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दो साल बाद पति विदेश से लौटा तो स्टेशन पर भीख मांगती हुई मिली पत्नी, फिर जो हुआऔर देखें: https://rb.celebshow247.com/as0...
18/08/2025

दो साल बाद पति विदेश से लौटा तो स्टेशन पर भीख मांगती हुई मिली पत्नी, फिर जो हुआ
और देखें: https://rb.celebshow247.com/as02

अंकित पिछले दो साल से खाड़ी देश में मजदूरी कर रहा था। उसका सपना था कि वह अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी दे सके। हर महीने वह बड़ी मेहनत से कमाए हुए पैसे भारत भेजता, ताकि उसके मां-बाप को इज्जत मिले, पत्नी सुषमा को किसी चीज की कमी न हो। उसे लगता था, जब वह लौटेगा तो घर खुशियों से भरा होगा, उसके मां-बाप और पत्नी के चेहरे पर मुस्कान होगी।

लेकिन किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती। दो साल बाद जब अंकित भारत लौटा, दिल्ली से ट्रेन पकड़कर अपने शहर श्यामगढ़ की ओर रवाना हुआ। रास्ते में ट्रेन सोनपुर स्टेशन पर रुकी। अंकित ने सोचा, थोड़ा उतरकर चाय पी लूं। प्लेटफॉर्म पर उतरा तो उसकी नजर एक कोने में बैठे तीन लोगों पर गई—दो बूढ़े और एक औरत, जिनके सामने एक कटोरा रखा था। वे लोगों से मदद मांग रहे थे। अंकित ठिठक गया, दिल की धड़कन तेज हो गई। जब उसने गौर से देखा, तो पैरों तले जमीन खिसक गई—वो उसके अपने मां-बाप और पत्नी सुषमा थी!

अंकित पत्थर की तरह वहीं खड़ा रह गया। सुषमा ने उसे देखा तो फूट-फूटकर रो पड़ी। अंकित के गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी। वह कांपती आवाज़ में बोला, “सुषमा, ये सब कैसे हुआ? मैं तो हर महीने पैसे भेज रहा था। मैंने तो तुम सबको मनोज भैया और रीमा भाभी के भरोसे छोड़ा था। आखिर ये दिन क्यों आया?”

गरीब बच्चे ने बाप की जान बचाने के लिए भीख मांगी पर आगे जो हुआ|और देखें: मुंबई की भीड़भाड़ भरी गलियों में, धारावी की एक छ...
18/08/2025

गरीब बच्चे ने बाप की जान बचाने के लिए भीख मांगी पर आगे जो हुआ|
और देखें: मुंबई की भीड़भाड़ भरी गलियों में, धारावी की एक छोटी सी झोपड़ी में दस साल का राजू अपने बाबूजी रामलाल के साथ रहता था। उस झोपड़ी की चार टूटी-फूटी दीवारें, ऊपर टीन की छत, बरसात में टपकती पानी की बूँदें—यही उसकी पूरी दुनिया थी। लेकिन इस छोटी सी दुनिया का सबसे बड़ा खजाना था उसका बाबूजी का प्यार। रामलाल कभी मेहनती बढ़ई थे, जिनके हाथों में लकड़ी को जिंदगी देने का हुनर था। लोग कहते थे, उनकी बनाई हर चीज़ में जान बसती है। लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि लकड़ी की धूल और जहरीली पॉलिश ने उनके फेफड़ों को खोखला कर दिया। अब रामलाल एक पुरानी सी खाट पर पड़े रहते, हर सांस उनके लिए जंग बन चुकी थी।

राजू की माँ उसे बहुत पहले छोड़कर भगवान के पास चली गई थी। तब से बाबूजी ने ही उसे माँ और बाप दोनों का प्यार दिया। उन्होंने कभी उसे किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। लेकिन अब जब राजू को अपने बाबूजी की सबसे ज्यादा जरूरत थी, बाबूजी खुद लाचार हो चुके थे। घर की जमा पूंजी खत्म हो चुकी थी। सरकारी अस्पताल से मुफ्त दवाइयां तो मिलती थीं, लेकिन डॉक्टर ने कह दिया था कि रामलाल को अच्छा खाना, ताजे फल और महंगी दवाइयां चाहिए, तभी उनकी हालत सुधर सकती है। ठेकेदार भी मदद से मुकर गया था। कई रातें राजू और उसके बाबूजी सिर्फ पानी पीकर सो जाते। राजू अपने बाबूजी को तिल-तिल कर कमजोर होते देखता, उसका दिल रो उठता।

