गरीब थे जब पैदा हुए,
छत टपकती थी, सपने नहीं।
माँ ने भूखी रहकर पाला,
पिता ने पसीने से जलाया चूल्हा कहीं।

तूमें पाँव चलकर स्कूल गए,
टूटे स्लेट पे अक्षर उकेरे सेहरे।

मगर मन में एक आग थी,
कुछ करने की लगन जागी थी।
कसम थी दिल को दी हमने –
‘माँ-बाप को कभी आँसू न देना।’

आज शहर में नाम है अपना,
कमाई भी है, पहचान भी है।
पर सबसे बड़ी कमाई वो है –
जब माँ के चेहरे पर मुस्कान भी है।

कहानी का नाम: “पिता की छाया – गुड़िया की कहानी”धूल से सनी गलियों वाला वह गाँव, जहाँ ज़िंदगी हर रोज़ एक नई परीक्षा लेती थ...
20/06/2025

कहानी का नाम: “पिता की छाया – गुड़िया की कहानी”

धूल से सनी गलियों वाला वह गाँव, जहाँ ज़िंदगी हर रोज़ एक नई परीक्षा लेती थी। वहीं एक टूटी-सी झोपड़ी में रहते थे – रामधन और उसकी नन्हीं सी बेटी गुड़िया। गुड़िया की माँ उसे जन्म देते ही चल बसी थी। तब से उसके लिए उसका बाप ही सब कुछ था – माँ, पिता, दोस्त और रक्षक।

रामधन गरीब था, लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था। वह मेहनत मज़दूरी करता और गुड़िया को गोदी में लेकर अपने हाथों से खाना खिलाता, बालों में तेल लगाता और रात को कहानी सुनाकर सुलाता।

🌑 एक अंधेरी रात...

जब गुड़िया सात साल की थी, गाँव में एक नशेड़ी गिरोह सक्रिय हो गया। कई बच्चियाँ गायब होने लगीं। एक दिन वही दरिंदे रामधन की झोपड़ी के पास से गुज़रे। उन्होंने गुड़िया को देखा। मासूम चेहरा, भूरे बाल, बड़ी-बड़ी आँखें।

उस रात वे दरिंदे झोपड़ी में घुस आए।

रामधन समझ गया। वो डर के साये में कांपता हुआ गुड़िया को अपनी छाती से लगाकर खड़ा हो गया।

“इस बच्ची तक पहुँचने से पहले तुम्हें मेरी लाश से गुज़रना होगा।”
उसकी आंखों में आँसू नहीं, आग थी।

वो दरिंदे हँसने लगे, लेकिन तभी पूरे गाँव के कुत्ते भौंकने लगे। शेरू (गाँव का वफादार कुत्ता) ने खतरा भांप लिया और पूरे गाँव को जगा दिया।

गाँव वाले लाठियाँ लेकर पहुँचे। दरिंदे भाग निकले।

रामधन ने उस रात बेटी को सीने से लगाकर कहा,
“तेरी हिफ़ाज़त के लिए मेरी जान भी चली जाए, तो ग़म नहीं।”

🌱 गुड़िया बड़ी हुई...

मुश्किलें कभी कम नहीं हुईं — कभी भूख, कभी अपमान, कभी ठोकरें। लेकिन हर बार रामधन ने उसे हौसला दिया।

गुड़िया ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। वह खेतों में काम करती, बर्तन माँजती, और रात को ट्यूशन जाती।
रामधन की तबीयत अब बिगड़ने लगी थी, लेकिन गुड़िया अब मजबूत हो चुकी थी।

वह सरकारी परीक्षा में पास हुई और पुलिस अफसर बनी।
जिस दिन उसने वर्दी पहनी, वो सीधे अपने पिता के पैरों में झुकी और बोली —
“अब कोई दरिंदा किसी मासूम को छू नहीं पाएगा, बाबू जी।”

✨ अंतिम दृश्य...

