10/08/2025
इसे समझो ना रेशम का तार भईया 💕 राखी आने से पहले ही यह गीत पूरे दिन सोशल मीडिया पर छाया रहता है और छाया भी क्यों ना रहे डिजिटल दुनिया में अब सब कुछ सोशल मीडिया ही तो है ।
व्यूज बटोरने और वायरल होने की होड़ में त्योहारों का असली रंग अब बेरंग सा होता दिखाई दे रहा है ।
बाज़ारवाद और पश्चिम की सभ्यता लगातार हमें हमारी जड़ों से दूर कर रहें है धीरे धीरे वो ये सब करने में कामयाब हो रहे हैं ।
किसी देश को कमजोर करना हो तो उसकी सभ्यता और संस्कृति पर वार करते रहो फिर देखिये वहाँ के लोग ख़ुद ब ख़ुद आपकी गिरफ़्त में होंगे ।
राखी भी धीरे से बाज़ारवाद की गहरी खाई में जाती दिख रही है ।
शोशल मीडिया पर चल रहे रील और कंटेंट में अपने ही त्योहारों का उपहास और मजाक बनाया जा रहा है ।
यह दिखाया जा रहा है बहन राखी में सिर्फ पैसे लुटती है,
हम स्वयं ही अपने हाथों से अपनी धरोहरें नष्ट करने को आतुर हैं ।
रक्षा बंधन की फैंसी चायनीज राखी और वस्तुओं ने जिस प्रकार सेंध लगाई है और स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री पर अंकुश लगाया है वो विचारणीय है ।
बाज़ार से मिठाइयों की जगह महंगी चॉकलेट और अन्य खाद्य सामग्री का उपयोग भी मुख्य कारण है त्यौहारों के आधुनिकरण का ।
दिखावे की इस दुनिया ने बेहतर से बेहतरीन होने की प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा दिया जिसने त्यौहारों को निगलना शुरू कर दिया ।
भाई बहन के इस पावन त्यौहार को खुशियों के साथ मनाइए और उल्टे सीधे सोशल मीडिया कंटेंट से इस त्यौहार की शोभा ख़राब ना कीजिए ।
बहन बोझ नहीं बल्कि बेशक़ीमती उपहार है ,इन्हें सहेजा जाना चाहिए संभाला जाना चाहिए और इतराना चाहिये एक बहन का भाई होने के नाते ।
बहने हर भाई के लिए दर्पण होती है बहनें कभी अपने भाई को भटकने नहीं देती ।
बहनें कलाई पर सिर्फ़ धागा नहीं बाँधती वो बाँधती है विश्वास और भरोसे की गाँठ जो युगों तक उसका मायका जीवंत रखती है ।
बहनें सिर्फ़ टीका नहीं लगाती वो कमाना करती है की भाई का ललाट सूर्य की भाँति चमकता रहे ।
बहनें मिठाई खिलाते वक्त सिर्फ़ इस उम्मीद में रहती है की उनके रिश्ते में मिठास बनी रहे ।
बहनें उपहार या पैसों की नहीं अपितु प्रेम और स्नेह की भूखी होती है ।
बहनों को भरपूर प्रेम किया जाना चाहिए ताकि आपकी आने वाली पीढ़ी भी रिश्तों को जीवंत रख सके और भविष्य में किसी बेटी या बहन का मायका ना छूटे!!
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