रजनीश रहस्यमई मां तृषा रजनीश

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Astrology | Meditation | Teaching
Delhi, India

इस पेज पर जीवन की हर उलझन का समाधान — प्रेम में टूटन, नशे की लत, मानसिक तनाव या आत्मिक भ्रम।
जहाँ मन हार जाए, वहीं से राह शुरू होती है।
बेझिझक संपर्क करें — हर समस्या का रास्ता सम्भव है।
मां तृषा रजनीश 🌷

02/11/2025

दुनिया कुछ भी करे, तुम्हारी शांति न टूटे यही साधना है

मनुष्य की ऊर्जा दो दिशाओं में बहती है —एक, जो भीतर की शांति, प्रेम और ध्यान की ओर ले जाती है,और दूसरी, जो धन, संपत्ति, व...
02/11/2025

मनुष्य की ऊर्जा दो दिशाओं में बहती है —
एक, जो भीतर की शांति, प्रेम और ध्यान की ओर ले जाती है,
और दूसरी, जो धन, संपत्ति, वैभव और प्रतिष्ठा की ओर बहती है।

धन और वैभव की ओर बहती ऊर्जा भी बुरी नहीं,
बस उसे सचेत होकर, सेवा और संगठन की दिशा में मोड़ना आवश्यक है।
वही ऊर्जा जब स्वार्थ छोड़कर सद्कार्य में लगती है,
तो वह “श्रम की ऊर्जा” बन जाती है — जो जीवन को सार्थक करती है। ✨
ज्योतिष भी यही सिखाता है —
कि ग्रह-नक्षत्र केवल दिशा बताते हैं, निर्णय नहीं करते।
हमारी चेतना जब सही दिशा में बहती है,
तो दुर्बल ग्रह भी आशीर्वाद बन जाते हैं। 🌙

डरना ज्योतिष से नहीं चाहिए,
बल्कि भ्रमित करने वाले ज्योतिषियों से
जो भय दिखाकर विश्वास छीन लेते हैं।
सच्चा ज्योतिष वही है जो आत्मा को मजबूत करे, न कि कमजोर मां प्रेम तृषा ✍🏼 🌿
#सूफीविचार #ओशोविचार #ज्योतिषसत्य #आध्यात्मिकऊर्जा

02/11/2025
🌸 संभोग से समाधि की ओर — भाग १संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जामेरे प्रिय आत्मन,प्रेम क्या है?जीना और जानना तो सरल है, पर क...
31/10/2025

🌸 संभोग से समाधि की ओर — भाग १

संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा

मेरे प्रिय आत्मन,

प्रेम क्या है?
जीना और जानना तो सरल है, पर कहना कठिन।
जैसे कोई मछली से पूछे — “सागर क्या है?”
तो वह कह सकती है — यह रहा चारों ओर, यही सागर है।
पर यदि कहा जाए — “शब्दों में बताओ, क्या है?”
तो मछली मौन हो जाएगी।

मनुष्य के जीवन में जो कुछ भी श्रेष्ठ, सुन्दर और सत्य है —
उसे जिया जा सकता है, जाना जा सकता है,
पर कहा नहीं जा सकता।

दुर्भाग्य यह है कि जो जिया जाना चाहिए,
जिसमें हुआ जाना चाहिए,
उसी के विषय में मनुष्य जाति हज़ारों वर्षों से केवल बातें कर रही है।
प्रेम पर चर्चा होती है,
गीत गाए जाते हैं,
भजन रचे जाते हैं —
पर मनुष्य के जीवन में प्रेम का वास्तविक अनुभव नहीं है।

यदि भीतर जाकर खोजें,
तो प्रेम से अधिक असत्य कोई शब्द नहीं मिलेगा।
और जिन्होंने प्रेम को असत्य सिद्ध किया —
उन्होंने प्रेम की धाराओं को रोक दिया।
फिर भी वही लोग स्वयं को प्रेम का रक्षक समझ बैठे।

धर्म ने प्रेम की बात तो बहुत की,
पर जो धर्म अब तक मानवता पर छाया रहा —
उसने प्रेम के द्वार बंद कर दिए।
और इसमें कोई भेद नहीं —
न पूरब–पश्चिम का,
न भारत–अमेरिका का।