रामधन एक टूटी खाट पर लेटे-लेटे मुस्करा रहा था।
उसकी आँखें कह रही थीं —
“अब मैं चैन से मर सकता हूँ, मेरी गुड़िया अब कमजोर नहीं रही।”
#पिता_की_छाया
#बेटी_की_हिम्मत
#सच्ची_रक्षा
#वो_बेटी_बन_गई_शक्ति

Happy Manday 🌹😊
16/06/2025

Happy Manday 🌹😊

🌹 शादी की पहली रात — एक  #रोमांटिक कहानी 🌹राहुल और स्नेहा की शादी का दिन काफी लंबा रहा था। घर में ढेरों रिश्तेदार, शोरगु...
10/06/2025

🌹 शादी की पहली रात — एक #रोमांटिक कहानी 🌹

राहुल और स्नेहा की शादी का दिन काफी लंबा रहा था। घर में ढेरों रिश्तेदार, शोरगुल, रस्में और तस्वीरें। लेकिन अब सब कुछ शांत था। रात के 11 बजे का वक्त, घर सो चुका था। बस एक कमरा ऐसा था, जहाँ अब एक नया सफर शुरू होने वाला था — राहुल और स्नेहा का कमरा।

कमरे में हल्की गुलाबों की खुशबू फैली थी। चारों तरफ फूलों की सजावट, मद्धम रोशनी वाला लैम्प, और खिड़की से आती चांदनी की किरणें। स्नेहा लाल रंग की साड़ी में हल्के से सिर झुकाए पलंग पर बैठी थी, चेहरे पर घूंघट, लेकिन दिल में एक अजीब-सी हलचल।

उधर राहुल भी दरवाज़े के बाहर खड़ा थोड़ा नर्वस था। हाथों में दूध का गिलास, दिल में हज़ार सवाल — क्या कहूं? कैसे शुरू करूं? उसे कैसा लगेगा?

धीरे-धीरे उसने दरवाज़ा खोला। उसकी नजर सामने बैठी स्नेहा पर पड़ी। वो पल ठहर-सा गया। दिल की धड़कनें जैसे कानों में गूंजने लगीं।

राहुल ने खुद को संयत करते हुए धीमी आवाज़ में कहा,
"मैं अंदर आ जाऊं?"

स्नेहा ने हल्की-सी गर्दन हिलाकर 'हाँ' कर दिया।

राहुल ने दूध का गिलास टेबल पर रखा और स्नेहा के पास आकर धीरे से बैठ गया। थोड़ी देर खामोशी छाई रही। फिर उसने स्नेहा के घूंघट की किनारी हल्के से उठाई। सामने वो चेहरा था, जिससे वो अबतक सिर्फ तस्वीरों में मिला था।
स्नेहा की बड़ी-बड़ी आंखें घबराई हुई थीं, लेकिन उनमें एक अजीब-सी चमक भी थी।

राहुल मुस्कुराकर बोला,
"तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। और… मैं बहुत खुश हूं कि आज से तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई हो।"

स्नेहा की आंखें झुक गईं। होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई।

राहुल ने आगे कहा,
"आज की रात कोई जल्दी नहीं है। हम दोनों थक भी गए हैं। मैं बस चाहता हूं कि हम इस रिश्ते की शुरुआत प्यार और भरोसे से करें। जब भी तुम सहज महसूस करो, हम एक-दूसरे के और करीब आएंगे।"

स्नेहा ने उसकी बात सुनकर धीरे से राहुल का हाथ पकड़ लिया।
उसके इस छोटे से स्पर्श में एक पूरी कविता छुपी थी — विश्वास, अपनापन, और प्यार।

राहुल ने धीरे से स्नेहा के सिर पर हाथ फेरा। फिर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामे देर रात तक बातें कीं। पहली बार दिल से दिल जुड़ रहे थे।

चांदनी कमरे में बिखरी थी, और दो दिलों के बीच प्यार की नयी शुरुआत हो रही थी।


❤️



टूटे हुए ख्वाबों की चुभन क्या कहें,जिंदगी के सफ़र में ये ग़म क्या कहें।जिसे चाहा था दिल से अपना कभी,आज उसी की कमी को हम ...
09/06/2025

टूटे हुए ख्वाबों की चुभन क्या कहें,
जिंदगी के सफ़र में ये ग़म क्या कहें।

जिसे चाहा था दिल से अपना कभी,
आज उसी की कमी को हम क्या कहें।

आँखों में आंसू, लबों पे खामोशी,
इस टूटे दिल की जुबां क्या कहें।

वो पास होकर भी दूर सा लगता है,
अब इस तन्हाई का आलम क्या कहें। 🌧️💔🌙
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