11/07/2025
भारत में लोग ग्लोबल ग्रोथ इंडेक्स (वैश्विक विकास सूचकांक) को लेकर "ओवर रिएक्ट" क्यों करते हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं. यह समझना ज़रूरी है कि यह "ओवर रिएक्शन" कई कारकों का परिणाम है, न कि किसी एक वजह का.
1. भारत की आर्थिक आकांक्षाएं और इतिहास (India's Economic Aspirations and History)
भारत एक विकासशील देश है और इसकी एक बड़ी आबादी है. आजादी के बाद से, देश ने आर्थिक प्रगति के लिए काफी प्रयास किए हैं. ऐसे में, आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति लोगों के लिए बहुत मायने रखती है. जब कोई वैश्विक रिपोर्ट आती है जो भारत के विकास को दिखाती है, तो यह देश की सामूहिक आकांक्षाओं और पिछली उपलब्धियों की पुष्टि करती है. यह एक तरह की राष्ट्रीय गौरव (national pride) की भावना को जन्म देती है, जिससे लोग उत्साहित हो जाते हैं. इसके विपरीत, अगर रिपोर्ट नकारात्मक होती है, तो निराशा और चिंता भी उतनी ही बढ़ जाती है.
2. मीडिया का प्रभाव (Media Influence)
भारतीय मीडिया, चाहे वह न्यूज़ चैनल हो, अख़बार हो या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, आर्थिक ख़बरों को अक्सर सनसनीखेज (sensationalized) तरीके से पेश करता है. "भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था", "दुनिया में भारत का डंका", "वैश्विक मंदी के बीच भारत एक चमकता सितारा" जैसे शीर्षक आम हैं. यह भाषा लोगों की भावनाओं को उभारती है और उन्हें अत्यधिक प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित करती है. मीडिया अक्सर जटिल आर्थिक डेटा को सरल, आकर्षक और कभी-कभी अतिरंजित (exaggerated) तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे आम जनता पर इसका गहरा असर पड़ता है.
3. तुलनात्मक मानसिकता (Comparative Mindset)
भारतीय समाज में तुलना (comparison) का चलन काफी आम है, चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर. भारत हमेशा खुद को विकसित देशों और चीन जैसी अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलना करता है. जब ग्लोबल ग्रोथ इंडेक्स जैसी रिपोर्ट आती है और भारत को बेहतर स्थान मिलता है, तो यह इस तुलनात्मक मानसिकता को संतुष्ट करता है और लोगों को खुशी देता है. वहीं, अगर भारत पिछड़ता है, तो यह चिंता का विषय बन जाता है.
4. सीधा व्यक्तिगत प्रभाव (Direct Personal Impact)
हालांकि ग्लोबल ग्रोथ इंडेक्स जैसे आंकड़े सीधे तौर पर हर व्यक्ति की रोज़मर्रा की जिंदगी को तुरंत प्रभावित नहीं करते, लेकिन लोग इसे देश की आर्थिक स्थिति (economic condition) और भविष्य की संभावनाओं (future prospects) से जोड़कर देखते हैं. अच्छी वृद्धि दर का मतलब बेहतर नौकरियां, निवेश के अवसर और कुल मिलाकर जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद हो सकती है. इसके विपरीत, धीमी वृद्धि दर का मतलब बेरोजगारी, कम आय और महंगाई का डर हो सकता है. इस प्रकार, यह लोगों की व्यक्तिगत वित्तीय सुरक्षा और भविष्य की उम्मीदों से जुड़ जाता है, जिससे उनकी प्रतिक्रिया भावनात्मक हो सकती है.
5. राजनीतिकरण (Politicization)
आर्थिक आंकड़े अक्सर राजनीतिक बहस (political debates) का हिस्सा बन जाते हैं. सत्ताधारी दल अच्छी आर्थिक रिपोर्टों का श्रेय लेता है, जबकि विपक्षी दल नकारात्मक रिपोर्टों का उपयोग सरकार की आलोचना करने के लिए करते हैं. इस राजनीतिक खींचतान के कारण भी आम जनता की प्रतिक्रियाएं अत्यधिक हो सकती हैं, क्योंकि वे अपनी पसंदीदा राजनीतिक विचारधारा के आधार पर इन आंकड़ों को देखते और प्रतिक्रिया देते हैं.
6. आर्थिक शिक्षा की कमी और जटिलता (Lack of Economic Literacy and Complexity)
आम जनता के लिए जटिल आर्थिक अवधारणाओं और डेटा को समझना मुश्किल हो सकता है. ग्लोबल ग्रोथ इंडेक्स जैसे संकेतक कई कारकों पर आधारित होते हैं और इनकी व्याख्या कई तरीकों से की जा सकती है. जब लोगों के पास पूरी जानकारी या गहरी समझ नहीं होती, तो वे अक्सर सतही जानकारी या मीडिया द्वारा प्रस्तुत सरल व्याख्याओं पर भरोसा करते हैं, जिससे उनकी प्रतिक्रियाएं अधिक तीव्र हो सकती हैं.
संक्षेप में, भारत में ग्लोबल ग्रोथ इंडेक्स को लेकर "ओवर रिएक्शन" एक जटिल घटना है जो राष्ट्रीय गौरव, मीडिया के प्रभाव, तुलनात्मक मानसिकता, व्यक्तिगत आकांक्षाओं और राजनीतिकरण जैसे कारकों का परिणाम है.