Celestial Insights with Susmitaa Ghai

Celestial Insights with Susmitaa Ghai Welcome to Magical World of Occult Sciences :-
Vedic Astrology Numerology & Palmistry With Susmitaa Ghai

31/01/2025
🔮Please Follow Me on TIK TOK🙏
10/01/2025

🔮Please Follow Me on TIK TOK🙏

0 Followers, 202 Following, 0 Likes - Watch awesome short videos created by 🕉️Sush💞Mita📿

🙏पुष्पांजलि 🙏🪔 आमावश्या, 30 December'24  Monday 🙏मम कुलस्य सर्व पितृ देवेभ्यों नमः🙏पितरो को तर्पण करे, पित्रों की कृपा प...
29/12/2024

🙏पुष्पांजलि 🙏
🪔 आमावश्या, 30 December'24 Monday
🙏मम कुलस्य सर्व पितृ देवेभ्यों नमः🙏
पितरो को तर्पण करे, पित्रों की कृपा पाने के लिए सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का एक दीपक 🪔 जलाना चाहिए ।

🙏🌹समस्त पितृभ्यो नमः🌹🙏
पितर चरण में नमन करें,
ध्यान धरें दिन रात ।
कृपा दृष्टि हम पर करें,
सिर पर धर दें हाथ ॥

ये कुटुम्ब है आपका,
आपका है परिवार ।
आपके आशिर्वाद से,
फले - फूले संसार ॥

भूल -चूक सब क्षमा करें,
करें महर भरपूर ।
सुख सम्पति से घर भरें,
कष्ट करें सब दूर ॥

आप हमारे हृदय में,
आपकी हम संतान ।
आपके नाम से हैं जुड़ी,
मेरी हर पहचान ॥

आपका ऋण भारी सदा,
नहीं चुकाया जाय ।
सात जनम भी कम पड़े,
वेद पुराण बताय ॥

हर दिन हर पल आपसे,
माँगे ये वरदान ।
वंश बेलि बढती रहे,
बढ़े मान सम्मान ॥

घर पैण्डे में आप बिराजें,
ये ही अरज करें ।
हम शरण में आपके,
निशदिन मेहर करें ॥
🙏🌹समस्त पितृभ्यो नमः🌹🙏
🙏मम कुलस्य सर्व पितृ देवेभ्यों नमः🙏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺

🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights
Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️
💡Instagram

💻 X (Twitter)

📹 YouTube Channel
Sushhmeita Singh Ghai
📲 What's App
+971 567508096
🔯™©®🔯

#अंकशास्त्र
#हस्तरेखाशास्त्र #अंकज्योतिष

#हस्तरेखा
#पितृ
#पितृपक्ष #श्राद्ध
#अमावस्या #पितृदोष

छिन्नमस्ता देवी :  दस महाविद्याओं की पाँचवीं देवी का रहस्यमय स्वरूपदस महाविद्याएँ हिंदू धर्म में देवी शक्ति के दस रूपों ...
28/11/2024

छिन्नमस्ता देवी : दस महाविद्याओं की पाँचवीं देवी का रहस्यमय स्वरूप

दस महाविद्याएँ हिंदू धर्म में देवी शक्ति के दस रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें पाँचवें स्थान पर देवी छिन्नमस्ता विराजमान हैं। उनका स्वरूप और आराधना गहन रहस्यमय हैं।
छिन्नमस्ता का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है :- "छिन्न" अर्थात कटा हुआ और "मस्ता" अर्थात सिर। उनका रूप और कथा आत्म-बलिदान, ऊर्जा और भक्ति का गहरा संदेश देते हैं।

देवी छिन्नमस्ता का स्वरूप :-
देवी छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत अद्वितीय और रहस्यमय है। वे अपने ही सिर को काटे हुए खड़ी हैं। उनके कटे हुए गले से तीन धाराएँ रक्त की बह रही हैं, जिनमें से दो उनके साथ खड़ी दो सहायक देवियों (डाकिनी और वरणी) को जा रही हैं और तीसरी स्वयं उनके मुँह में। वे नग्नावस्था में कमल के फूल पर खड़ी हैं और उनके नीचे कामदेव और रति प्रेमालाप करते हुए दिखते हैं।

