राष्ट्रीय प्रवक्ता - Raashtree Pravakta

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15/11/2024

दुःखद त्रासदी: झांसी मेडिकल कॉलेज में आग, 10 बच्चों की मौत

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। शिशु वार्ड (SNCU) में लगी आग के कारण 10 मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 37 अन्य को बचा लिया गया। यह घटना रात करीब 8:30 बजे हुई, और आग लगने के कारणों की जांच जारी है। फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियों ने राहत कार्य संभाला, लेकिन तब तक कई परिवारों की दुनिया उजड़ चुकी थी​​​​।

यह घटना भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की पुरानी कमियों को फिर से उजागर करती है। कुछ महीने पहले, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत ने भी देश को झकझोर दिया था। अब झांसी की इस घटना में प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की बात सामने आ रही है। अस्पतालों में नियमित सुरक्षा ऑडिट की कमी और मानकों का पालन न करना इस तरह की घटनाओं का मुख्य कारण है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे की जांच के लिए झांसी कमिश्नर और डीआईजी को 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव घटना स्थल पर पहुंच गए हैं। लेकिन, क्या यह पर्याप्त है? यह सवाल अब भी बना हुआ है।

सरकार को चाहिए कि स्वास्थ्य संस्थानों की सुरक्षा मानकों की समीक्षा करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। ऐसे हादसे सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता को दर्शाते हैं।

सामाजिक मीडिया पर लोगों का गुस्सा और सरकार से जवाबदेही की मांग इस बात का संकेत है कि अब जनता केवल राहत कार्यों से संतुष्ट नहीं होगी। एक मजबूत और सुरक्षित स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के लिए प्रशासनिक और नागरिक भागीदारी अनिवार्य है।

#झांसी_आग_हादसा #स्वास्थ्य_व्यवस्था #जनता_की_जिम्मेदारी

https://youtu.be/4wI6dnsXkkg                    Bharat News 360 TV
26/03/2024

https://youtu.be/4wI6dnsXkkg

Bharat News 360 TV

होली पर टॉपलेस हुईं Akanksha Puri, सें...

09/09/2023

*रिश्तों से भरी दुनिया में अगर, किसी को परख़ने की नौबत नहीं आई हैं,...*

*तो समझ लेना कि वक़्त ने, आपसे बड़ी शिद्दत से रिश्तेदारी निभाई हैं...!*

सच्ची घटना है....!!एक शहीद आर्मी कैप्टन की पत्नी का दर्द 💔चार साल पहले मयंक मेरे जीवन मे सुबह की पहली किरण की तरह आये। व...
19/07/2023

सच्ची घटना है....!!

एक शहीद आर्मी कैप्टन की पत्नी का दर्द 💔

चार साल पहले मयंक मेरे जीवन मे सुबह की पहली किरण की तरह आये। वो मेरी एक सहकर्मी के "फौजी कजिन" थे, और पहली ही मुलाक़ात में उन्होंने मुझसे कहा, एक दिन तुम Mrs Vishnoi बनोगी.... मैंने बात हँसी में टाल दी।

पर मयंक सीरियस थे। उसके बाद जब भी मिलते, वो मुझे Mrs Vishnoi ही बुलाते थे। मैं हालांकि यही कहती - तुम पागल हो... पर मैं उसकी तरफ खींची चली जा रही थी।

हम रोज़ाना, रात भर फोन पे बतियाते थे। मयंक उन दिनों इन्फेंट्री में कैप्टन थे और देहरादून में पोस्टेड थे। मैं दिल्ली में थी। वो हर शनिवार मुझसे मिलने दिल्ली आते। सिर्फ़ दो घंटे की मुलाक़ात के लिये 10 घंटे ड्राइव करते। मयंक के साथ रहना किसी स्वप्नलोक में विचरने जैसा था। कभी अचानक मेरे बर्थडे पर सरप्राइज देना तो कभी अचानक - चल नेपाल चलें। He was the king of Grand Gestures.....

पर मयंक के साथ जुड़े रहना इतना आसान भी न था। ऐसी-ऐसी जगह ड्यूटी लग जाती जहां नेटवर्क न होता तो महीनों मुलाक़ात तो क्या बात तक न हो पाती।

एक दिन मैंने उन्हें सरप्राइज दिया। उनसे मिले दो महीने हो चुके थे। उस दिन उनका Birthday भी था। मुझे देखते ही उन्होने गले लगा लिया - बोले, तुम्हें देख लिया, बर्थडे बन गया। और फिर मेरे बर्थडे वाले दिन, सभी दोस्तों और परिवार के सामने, घुटनों पर बैठ के उंन्होने मुझे प्रपोज किया, “Mrs Vishnoi शादी करले....” और फिर चट मँगनी पट ब्याह हुआ और मैं Mrs Vishnoi बन गयी......

