29/07/2025
उज्जैन का प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर एक अनूठा और अत्यंत पूजनीय स्थल है, जो साल में केवल एक बार नाग पंचमी के पावन अवसर पर दर्शन के लिए खुलता है। यह मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
मंदिर के पट खुलने का समय और दर्शन
इस वर्ष भी, नाग पंचमी के अवसर पर, नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 28 जुलाई की मध्यरात्रि 12 बजे खोले गए हैं। श्रद्धालु 29 जुलाई की रात 12 बजे तक 24 घंटे तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे। दर्शन के लिए भक्त एक दिन पहले से ही कतार में लग जाते हैं, क्योंकि साल भर में केवल इसी दिन यह दुर्लभ अवसर मिलता है।
त्रिकाल पूजा का महत्व
नाग पंचमी के दिन भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा तीन अलग-अलग समय पर संपन्न होती है:
प्रथम पूजा: मंदिर के पट खुलने के बाद, मध्यरात्रि 12 बजे महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संतों द्वारा पहली पूजा की जाती है।
द्वितीय पूजा: नाग पंचमी के दिन दोपहर 12 बजे जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा शासकीय पूजा की जाती है।
तृतीय पूजा: शाम को संध्या आरती के बाद मंदिर समिति के पुरोहित और पुजारी विशेष पूजा करते हैं।
इन तीनों पूजाओं के बाद रात 12 बजे आरती के पश्चात मंदिर के पट फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व
नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास करवाया था। बाद में सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर के साथ इसका भी जीर्णोद्धार करवाया।
इस मंदिर की सबसे खास बात यहाँ स्थापित 11वीं शताब्दी की दुर्लभ प्रतिमा है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ भगवान शिव, भगवान विष्णु के बजाय, दस फन वाले शेषनाग पर विराजमान हैं। उनके साथ देवी पार्वती और भगवान गणेश भी विराजित हैं। मान्यता है कि यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पराज तक्षक नाग ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में निवास करते हैं और नाग पंचमी के दिन प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व है, और यही कारण है कि इस दिन लाखों श्रद्धालु उज्जैन आते हैं।