04/08/2024
क्या आप जानते हैं कि भारत की एक बेटी ने तलवारबाजी के खेल में ऐसा इतिहास रचा है, जिसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा? हम बात कर रहे हैं चडालवाड़ा आनंदा सुंदररामन भवानी देवी की, जिन्हें सब प्यार से सीए भवानी देवी कहते हैं। उनकी कहानी साहस, संघर्ष और अदम्य इच्छा शक्ति की अनूठी मिसाल है। 🌟🗡️
27 अगस्त 1993 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मी भवानी देवी ने एक साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण सपने देखे। उनके पिता आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले से थे, जो बाद में चेन्नई में आकर बसे। भवानी ने अपनी स्कूली पढ़ाई मुरुगा धनुषकोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से की और सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, चेन्नई में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने केरल के थालास्सेरी में गवर्नमेंट ब्रेनन कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री प्राप्त की।
भवानी देवी की तलवारबाजी की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने 2004 में स्कूल स्तर पर इस खेल से परिचय किया। कक्षा 10 पूरी करने के बाद, उन्होंने केरल के थालास्सेरी में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में दाखिला लिया। मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने तुर्की में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, जहाँ एक मामूली देरी के कारण उन्हें ब्लैक कार्ड मिला। लेकिन भवानी ने हार नहीं मानी, बल्कि इसे अपनी प्रेरणा बना लिया। 2010 में फिलीपींस में एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर भारतीय तलवारबाजी में एक नया अध्याय लिखा। भवानी देवी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में पदक जीते हैं। 2009 में मलेशिया में आयोजित कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में कांस्य पदक से अपने सफर की शुरुआत की। इसके बाद 2010 इंटरनेशनल ओपन, थाईलैंड; 2010 कैडेट एशियाई चैम्पियनशिप, फिलीपींस; 2012 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप, जर्सी; 2015 अंडर-23 एशियाई चैम्पियनशिप, उलानबटार, मंगोलिया और 2015 फ्लेमिश ओपन में भी कांस्य पदक जीते। 2014 में फिलीपींस में अंडर 23 एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता और ऐसा करने वाली पहली भारतीय बनीं। सबसे बड़ी उपलब्धि तब आई जब भवानी देवी ने 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। वे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज़ बनीं, जिससे उन्होंने देश का नाम रोशन किया। इस सफर में उन्हें राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के माध्यम से गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन का समर्थन भी मिला।
भवानी देवी की कहानी उनकी मेहनत, समर्पण और धैर्य का प्रतीक है। उन्होंने साबित कर दिया कि सच्चे मन से किए गए प्रयास और दृढ़ निश्चय के साथ कोई भी सपना साकार हो सकता है। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, आत्मविश्वास और लगन से हर बाधा को पार किया जा सकता है। भवानी देवी को दिल से सलाम और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ! 🌟🗡️🏅