प्रेम जीवन की सबसे गहरी ऊर्जा है — वही ऊर्जा जब पूर्णता में जानी जाती है, तब वह सृजन बन जाती है, और जब पूरी तरह समर्पित होकर जी ली जाती है, तब वही ऊर्जा समाधि का रूप ले लेती है। मां प्रेम तृषा 📿✍️

प्रेम में लौटने का कोई उपाय नहीं,जो प्रेम से भर गया — वही आ गया।अस्तित्व की यही भाषा है — प्रेम ही परमात्मा का सूत्र है।...
31/10/2025

प्रेम में लौटने का कोई उपाय नहीं,
जो प्रेम से भर गया — वही आ गया।
अस्तित्व की यही भाषा है — प्रेम ही परमात्मा का सूत्र है।
मां तृषा रजनीश 🪔📿

🌸 नर्क के द्वार पर भी स्वर्ग की तख्ती लगी है 🌸एक फकीर मरने के करीब था। उसने स्वप्न में परमात्मा से प्रार्थना की —“मरने स...
30/10/2025

🌸 नर्क के द्वार पर भी स्वर्ग की तख्ती लगी है 🌸

एक फकीर मरने के करीब था। उसने स्वप्न में परमात्मा से प्रार्थना की —
“मरने से पहले एक आकांक्षा है, मुझे स्वर्ग और नर्क दोनों दिखा दो, ताकि मैं अपने लिए चुन सकूं।”

पहले उसे स्वर्ग दिखाया गया —
वहाँ कोई रौनक नहीं थी, सब कुछ सूना और जड़ था। कोई गीत नहीं, कोई नाच नहीं, फूल तक खिलने से शर्माते थे।
फकीर ने कहा — “यह स्वर्ग है? अच्छा हुआ, पहले ही देख लिया। अब नर्क दिखाओ।”

फिर उसे नर्क दिखाया गया —
वहाँ तो चहल-पहल थी, गीत गाए जा रहे थे, फूल खिले थे, आनंद और उत्सव का माहौल था!
फकीर ने हैरानी से पूछा — “यह नर्क? दुनिया ने तो उल्टा बताया है।”

शैतान हँसा और बोला —
“क्या करें? हमारे पास प्रचार का मौका ही नहीं। सब मंदिर, मस्जिद भगवान के हैं। हमें नाहक बदनाम किया गया है।”
फकीर ने कहा — “तो मैं नर्क ही चुनूंगा।”

नींद खुल गई, फिर मृत्यु आई — और वह नर्क चला गया।
पर वहाँ दृश्य बदल चुका था —
चारों ओर यातना थी, तेल के कड़ाहे खौल रहे थे, लोग चिल्ला रहे थे।
फकीर ने कहा — “अभी तो दो दिन पहले आया था, तब तो यहाँ उत्सव था!”

शैतान बोला —
“वह तो दर्शकों के लिए सजाया गया कोना था; अब तुम निवासी बन गए हो, अब असली नर्क देखो।”

नर्क के द्वार पर भी स्वर्ग की तख्ती लगी है।
तख्तियों के धोखे में मत आना।
लोग काँटों से तो बचते हैं, मगर फूलों से घायल हो जाते हैं —
क्योंकि काँटे अब फूलों की ओट में छिपे हैं।

मछली आटा पकड़ने आती है, फँसती काटे से है।
हम भी सुख की खोज में जाते हैं, पर दुख को पा लेते हैं।
हर बार जब हमने सुख चाहा, तभी दुख मिला — यह नियम बिना अपवाद के है।

परिपक्व मनुष्य वह है जिसने यह देख लिया कि हर सुख के पीछे दुख छिपा है।
अब वह सुख की आकांक्षा ही नहीं करता —
इसलिए अब कोई दुख उसे छू नहीं सकता।

जो शोकरहित है, वही सर्वथा विमुक्त है।
जिसने फूलों के मोह से मुक्त होकर काटों को भी पहचान लिया — वही स्वतंत्र है। दिव्य रहस्य 🔥 ✍🏼 (एस धम्मों सनंतनो, प्रवचन-35)

