25/05/2025
देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति अपने आप में अनूठी है. जिसमें ढोल दमाऊ, रणसिंगा और मसकबीन की समृद्ध संस्कृति आज भी मौजूद हैं. जिनके ढोल सागर की थाप और ताल पर देवता भी धरती पर अवतरित होते हैं।
उत्तराखंड की बात करें तो ढोल दमाऊ यहां की खेती, प्रकृति और संस्कृति से जुड़ा हुआ है. देवताओं की भूम्याल से लेकर चैती आषाढ़ मेले और गीतों में ढोल दमाऊ के बिना गढ़-कुमाऊं की संस्कृति के यह प्रतीक अधूरे हैं।
गढ़-कुमाऊं की संस्कृति में शायद ढोल दमाऊ समेत अन्य स्थानीय वाद्य यंत्र न हो तो शायद यहां की संस्कृति प्राणरहित हो जाए।
https://youtu.be/stA3LLud8r4?si=IygHGB-KifjuWsfE
Deepak Kumar
Harsh Pati Uttrakhandi
Renu Bisht
Kalyan Singh Bisht