16/08/2025
"नौ दिन की दुल्हन से 17 साल की लड़ाई तक – पूजा पाल की कहानी, जिसने बाहुबलियों का अंत देखा"
प्रयागराज… गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का शहर। यहाँ की गलियों में एक साधारण लड़की रहती थी—नाम था पूजा। पिता साइकिल बनाने का छोटा-मोटा काम करते थे। घर में सियासत का कोई नामोनिशान नहीं था। पूजा का बचपन साधारण था, सपने छोटे-छोटे थे—एक खुशहाल परिवार, अपने लोग, और ज़िंदगी का सुकून। राजनीति उसके दिमाग के किसी कोने में भी नहीं थी। लेकिन ज़िंदगी को किस पल क्या मोड़ लेना है, ये कोई नहीं जानता।
जनवरी 2005 में वह मोड़ आया। 16 तारीख का दिन था, जब पूरे प्रयागराज में एक शादी की चर्चा थी—बसपा के लोकप्रिय, उभरते सितारे विधायक राजू पाल की बारात जा रही थी। राजू की छवि एक जुझारू और सीधी-सादी नेता की थी, जिसने जनता का दिल जीत लिया था। पूजा ने उससे शादी की, और सोचा—अब एक नया जीवन शुरू होगा। सियासत की चमक-दमक भले चारों ओर हो, लेकिन उसका संसार घर की चारदीवारी में होगा, जिसमें प्यार, विश्वास और सपनों का रंग होगा।
किस्मत को मगर कुछ और ही मंजूर था। वह दिन तो खुशियों से भरा था, लेकिन नौ दिन बाद 25 जनवरी को… सब बदलने वाला था।