🌿 राम-द्वारे जो मरै — दिव्य रहस्य 🔥 🌿वाल्मीकि ने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में ऐसा परिवर्तन आ जाएगा।वह तो डाकू था — लूटपा...
28/10/2025

🌿 राम-द्वारे जो मरै — दिव्य रहस्य 🔥 🌿

वाल्मीकि ने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में ऐसा परिवर्तन आ जाएगा।
वह तो डाकू था — लूटपाट उसका जीवन था।
एक दिन संयोग से नारद से भेंट हुई।
वह नारद को लूटना चाहता था,
पर नारद ने कहा —
“पहले जाकर पूछ आ अपने घरवालों से —
क्या वे तेरे इस पाप में भागीदार होंगे?”

वाल्या गया —
पिता ने कहा, “तेरा पाप तेरा है।”
पत्नी ने कहा, “मैं तो सिर्फ गृहस्थी निभाती हूँ।”
बेटों ने कहा, “हम छोटे हैं, हमें कुछ नहीं पता।”

वह लौटा — टूटा हुआ, जागा हुआ।
कहा — “नारद, अब मैं और पाप नहीं करूंगा।
मुझे मुक्ति का मार्ग बताइए।”

नारद बोले — “राम-राम जप।”
लेकिन वह अशिक्षित था —
राम-राम की जगह मरा-मरा जपने लगा।
फिर भी, उसी मरा-मरा जाप में
राम मिल गए!

क्योंकि नाम नहीं, भाव था —
श्रद्धा थी, सरलता थी, प्रेम था।


कभी मत सोचो कि भगवान कहाँ से आएगा —
वह किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है।
बस दिल खुला हो, भाव सच्चा हो।

🕉️ “राम द्वारे जो मरै — वही सच्चा जीवित है।”

🌿 जीवन का सत्य 🌿जीवन पानी के बुलबुलों जैसा है — हर पल बदलता हुआ, क्षणिक और प्रवाही।यहां कुछ भी स्थिर नहीं है।जब बुढ़ापा ...
28/10/2025

🌿 जीवन का सत्य 🌿

जीवन पानी के बुलबुलों जैसा है — हर पल बदलता हुआ, क्षणिक और प्रवाही।
यहां कुछ भी स्थिर नहीं है।

जब बुढ़ापा आएगा और उसके पहले कदम सुनाई देंगे,
तो दुख होगा — कि “मैं हार गया।”
पर सच यह है कि हार जैसी कोई चीज होती ही नहीं।
हार और जीत — दोनों हमारी इच्छाओं की कल्पनाएं हैं।

तुम जवान रहना चाहते हो,
पर प्रकृति कभी किसी चीज को ठहरने नहीं देती।
प्रकृति बहाव है — और जो उसके विपरीत कुछ चाहता है,
वह दुख को आमंत्रित करता है।

जो संभव नहीं, उसकी आकांक्षा ही दुख बनती है।
पहले तुम जवानी को पकड़ना चाहते थे,
अब बुढ़ापे को पकड़े बैठे हो —
सीखा कुछ नहीं!

बचपन गया, जवानी गई, बुढ़ापा भी जाएगा।
जीवन जाएगा — और मौत भी।
क्योंकि जब जीवन नहीं टिकता,
तो मौत भी स्थायी नहीं रह सकती।

🌊 सब बह रहा है।
न जीवन रुकता है, न मृत्यु।

जो इस प्रवाह को सहज भाव से स्वीकार कर लेता है,
जो कहता है —
“जैसा हो रहा है, मैं उससे राजी हूं,”
उसके जीवन में दुख का कोई स्थान नहीं रहता।

धन आए — तो राजी,
दरिद्रता आए — तो भी राजी।
महल मिलें — तो भी प्रसन्न,
महल छिन जाएं — तो भी शांत।

जब इच्छा नहीं रहती कि कुछ वैसा हो जैसा हम चाहते हैं,
बल्कि जैसा है वैसा ही स्वीकार कर लिया जाता है —
तभी सच्ची शांति आती है।
फिर दुख असंभव हो जाता है। दिव्य रहस्य 🔥 🌺

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