04/03/2025
बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था, जहाँ कई जानवर रहते थे। उन्हीं में से एक था खरगोश, जो बहुत तेज़ दौड़ सकता था, और दूसरा था कछुआ, जो बहुत धीरे चलता था। खरगोश को अपनी तेज़ी पर बहुत घमंड था, और वह हमेशा कछुए को चिढ़ाता रहता था।
एक दिन खरगोश और कछुआ मिलते हैं
(खरगोश कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए हंसता है)
खरगोश (हंसते हुए):
"अरे कछुए! तुम तो बहुत धीरे चलते हो! अगर तुम्हें कहीं जल्दी पहुँचना हो, तो शायद सालों लग जाएँगे!"
(कछुआ मुस्कुराते हुए जवाब देता है)
"कोई बात नहीं, धीरे-धीरे चलने वाला भी अपनी मंज़िल तक पहुँच सकता है।"
(खरगोश कछुए को चैलेंज देता हैं
"अगर तुममें हिम्मत है, तो मुझसे दौड़ लगाकर दिखाओ!"
(कछुआ सहमत हो जाता है और जंगल के जानवर दौड़ का रास्ता तय करते हैं)
दौड़ शुरू हुई! खरगोश बिजली की तरह दौड़ पड़ा और कुछ ही समय में कछुए से बहुत आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा, कछुआ तो अभी बहुत दूर था!
खरगोश
"हाहा! यह तो बहुत धीरे है! मैं थोड़ा आराम कर सकता हूँ!"
(खरगोश पेड़ के नीचे लेट जाता है और सो जाता है)
लेकिन कछुआ बिना रुके धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। उसने हार नहीं मानी और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ता गया।
(खरगोश की नींद खुलते ही)
"ओह नहीं! मैं सो गया था!"
(खरगोश तेजी से दौड़ता है, लेकिन तब तक कछुआ फिनिश लाइन पार कर चुका था!)
(जंगल के जानवर तालियां बजाते हैं, कछुए को बधाई देते हैं)
खरगोश को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने कछुए से माफी मांगी।
खरगोश (शर्मिंदा होकर बोला):
"मुझे अपनी गलती समझ आ गई। घमंड नहीं करना चाहिए और मेहनत से ही जीत मिलती है!"
कछुआ (मुस्कुराते हुए बोला):
"कोई बात नहीं! हमेशा मेहनत और धैर्य से काम लेना चाहिए।"
तो दोस्तों, इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
✅ अहंकार करना अच्छा नहीं होता!
✅ मेहनत और धैर्य से हम अपनी मंज़िल तक पहुँच सकते हैं!
✅ धीरे और लगातार चलने से भी जीत मिल सकती है!
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टाटा – बाय बाय doston