इस स्वरूप का:- प्रतीकात्मक अर्थ है कि आत्म-बलिदान के माध्यम से चेतना का जागरण संभव है। यह जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को समझने का मार्गदर्शन करता है।

छिन्नमस्ता की कथा

देवी छिन्नमस्ता की कथा इस प्रकार है:-
एक बार देवी पार्वती अपनी सहेलियों जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थीं। स्नान के बाद जया और विजया को भूख लगने लगी। उन्होंने देवी से भोजन माँगा। देवी ने उन्हें थोड़ा प्रतीक्षा करने के लिए कहा, परंतु उनकी भूख शांत नहीं हुई। उनकी भक्ति और भूख को देखते हुए देवी पार्वती ने तुरंत अपना सिर काट लिया। उनके गले से रक्त की तीन धाराएँ निकलीं। इनमें से दो धाराओं से जया और विजया की भूख शांत हुई और तीसरी धारा स्वयं देवी ने ग्रहण की।
यह कथा सिखाती है कि बलिदान, त्याग और करुणा से दूसरों की मदद की जा सकती है।

देवी छिन्नमस्ता की पूजा विशेष रूप से कठिन साधना करने वालों के लिए होती है।
1. आध्यात्मिक ऊर्जा का जागरण: छिन्नमस्ता की पूजा से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
2. भय का नाश: उनकी आराधना से साधक के मन से भय और असमंजस का नाश होता है।
3. सिद्धियाँ प्राप्त करना: छिन्नमस्ता साधना से आत्मिक और भौतिक उन्नति होती है।

उनके मंत्र का जप साधक को ध्यान और साधना में सहायता करता है :-
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा।"

छिन्नमस्ता का प्रतीकात्मक संदेश :-
1. आत्म-बलिदान: छिन्नमस्ता अपने कटे हुए सिर के साथ दिखती हैं, जो त्याग और बलिदान का संदेश देती हैं।
2. काम और मोक्ष का संतुलन: उनके नीचे प्रेमालाप करते हुए कामदेव और रति यह दर्शाते हैं कि जीवन में काम और मोक्ष दोनों का स्थान है।
3. ऊर्जा का प्रवाह: रक्त की तीन धाराएँ चेतना के तीन स्तरों – जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति – का प्रतिनिधित्व करती हैं।

आधुनिक संदर्भ में छिन्नमस्ता :-
आज के समय में देवी छिन्नमस्ता का उपदेश आत्मनिर्भरता और बलिदान की भावना है। उनकी आराधना हमें सिखाती है कि जीवन में दूसरों की मदद करने और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने से आत्मिक और भौतिक सफलता संभव है।

उपसंहार :-
दस महाविद्याओं में देवी छिन्नमस्ता का स्थान हमें यह सिखाता है कि आत्म-त्याग और करुणा के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। उनकी पूजा साधक को आध्यात्मिक जागृति और सांसारिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है 🙏

ाविद्या #देवी_छिन्नमस्ता #शक्ति_पूजा #आध्यात्मिक_साधना #भारतीय_मिथक

🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

भुवनेश्वरी देवी: दस महाविद्याओं की चौथी शक्तिदस महाविद्याओं में चौथी महाविद्या हैं भुवनेश्वरी देवी जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड...
28/11/2024

भुवनेश्वरी देवी: दस महाविद्याओं की चौथी शक्ति

दस महाविद्याओं में चौथी महाविद्या हैं भुवनेश्वरी देवी

जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: "भुवन" (जगत) और "ईश्वरी" (शासक)। वे सृष्टि की रचयिता, पालनकर्ता, और संहारकर्ता के रूप में पूजित हैं। भुवनेश्वरी देवी की साधना से साधक को ब्रह्मांडीय चेतना, शांति, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

भुवनेश्वरी देवी का परिचय :-
भुवनेश्वरी देवी को "सर्वशक्तिशाली माता" के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप सौम्य और दिव्य है, और वे माया, प्रकृति, और शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। उन्हें "विविध भुवनों (तीनों लोकों)" की संरक्षिका कहा जाता है। वे जगत की समस्त ऊर्जा और शक्ति की मूल हैं। उनकी साधना तांत्रिक और वैदिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