मुझे याद है, पंडित जी विवाह के मंत्र पढ़ रहे थे और हम फेरे ले रहे थे, तो मयंक के संकल्प निराले ही थे..... राष्ट्र प्रथम..... एक समय ऐसा भी आ सकता है जब शायद मैं लौट के न आऊं, या तिरंगे में लिपट के आऊं...... तुम एक फौजी पत्नी हो, ये हमेशा याद रखना.... जब वो ऐसी बातें करते, मैं परेशान हो जाती।

मुझे पता था मैंने किस दुनिया मे कदम रखा है। मयंक के साथ जीवन बेहद आनंददायक था। मैं उसके साथ उसकी पोस्टिंग पर गयी। हमने अपनी छोटी सी गृहस्थी बसाई। एक साल बाद वो मेजर बन गए और उनकी पोस्टिंग काश्मीर में शोपियाँ में हो गयी। ये आतंक का गढ़ था। मैं हमेशा परेशान रहती। न्यूज देखने से तो हमेशा दूर ही रहती।

मयंक मेरा ध्यान रखते। मौका निकाल के बर्थडे और सालगिरह पर भी आते। शादी को बेशक़ 4 साल हो चले थे, पर बॉर्डर पर जाते पति को गुड बाय बोलना आसान नहीं होता।

एक बार छुट्टी आये। जाने लगे तो बोले, Lets make a Family... I wanna be a Dad.... फिर उसके बाद कभी नहीं आये। सिर्फ़ उनकी ख़बर आई। “Sir के सिर में गोली लगी है.....” मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी। ये कैसे हो सकता है.... आज सुबह ही तो बात हुई थी....

मैं भागी-भागी श्रीनगर पहुंची.... वो कोमा में थे...
उन्हें देख मैं टूट गयी... डॉक्टर ने बताया, "He's Brain Dead..." मैं उनसे बातें करती..... मुझे लगता ये शायद मेरे लिये ही लौट आएं..... जीवन मृत्यु का यह संघर्ष 15 दिन चला। अंत में मैंने उनसे कहा, I Love you and I'm proud of You...... Please Rest now..... और मयंक चले गए..... उनके अंतिम संस्कार में उनकी पूरी बटालियन शामिल हुई। अदम्य साहस और शौर्य के लिये उन्हें सेना मेडल मिला ।

आज उन्हें गये दो महीने हो गये। पर मुझे अब भी नहीं लगता कि वो चले गये, हमेशा के लिये । मुझे लगता है एक और पोस्टिंग हुई है.... मैं उनकी यादें संजोती हूँ। उनके करीब रहने की कोशिश करती हूँ। कभी उनकी घड़ी पहन के तो कभी उनकी वर्दी पहन के सोती हूँ..... उससे उनकी खुशबू आती है । मुझे लगता है उनसे लिपट के सोई हूँ....

अब मैं उनकी मृत्यु का शोक नही करती। मुझे उनपे गर्व होता है। मैंने उनसे सीखा कि अपने देश से और किसी व्यक्ति से टूट के प्यार कैसे किया जाता है...... Unconditional Love...

 #सार्वजनिक_जीवन_में_मर्यादा_से_रहें🚩जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्व...
13/03/2023

#सार्वजनिक_जीवन_में_मर्यादा_से_रहें🚩

जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्वजनिक है। ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की को मनचाही अर्धनग्नता युक्त वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है क्योंकि जीवन सार्वजनिक है। एकांत रोड में स्पीड चलाओ, एकांत जगह में अर्द्धनग्न रहो। मगर सार्वजनिक जीवन में नियम मानने पड़ते हैं।👌💯

भोजन जब स्वयं के पेट मे जा रहा हो तो केवल स्वयं की रुचि अनुसार बनेगा, लेकिन जब वह भोजन परिवार खायेगा तो सबकी रुचि व मान्यता देखनी पड़ेगी।

लड़कियों का अर्धनग्न वस्त्र पहनने का मुद्दा उठाना उतना ही जरूरी है, जितना लड़को का शराब पीकर गाड़ी चलाने का मुद्दा उठाना जरूरी है। दोनों में एक्सीडेंट होगा ही।

अपनी इच्छा केवल घर की चहारदीवारी में उचित है। घर से बाहर सार्वजनिक जीवन मे कदम रखते ही सामाजिक मर्यादा लड़का हो या लड़की उसे रखनी ही होगी।

घूंघट और बुर्का जितना गलत है, उतना ही गलत अर्धनग्नता युक्त वस्त्र गलत है। बड़ी उम्र की लड़कियों का बच्चों सी फ़टी निक्कर पहनकर छोटी टॉप पहनकर फैशन के नाम पर घूमना भारतीय संस्कृति का अंग नहीं है।

जीवन भी गिटार या वीणा जैसा वाद्य यंत्र हो, ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है।

सँस्कार की जरूरत स्त्री व पुरुष दोनों को है, गाड़ी के दोनों पहिये में संस्कार की हवा चाहिए, एक भी पंचर हुआ तो जीवन डिस्टर्ब होगा।

नग्नता यदि मॉडर्न होने की निशानी है, तो सबसे मॉडर्न जानवर है जिनके संस्कृति में कपड़े ही नही है।
अतः जानवर से रेस न करें, सभ्यता व संस्कृति को स्वीकारें।
कुत्ते को अधिकार है कि वह कहीं भी यूरिंन पास कर सकता है, सभ्य इंसान को यह अधिकार नहीं है। उसे सभ्यता से बन्द टॉयलेट उपयोग करना होगा। इसी तरह पशु को अधिकार है नग्न घूमने का, लेकिन सभ्य स्त्री को उचित वस्त्र का उपयोग सार्वजनिक जीवन मे करना ही होगा।
अतः विनम्र अनुरोध है, सार्वजनिक जीवन मे मर्यादा न लांघें सभ्यता से रहें।.