हॉस्पिटल में बेटी का इलाज कराने गई थी हॉस्पिटल का डॉक्टर निकला तलाकशुदा पति।.और देखें: https://rb.celebshow247.com/dn1aप...
18/08/2025

हॉस्पिटल में बेटी का इलाज कराने गई थी हॉस्पिटल का डॉक्टर निकला तलाकशुदा पति।.
और देखें: https://rb.celebshow247.com/dn1a

पटना की गलियों में सुबह की हल्की धुंध छाई थी। गंगा के किनारे बसे इस शहर में ज्योति अपने छोटे से मकान की बालकनी में खड़ी होकर चाय की चुस्कियां ले रही थी। तीस साल की ज्योति के चेहरे पर गंभीरता थी, लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसकी पांच साल की बेटी पीहू ही उसकी दुनिया थी। पीहू अपने खिलौनों के साथ खेल रही थी, और घर उसकी मासूम हंसी से गुलजार रहता था।

ज्योति एक स्कूल में शिक्षिका थी। उसकी जिंदगी अब सिर्फ पीहू और उसकी छोटी-छोटी खुशियों के इर्द-गिर्द घूमती थी। लेकिन आठ साल पहले उसकी कहानी बिल्कुल अलग थी। तब उसका जीवन रमेश के साथ प्यार और सपनों की नींव पर टिका था। रमेश उसका पति था, जिससे उसने कॉलेज में पहली बार मुलाकात की थी। दोनों का प्यार गंगा किनारे चाय की टपरी पर लंबी बातों से शुरू हुआ था। शादी के बाद दोनों ने भविष्य के सुनहरे सपने देखे थे। लेकिन धीरे-धीरे शादी के बाद चीजें बदल गईं। रमेश का करियर, उसकी महत्वाकांक्षाएं और ज्योति की छोटी-छोटी उम्मीदें कहीं टकराने लगीं। छोटी-छोटी बातें बड़े झगड़ों में बदल गईं। एक दिन रमेश ने कहा, “शायद हम दोनों ने जल्दबाजी कर दी।” तलाक के कागजों पर हस्ताक्षर करते हुए ज्योति की आंखों में आंसुओं की जगह ठंडी उदासी थी। रमेश चला गया, और पीहू तब महज कुछ महीनों की थी।

SP ऑफिस में जैसे ही बुजुर्ग महिला पहुंची। साहब कुर्सी छोड़ खड़े हो गए|see more: https://rb.celebshow247.com/7rsbसुबह के ...
18/08/2025

SP ऑफिस में जैसे ही बुजुर्ग महिला पहुंची। साहब कुर्सी छोड़ खड़े हो गए|
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सुबह के 10 बजे थे। शहर के एसपी ऑफिस के बाहर रोज़ की तरह हलचल थी। पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात थे, और लोग अपनी-अपनी शिकायतें लेकर लाइन में लगे हुए थे। इसी भीड़ में एक बुजुर्ग महिला नंगे पांव, फटे पुराने कपड़ों में, कांपती चाल से ऑफिस की सीढ़ियां चढ़ रही थी। उसकी उम्र साठ के पार थी, चेहरा झुर्रियों से भरा, आंखों में गहरी उदासी, और एक हाथ में फटा हुआ थैला था। दूसरे हाथ से वह दीवार का सहारा लेकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। हर कदम पर उसकी थकान साफ झलक रही थी।

ऑफिस के गेट पर पहुंचकर उसने एक युवा कांस्टेबल से कांपती आवाज़ में कहा, “बेटा, मुझे एक रिपोर्ट लिखवानी है।” कांस्टेबल ने बिना उसकी ओर देखे रूखेपन से जवाब दिया, “माताजी, यहां रिपोर्ट नहीं लिखी जाती, नजदीकी थाने जाइए।” यह सुनकर महिला की आंखों में जो थोड़ी सी उम्मीद थी, वह बुझ गई। वह वहीं ज़मीन पर बैठ गई, उसके आंसू बहने लगे। वह फूट-फूट कर रोने लगी, “कोई मेरी सुनता नहीं, मैं कहां जाऊं?” उसकी बेबसी देख वहां मौजूद कुछ लोग भी भावुक हो गए।

इंग्लैंड के लंदन एयरपोर्ट पर भारतीय वैज्ञानिक को भिखारी समझ रोका,सच्चाई सामने आते ही सब चौंक गए..और देखें: https://rb.ce...
18/08/2025