आकृति और प्रतीक :-
भुवनेश्वरी देवी को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया गया है।
उनकी सुंदरता चंद्रमा के समान शीतल और सौम्य है।
उनके हाथों में पाश, अंकुश, और दो अभयमुद्राएं होती हैं।
उनका आसन कमल के फूल पर होता है।
वे ब्रह्मांडीय प्रकाश और ऊर्जा की प्रतीक हैं।

भुवनेश्वरी देवी की कथा :-

भुवनेश्वरी देवी की कथा उनके अनंत सृष्टि स्वरूप को दर्शाती है।
पुराणों में वर्णन है कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना का प्रयास किया, तो वे असफल हो गए। उन्होंने महाशक्ति की आराधना की, जिसके परिणामस्वरूप भुवनेश्वरी देवी प्रकट हुईं। देवी ने अपनी दिव्य ऊर्जा से ब्रह्मा को सृष्टि निर्माण का ज्ञान प्रदान किया।
देवी भुवनेश्वरी ने यह सिद्ध किया कि समस्त सृष्टि उन्हीं से उत्पन्न होती है और अंततः उन्हीं में विलीन होती है। इसलिए उन्हें जगत जननी कहा जाता है।

भुवनेश्वरी देवी की साधना का महत्व

भुवनेश्वरी देवी की साधना से साधक को :-
1. सांसारिक बाधाओं का नाश होता है
2. धन, ऐश्वर्य, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
3. सर्वोच्च आध्यात्मिक चेतना का अनुभव होता है।
4. शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है।
5. साधक में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास होता है।

पूजा विधि :-
1. पूजा के लिए सुबह के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
2. देवी को लाल और पीले फूल, चंदन, और प्रसाद अर्पित करें।
3. मंत्र :-
"ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः"
का 108 बार जप करें।

4. ध्यान करें कि भुवनेश्वरी देवी से सारा ब्रह्मांड उत्पन्न हो रहा है।
5. श्रीसूक्त और चंडी पाठ करें।

भुवनेश्वरी की विशेषता :-
वे माया (भ्रम) की रचयिता और उसकी नाशक दोनों हैं।
उनकी कृपा से व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
भुवनेश्वरी देवी को "वाक् शक्ति" (वाणी की शक्ति) का भी प्रतीक माना जाता है।

आधुनिक संदर्भ में भुवनेश्वरी देवी :-
आज के समय में भुवनेश्वरी देवी की पूजा सफलता, नेतृत्व, और जीवन में स्थिरता के लिए की जाती है। उनकी साधना से व्यक्ति अपने जीवन को संतुलित और शक्तिशाली बना सकता है।

निष्कर्ष :-
भुवनेश्वरी देवी ब्रह्मांडीय शक्ति, सृजन, और संरक्षण की देवी हैं। उनकी साधना से व्यक्ति को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन प्राप्त होता है। वे इस संसार की सभी ऊर्जा का केंद्र हैं और हर बाधा का समाधान देती हैं।
"भुवनेश्वरी देवी की कृपा से, साधक को हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।"

#भुवनेश्वरी_देवी ाविद्या ी #शक्ति_की_देवी #तांत्रिक_साधना #भारतीय_धर्म_परंपरा #देवी_उपासना #मां_भुवनेश्वरी


🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

दस महाविद्याएं, भारतीय तंत्र परंपरा में देवी की दस महान शक्तियों का प्रतीक हैं। इन शक्तियों में तीसरी हैं त्रिपुरसुंदरी ...
28/11/2024

दस महाविद्याएं, भारतीय तंत्र परंपरा में देवी की दस महान शक्तियों का प्रतीक हैं।
इन शक्तियों में तीसरी हैं त्रिपुरसुंदरी देवी, जिन्हें श्रीविद्या, ललिता त्रिपुरसुंदरी, और राजराजेश्वरी भी कहा जाता है। वे सौंदर्य, ऐश्वर्य, और दिव्यता की प्रतीक हैं। उनकी उपासना से साधक को सभी सांसारिक और आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

