14/07/2025
हमारे संगठन में जब किसी जिले में प्रभारी नियुक्त किया जाता है, तो उसे कुछ महत्वपूर्ण शक्तियाँ दी जाती हैं ताकि वह जिला इकाई के कामकाज की निगरानी, मार्गदर्शन और समन्वय कर सके। ये शक्तियाँ यह सुनिश्चित करने के लिए होती हैं कि जिला स्तर पर संगठन के लक्ष्य और नीतियाँ प्रभावी ढंग से लागू हों।
यहाँ प्रभारियों को दी जाने वाली प्रमुख शक्तियों का विवरण दिया गया है:
संगठनात्मक और प्रशासनिक शक्तियाँ
▪️ निगरानी और रिपोर्टिंग: प्रभारी को जिला अध्यक्ष और जिला समिति के कार्यों की नियमित रूप से निगरानी करने का अधिकार होता है। उसे यह सुनिश्चित करना होता है कि संगठन की नीतियों और दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है। इसकी रिपोर्ट वह उच्च नेतृत्व को भेजता है।
▪️ मार्गदर्शन और निर्देश: प्रभारी को जिला अध्यक्ष और जिला समिति को संगठनात्मक नीतियों, लक्ष्यों और कार्यक्रमों के संबंध में आवश्यक मार्गदर्शन और निर्देश जारी करने का अधिकार होता है। ये निर्देश संगठन की केंद्रीय या राज्य इकाई की नीतियों के अनुरूप होगा
▪️ बैठकें बुलाना: विशेष परिस्थितियों में या जब आवश्यकता हो, प्रभारी को जिला समिति की बैठकें बुलाने का अधिकार है। वह इन बैठकों की अध्यक्षता भी कर सकता है, खासकर यदि जिला अध्यक्ष अनुपस्थित हो या किसी कारण से बैठक बुलाने में असमर्थ हो।
▪️ कार्य विभाजन की समीक्षा: प्रभारी को जिला अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के बीच कार्यों के विभाजन की समीक्षा करने का अधिकार होता है। यदि आवश्यक हो, तो वह कार्यकुशलता बढ़ाने और समन्वय बेहतर करने के लिए इसमें संशोधन का आदेश भी दे सकता है।
▪️ शिकायतों का निवारण: जिला इकाई के भीतर किसी भी सदस्य, पदाधिकारी या हितधारक की शिकायतों को सुनने और उनका निवारण करने में प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वित्तीय शक्तियाँ
▪️ वित्तीय निगरानी: प्रभारी को जिला इकाई के वित्तीय लेनदेन, व्यय और धन के उपयोग की निगरानी करने का अधिकार होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए होता है कि वित्तीय अनुशासन बना रहे और संगठन के फंड का सही उपयोग हो रहा है।
▪️ लेखा-जोखा की समीक्षा: प्रभारी को समय-समय पर जिला इकाई के वित्तीय लेखा-जोखा और बजटीय आवंटन की समीक्षा करने का अधिकार होता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
अनुशासनिक शक्तियाँ
▪️ अनुशासनहीनता पर कार्रवाई की सिफारिश: यदि कोई जिला अध्यक्ष या जिला समिति का सदस्य अनुशासनहीनता, लापरवाही, या संगठन के नियमों के विरुद्ध कार्य में लिप्त पाया जाता है, तो प्रभारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने का अधिकार होता है। यह सिफारिश उच्च पदाधिकारीयों को भेजी जाती है।
▪️ स्पष्टीकरण मांगना: प्रभारी को किसी भी पदाधिकारी या सदस्य से किसी भी मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगने का अधिकार होता है, खासकर यदि उनके आचरण या निर्णय पर सवाल उठता है।
निर्णय लेने और अनुमोदन शक्तियाँ
▪️ महत्वपूर्ण निर्णयों का अनुमोदन: कुछ विशेष या महत्वपूर्ण मामलों में, प्रभारी को जिला समिति द्वारा लिए गए निर्णयों का अंतिम अनुमोदन करने का अधिकार दिया जाता है, विशेषकर वे निर्णय जो संगठन की व्यापक नीतियों या छवि को प्रभावित करते हों।
▪️ योजनाओं और कार्यक्रमों की स्वीकृति: जिला इकाई द्वारा प्रस्तावित प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने से पहले प्रभारी की स्वीकृति आवश्यक होगी।
हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि इन शक्तियों का उपयोग संतुलित तरीके से किया जाए ताकि जिला अध्यक्ष की भूमिका और स्थानीय स्तर पर उसकी स्वायत्तता का अनावश्यक हनन न हो।