20/01/2023

जंगल में शेर शेरनी शिकार के लिये दूर तक गये अपने बच्चों को अकेला छोडकर।

जब देर तक नही लौटे तो बच्चे भूख से छटपटाने लगे.

उसी समय एक बकरी आई उसे दया आई और उन बच्चों को दूध पिलाया फिर बच्चे मस्ती करने लगे.

तभी शेर शेरनी आये. बकरी को देख लाल पीले होकर शेर हमला करता,

उससे पहले बच्चों ने कहा इसने हमें दूध पिलाकर बड़ा उपकार किया है नही तो हम मर जाते।

अब शेर खुश हुआ और कृतज्ञता के भाव से बोला हम तुम्हारा उपकार कभी नही भूलेंगे, जाओ आजादी के साथ जंगल मे घूमो फिरो मौज करो।

अब बकरी जंगल में निर्भयता के साथ रहने लगी यहाँ तक कि शेर के पीठ पर बैठकर भी कभी कभी पेडो के पत्ते खाती थी।

यह दृश्य चील ने देखा तो हैरानी से बकरी को पूछा तब उसे पता चला कि उपकार का कितना महत्व है।

चील ने यह सोचकर कि एक प्रयोग मैं भी करती हूँ,
चूहों के छोटे छोटे बच्चे दलदल मे फंसे थे निकलने का प्रयास करते पर कोशिश बेकार ।

चील ने उनको पकड पकड कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.

बच्चे भीगे थे सर्दी से कांप रहे थे तब चील ने अपने पंखों में छुपाया, बच्चों को बेहद राहत मिली.

काफी समय बाद चील उडकर जाने लगी तो हैरान हो उठी चूहों के बच्चों ने उसके पंख कुतर डाले थे।

चील ने यह घटना बकरी को सुनाई तुमने भी उपकार किया और मैंने भी फिर यह फल अलग क्यों? ?

बकरी हंसी फिर गंभीरता से कहा....
उपकार करो,
तो शेरों पर करो
चूहों पर नही।

क्योंकि कायर कभी उपकार को याद नही रखते और बहादुर कभी उपकार नही भूलते...!!!

(बहुत ही गहरी बात है, समझो तो ठीक)

बाप बेटी के प्यार की अद्भुत दास्तान आपलोग इसे जरुर पढ़ेइस फोटो को देखकर आप सबके मन मे तरह तरह के विचार आयेंगे, लेकिन इस फ...
05/10/2022

बाप बेटी के प्यार की अद्भुत दास्तान आपलोग इसे जरुर पढ़े

इस फोटो को देखकर आप सबके मन मे तरह तरह के विचार आयेंगे, लेकिन इस फोटो की सच्चाई जानकर आपकी आँखो मे आँसू आ जायेंगे...!
ये फोटो यूरोप के एक पेंटर "मुरीलो" ने बनाया है! यूरोप के एक देश मे एक आदमी को पाव रोटी चुराने के इल्ज़ाम में भूखे मरने की सजा मिली,उसे एक जेल मे बंद किया गया, सजा ऐसी थी की जब तक उसकी मौत नही हो जाती तब तक उसे भूखा रखा जाय! उसकी बेटी ने अपने पिता से मिलने के लिये सरकार से अनुरोध किया कि वह हर रोज अपने पिता से मिलेगी! उसे मिलने की इजाजत दे दी गयी, मिलने से पहले उसकी तलाशी ली जाती कि वह कोई खाने का सामान न ले जा सके।उसे अपने पिता की हालत देखी नही गयी! वो अपने पिता को जिंदा रखने के लिये अपना दूध पिलाने लगी! जब कई दिन बीत जाने पर भी वो आदमी नही मरा तो पहरेदारों को शक हो गया और उन्होंने उस लड़की को अपने पिता को अपना दुध पिलाते पकड़ लिया, उस पर मुकदमा चला, और सरकार ने कानून से हटकर भावनात्मक फैसला सुनाया, उन दोनो को रिहा कर दिया गया।
ये पेंटिंग युरोप की सबसे महँगी पेंटिंग है...!!
नारी कोई भी रूप में हो चाहे माँ हो चाहे पत्नी हो चाहे बहन हो चाहे बेटी...हर रूप में वात्सल्य त्याग और ममता की मूरत है। नारी का सम्मान करो

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