21/01/2025
❤️के आक़ा की चौखट नज़र आ रही है
इसी बेखुदी मे कही खो न जाऊं
तड़प नूर वाले की तड़पा रही हैं❤️
❤️दो आलम का दाता मेरे सामने है
के काबे का काबा मेरे सामने है
अदा क्यूं न फ़र्ज़े मोहब्बत करू मैं
ख़ुदा की खुदाई झुकी जा रही है❤️
❤️गले में है जुल्फें तो नीची निगाहें
नज़र चूमती है मदीने की राहें
फ़रिश्ते भी बढ़कर क़दम चूमते है
मुहम्मद की जोगन चली आ रही है❤️
💝फ़कीरी का मुझमें नहीं है सलीका
न आता है कुछ मांगने का तरीका
इधर भी निगाहें करम नूर वाले
ज़माने की झोली भरी जा रही है 💝
❤️फरिश्तों सारी राह आँखें बिछा दो
उठो बहरे ताजीम सर को झुका दो
ख़ुदा कह रहा है मेरे दिलरुबा की
वो देखो सवारी चली आ रही है❤️
❤️ये फरमाया हक़ ने के प्यारे मोहम्मद
हमारे हो तुम हम तुम्हारे मोहम्मद
हमें अपने जलवों में ऐ कमली वाले
तुम्हारी ही सूरत नज़र आ रही है❤️
❤️ये जज़्बा मोहब्बत है रहमत ख़ुदा की
है चौखट मेरे सामने मुस्तफा की
मुझे क्यूं न हो नाज़ क़िस्मत पे अपनी
मेरी जिंदगी बनी जा रही हैं ❤️