त्रिपुरसुंदरी देवी का परिचय :-
"त्रिपुरसुंदरी" का अर्थ है "तीनों लोकों की सबसे सुंदर देवी।" वे त्रिलोक (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) की अधीश्वरी हैं और संसार की सभी ऊर्जा और शक्ति की स्रोत मानी जाती हैं।
त्रिपुरसुंदरी को तंत्र परंपरा में श्रीचक्र का केंद्र माना जाता है, जो सृष्टि और ब्रह्मांड की सभी ऊर्जाओं का प्रतीक है। उनकी पूजा विशेष रूप से श्रीविद्या साधना के माध्यम से की जाती है।

आकृति और प्रतीक :-
त्रिपुरसुंदरी देवी को 16 वर्ष की किशोरी के रूप में दर्शाया गया है, जो उनके सौंदर्य और ऊर्जा का प्रतीक है। वे लाल या सुनहरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें पाश, अंकुश, नीलकमल, और अभयमुद्रा होती है। वे सिंहासन पर विराजमान रहती हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ईश्वर द्वारा समर्थित होता है। श्रीचक्र या श्री यंत्र उनके प्रतीक हैं, जो साधना का केंद्र है।

त्रिपुरसुंदरी की कथा उनके ललिता सहस्रनाम और तंत्र ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है।
पुराणों के अनुसार, असुर भंडासुर ने देवताओं को पराजित कर त्रिलोक पर अधिकार कर लिया।
देवताओं की प्रार्थना पर त्रिपुरसुंदरी देवी ने अवतार लिया और श्रीचक्र के माध्यम से भंडासुर और उसकी सेना का संहार किया।
उनकी इस विजय से संसार में धर्म, शांति और सौंदर्य की स्थापना हुई। इसलिए उन्हें राजराजेश्वरी और त्रिलोक विजयिनी भी कहा जाता है।

त्रिपुरसुंदरी की साधना का महत्व :-
त्रिपुरसुंदरी देवी की साधना से :-
1. आध्यात्मिक जागृति: साधक को आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान प्राप्त होता है।
2. सौंदर्य और ऐश्वर्य: साधक के जीवन में सौंदर्य, धन, और वैभव का आगमन होता है।
3. सुख और शांति: साधना से मन में शांति और जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
4. सभी बाधाओं का नाश: उनकी कृपा से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।

पूजा विधि
त्रिपुरसुंदरी देवी की पूजा के लिए सुबह के समय श्रीचक्र या श्री यंत्र की स्थापना करें।

लाल वस्त्र पहनें और देवी को लाल पुष्प, कमल, और मिठाई अर्पित करें।
मंत्र : -
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः श्री महात्रिपुरसुंदरीयै नमः"
का 108 बार जप करें।
श्रीसुक्तम और ललिता सहस्रनाम का पाठ करें।

आधुनिक संदर्भ में त्रिपुरसुंदरी,
आज के समय में त्रिपुरसुंदरी देवी की साधना न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है, बल्कि जीवन में संतुलन, सफलता, और आत्मविश्वास के लिए भी की जाती है।

उनकी उपासना से व्यक्ति अपने भीतर छिपे दिव्य गुणों को जाग्रत कर सकता है।

निष्कर्ष
त्रिपुरसुंदरी देवी ब्रह्मांडीय शक्ति, सौंदर्य और ज्ञान की देवी हैं। उनकी साधना से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति संभव है।

उनकी कृपा से साधक को आत्मज्ञान के साथ-साथ भौतिक सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है।

"त्रिपुरसुंदरी देवी की उपासना, सौंदर्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।"

🌷🌷 ऊं श्रीं श्रिये नमः🌷🌷
त्रिपुरे त्वं जगन्माता त्रिपुरे त्वं जगत्पिता।
त्रिपुरे त्वं जगत् धात्री त्रिपुरायै नमोनमः।। 🙏

श्री राजराजेश्वरी जगज्जननी आद्या शक्ति
🕉 श्री माहाबाला त्रिपुरसुन्दरी देवी नमो नम: 🌹🙏

🌷🌷“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः “🌷🌷

#भुवनेश्वरी_देवी ाविद्या ी #शक्ति_की_देवी #तांत्रिक_साधना #भारतीय_धर्म_परंपरा #देवी_उपासना #मां_भुवनेश्वरी


🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

तारा देवी:- दस महाविद्याओं की दूसरी शक्तिदस महाविद्याएं तंत्र परंपरा में देवी की,दस रूपों की प्रतीक हैं, जो अद्वितीय शक्...
28/11/2024

तारा देवी:- दस महाविद्याओं की दूसरी शक्ति
दस महाविद्याएं तंत्र परंपरा में देवी की,
दस रूपों की प्रतीक हैं, जो अद्वितीय शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इन महाविद्याओं में दूसरी महाविद्या हैं तारा देवी, जिन्हें "महाशक्ति" और "मोक्ष प्रदायिनी" के रूप में पूजा जाता है।
तारा देवी को ज्ञान, शांति और मुक्ति की देवी माना जाता है।

तारा देवी का परिचय

तारा देवी को "नील सरस्वती" भी कहा जाता है। यह नाम उनके ज्ञान और वाणी की शक्ति का प्रतीक है।

उनकी उपासना तांत्रिक साधना में अत्यधिक प्रभावशाली मानी जाती है।

तारा का अर्थ होता है "सितारा" या "नौका", जो संकट से पार लगाने वाली देवी को दर्शाता है।

तारा देवी को चार रूपों में जाना जाता है:-
1. एकजटा तारा - साधारण रूप में।
2. नील सरस्वती तारा - ज्ञान की देवी।
3. उग्र तारा - युद्ध की देवी।
4. महोग्रा तारा - रौद्र रूप।

आकृति और प्रतीक

तारा देवी को नीले रंग की त्वचा, तीन नेत्र, और चार भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है। उनके हाथों में खड्ग, खोपड़ी, और अभयमुद्रा होती है।

वे आमतौर पर शव पर खड़ी होती हैं, जो उनके त्रिकाल-ज्ञान और संसार के माया पर विजय को दर्शाता है।

तारा देवी की कथा

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष प्रकट हुआ, तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उसे ग्रहण कर लिया।

विष के प्रभाव से जब शिव अचेत हो गए, तब तारा देवी ने उन्हें अपने स्तनपान से पुनः जीवित किया। इसी कारण से उन्हें "नील सरस्वती" और "सर्व रक्षक" के रूप में पूजा जाता है।

तारा देवी की साधना का महत्व

तारा देवी की साधना से :-
साधक को अज्ञान और अंधकार से मुक्ति मिलती है।

मन को स्थिरता और शांति प्राप्त होती है।

मृत्यु भय का नाश होता है।

जीवन में अद्वितीय आत्मविश्वास का संचार होता है।

पूजा विधि :-
तारा देवी की पूजा के लिए नीले वस्त्र पहनें।

नीले फूल और तिल का तेल अर्पित करें।

देवी के मंत्र :-
"ॐ तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा"
का 108 बार जप करें।

शुद्ध चित्त और ध्यान के साथ उनकी आराधना करें।

आधुनिक संदर्भ में तारा देवी

आज के समय में तारा देवी को रचनात्मकता, ज्ञान और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा के रूप में पूजा जाता है।

विशेषकर शिक्षा और कला के क्षेत्र में उनका विशेष महत्व है।

निष्कर्ष
तारा देवी केवल एक देवी नहीं हैं, बल्कि ब्रह्मांडीय शक्ति और ज्ञान का प्रतीक हैं।

उनकी साधना से साधक अपने जीवन में आत्मज्ञान और मुक्ति का अनुभव करता है। संकट से उबरने के लिए उनकी उपासना का विशेष महत्व है।

"तारा देवी की शक्ति, हर बाधा को पार कराए।" 🙏

#तारा_देवी ाविद्या #महाविद्या_तारा #शक्ति_साधना #तंत्र_विद्या #भारतीय_संस्कृति #हिन्दू_धर्म #आध्यात्मिक_जागरण #ज्ञान_की_देवी #शांति_और_मुक्ति #नील_सरस्वती

🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

दुर्गा का रहस्यमय स्वरूप: दस महाविद्याओं की प्रथम देवी कालीहिंदू धर्म में देवी काली को आदि शक्ति, महासरस्वती, महालक्ष्मी...
24/11/2024

