
11/02/2024
“कार्य करते-करते कभी यह भ्रम हो जाता है कि चारों और के कोलाहल में मेरी क्षीण वाणी कौन सुनेगा, यह धारणा व्यर्थ है। सब सुनेंगे और अवश्य सुनेंगे यदि मेरे शब्दों के पीछे, त्याग और चारित्र्य है तो लोग सिर झुकाकर सुनेंगे। यह आत्मविश्वास कार्यकर्ता में होना चाहिये।”
- श्री गुरूजी