दुर्गा का रहस्यमय स्वरूप: दस महाविद्याओं की प्रथम देवी काली

हिंदू धर्म में देवी काली को आदि शक्ति, महासरस्वती, महालक्ष्मी और महादुर्गा का प्रतीक माना गया है। दस महाविद्याओं में देवी काली प्रथम स्थान पर हैं।

वे सृजन, पालन और विनाश की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके उग्र और भयानक रूप के पीछे गहन आध्यात्मिक रहस्य और अनंत करुणा छिपी हुई है।

काली का स्वरूप और महत्व

देवी काली का वर्ण काला है, जो अज्ञानता और अंधकार को दूर करने का संकेत है। उनके चार हाथ हैं, जिनमें तलवार, खप्पर और अभयमुद्रा होती है।

उनकी जीभ बाहर निकली होती है और वे शव पर खड़ी होती हैं। यह स्वरूप हमें यह सिखाता है कि मृत्यु और विनाश भी जीवन चक्र का अभिन्न हिस्सा हैं।

दस महाविद्याओं में काली का स्थान

दस महाविद्याएँ शक्ति के दस रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

देवी काली इनमें पहली हैं और उन्हें 'महाकाल की अधिष्ठात्री' कहा जाता है। काली समय (काल) को नियंत्रित करती हैं और भौतिकता से परे की यात्रा में साधक का मार्गदर्शन करती हैं।

काली की पूजा का महत्व

देवी काली की पूजा विशेष रूप से भय, क्रोध और अहंकार पर विजय पाने के लिए की जाती है।

उनकी आराधना से साधक को अदम्य साहस, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

काली पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जप किया जाता है।

उनका मुख्य बीज मंत्र है:-

"ॐ क्रीं कालीकायै नमः।"

यह मंत्र साधक को आत्मबोध और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

काली की कथा: अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा

देवी काली की उत्पत्ति की सबसे प्रसिद्ध कथा दुर्गा सप्तशती में वर्णित है। रक्तबीज नामक असुर को हराने के लिए देवी दुर्गा ने अपने क्रोध से काली को प्रकट किया।

काली ने अपने उग्र रूप से राक्षसों का संहार किया और रक्तबीज के रक्त को अपने खप्पर में भर लिया, ताकि उसके जैसे अन्य राक्षस उत्पन्न न हो सकें।

आधुनिक संदर्भ में काली की प्रासंगिकता

आज के समय में, देवी काली का उपदेश है कि हमें अपने अंदर के अंधकार को पहचानना और उसे दूर करना चाहिए।

उनकी पूजा हमें आत्मबल और धैर्य प्रदान करती है, जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अत्यंत आवश्यक है।

उपसंहार

देवी काली न केवल शक्ति और विनाश की देवी हैं, बल्कि वे नवजीवन और सृजन का भी प्रतीक हैं।

उनकी आराधना से साधक को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।

इस नवरात्रि, देवी काली की आराधना कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को नई दिशा दें।

ाविद्या #देवी_काली #महाकाल #शक्ति_पूजा #आध्यात्मिक_यात्रा


🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

दस महाविद्या, आद्याशक्ति के दस रूपदस महाविद्याओं का महत्त्व तांत्रिक परंपरा और भारतीय आध्यात्मिक साधना में अद्वितीय है। ...
24/11/2024

दस महाविद्या, आद्याशक्ति के दस रूप
दस महाविद्याओं का महत्त्व तांत्रिक परंपरा और भारतीय आध्यात्मिक साधना में अद्वितीय है।

प्रत्येक महाविद्या एक अलग शक्ति और सिद्धि का प्रतीक है।

इनके माध्यम से साधक न केवल आत्मिक उन्नति करता है बल्कि सांसारिक समस्याओं का भी समाधान प्राप्त करता है।

दस महाविद्याओं का विस्तृत विवरण :-
ये आद्याशक्ति के दस रूप माने जाते हैं, जो साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक मोक्ष प्रदान करती हैं।

1. काली
स्वरूप: काली भयानक और करुणामयी दोनों रूपों में पूजनीय हैं। उनका रूप अज्ञान के नाश और समय को नियंत्रित करने का प्रतीक है।
मंत्र:
“ॐ क्रीं कालिकायै नमः”
उद्देश्य: जीवन में भय, अज्ञान और नकारात्मकता को समाप्त करना।

2. तारा
स्वरूप: नीले रंग की देवी, जो संकट से उबारने वाली और ज्ञान प्रदान करने वाली हैं।
मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं तारा नमः”
उद्देश्य: साधना में मार्गदर्शन और मुक्ति प्राप्त करना।

3. त्रिपुरसुंदरी (श्रीविद्या)
स्वरूप: सृजन, सौंदर्य और भोग की देवी।
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिपुरसुंदर्यै नमः”
उद्देश्य: आत्मिक और सांसारिक वैभव प्राप्त करना।

4. भुवनेश्वरी
स्वरूप: संपूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः”
उद्देश्य: जीवन में शांति और सामंजस्य लाना।

5. छिन्नमस्ता
स्वरूप: अपना सिर काटकर बलिदान की शिक्षा देने वाली देवी।
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा”
उद्देश्य: नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश और शक्ति संचय।

6. त्रिपुरभैरवी
स्वरूप: साधना और तपस्या की शक्ति।
मंत्र:
“ॐ त्रिपुरभैरव्यै नमः”
उद्देश्य: साधना और योग में उन्नति।

7. धूमावती
स्वरूप: विध्वंस और अपूर्णता की देवी।
मंत्र:
“ॐ धूं धूं धूमावत्यै स्वाहा”
उद्देश्य: समस्याओं और बाधाओं का समाधान।

8. बगलामुखी
स्वरूप: शत्रुओं का नाश करने वाली।
मंत्र:
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”
उद्देश्य: शत्रुओं पर विजय।

9. मातंगी
स्वरूप: कला, संगीत और ज्ञान की देवी।
मंत्र:
“ॐ ह्रीं मातंग्यै नमः”
उद्देश्य: विद्या, वाणी और रचनात्मकता का विकास।

10. कमला
स्वरूप: धन और वैभव की देवी, लक्ष्मी का एक रूप।
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमलायै नमः”
उद्देश्य: धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त करना।

महाविद्या साधना के विशेष लाभ :-

मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति।
भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि।
दुर्भाग्य और नकारात्मकता से मुक्ति।

साधना की प्रक्रिया, सावधानियां,
महाविद्याओं की साधना :-

1. गुरु का मार्गदर्शन अवश्य लें।
2. साधना के लिए पवित्र स्थान और समय का चयन करें।
3. नियमित मंत्र जाप और ध्यान करें।
4. देवी को पुष्प, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

इनकी साधना में अनुशासन और नियमों का पालन अति आवश्यक है।

Vinod Dharewa
Kathmandu, Nepal 🇳🇵
📱 +977 98510 56851
📧 [email protected]
©️™️®️

ाविद्या #आध्यात्मिक_ज्ञान #तंत्र_साधना #शक्ति_उपासना #दुर्गा_महिमा #हिंदू_धर्म #देवी_साधना #शक्तिपीठ #सनातन_संस्कृति
#तांत्रिक_साधना #काली_माँ #तारा_देवी #श्रीविद्या #साधना_मार्ग #सनातन_धर्म #हिंदू_संस्कृति #आध्यात्मिक_यात्रा #देवी_महिमा #माँ_दुर्गा





#करणीमाताजी #देवी_भक्ति
#करणीमाता_आशीर्वाद
#करणी_मंदिर

🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌟Celestial 🔭 Insights

Vedic Astrology, Numerology & Palmistry With 🤝 Sushhmeita
🀄वैदिक ज्योतिष, अंकशास्त्र & हस्तरेखा शास्त्र
🔢-🔠🧧🧚‍♂️

#अंकशास्त्र


#हस्तरेखाशास्त्र
#अंकज्योतिष

#हस्तरेखा




💡Instagram


💻 X (Twitter)


📹 YouTube Channel
@ Sushhmeita Singh Ghai

📲 What's App
+971 567508096

🔯™©®🔯

Address

Surat

Telephone

+971522391357

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Celestial Insights with Susmitaa Ghai posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Celestial Insights with Susmitaa Ghai:

Share