इंग्लैंड के लंदन एयरपोर्ट पर भारतीय वैज्ञानिक को भिखारी समझ रोका,सच्चाई सामने आते ही सब चौंक गए..
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लंदन का हीथ्रो एयरपोर्ट, जिसकी गिनती दुनिया के सबसे व्यस्त और आधुनिक एयरपोर्ट्स में होती है। हर सेकंड यहां हजारों लोग आते-जाते हैं, चमचमाती फ्लोरिंग, सीलिंग से लटकती जगमगाती लाइट्स, और सूट-बूट में बिजनेस क्लास यात्री, जिनके हाथ में टैबलेट और कान में एयरपॉड्स लगे रहते हैं। एयरपोर्ट का हर कोना रौनक और तेज़ी में डूबा होता है। फर्स्ट क्लास काउंटर पर अमीर लोग, हाथ में महंगी गाड़ियों की चाबियां घुमाते यंगस्टर्स, डिजाइनर बैग्स के साथ महिलाएं—हर कोई अपनी-अपनी दुनिया में मग्न।

इसी भीड़ में उस दिन एक बुजुर्ग व्यक्ति धीरे-धीरे चलता हुआ एयरपोर्ट के गेट के अंदर आया। उम्र करीब 65 साल, धोती-कुर्ता पहने, सिर पर गांधी टोपी, पैरों में पुरानी चमड़े की चप्पलें और कंधे पर एक फटा-सा कैनवस बैग। उसका चेहरा बेहद शांत और आंखों में अनुभव की गहराई थी, मानो उसने जीवन के हर रंग देखे हों। वह तेज़ी से नहीं, बल्कि ठहर-ठहर कर चलता था, जैसे हर कदम सोच-समझकर रख रहा हो।

ऑटो वाले ने आधी रात जिसकी मदद की वो निकला शहर का सबसे बड़ा करोड़पति फिर जो हुआ....see more: https://rb.celebshow247.com/...
18/08/2025

ऑटो वाले ने आधी रात जिसकी मदद की वो निकला शहर का सबसे बड़ा करोड़पति फिर जो हुआ....
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दिल्ली की सर्द रात थी। चांदनी चौक से कुछ दूर एक सुनसान सड़क पर एक चमचमाती मर्सिडीज खड़ी थी, जैसे कोई थका हुआ राही सफर के बीच में रुक गया हो। कार के पास खड़ा था राजीव मेहरा – शहर का नामी उद्योगपति, जिसकी दौलत और रुतबे के चर्चे पूरे देश में थे। उसका कीमती सूट, चमकती घड़ी और आलीशान कार सब इस बात के गवाह थे कि वह आम इंसान नहीं, बल्कि करोड़ों का मालिक है। लेकिन उस रात उसकी सारी दौलत बेकार थी, क्योंकि उसकी कार का पेट्रोल खत्म हो चुका था और फोन की बैटरी भी जवाब दे चुकी थी।

राजीव बेचैन होकर इधर-उधर देख रहा था, शायद कोई मदद मिल जाए। तभी सड़क पर एक ऑटो की आवाज गूंजी। एक पुरानी सी ऑटो धीरे-धीरे रुकी और उसमें से उतरा रामू – एक साधारण सा ऑटो ड्राइवर। चेहरे पर थकान थी, लेकिन आंखों में उम्मीद की चमक थी। रामू ने राजीव को देखा और मुस्कुराकर पूछा, "साहब, क्या बात है? गाड़ी खराब हो गई?" राजीव ने झुंझलाते हुए कहा, "गाड़ी खराब नहीं, पेट्रोल खत्म हो गया है। फोन भी डेड है, और आसपास कोई टैक्सी भी नहीं मिल रही।"

चपरासी रोज़ भूखे छात्र को खिलाता था अपने टिफिन से खाना, जब छात्र की सच्चाई सामने आई तो होश उड़ गए!और देखें : https://rb.ce...
18/08/2025

चपरासी रोज़ भूखे छात्र को खिलाता था अपने टिफिन से खाना, जब छात्र की सच्चाई सामने आई तो होश उड़ गए!
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उर्फी जावेद पर उनकी अपनी पालतू बिल्ली ने किया हमला, आंख के नीचे आई गहरी चोट – अस्पताल तक पहुंचीं उर्फीऔर देखें: https://...
18/08/2025

उर्फी जावेद पर उनकी अपनी पालतू बिल्ली ने किया हमला, आंख के नीचे आई गहरी चोट – अस्पताल तक पहुंचीं उर्फी
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कैशियर लड़की ने बुजुर्ग की मदद की, नौकरी गईलेकिन अगले ही दिन जो हुआ उसने सबको.see more: https://rb.celebshow247.com/59tu...
18/08/2025

कैशियर लड़की ने बुजुर्ग की मदद की, नौकरी गईलेकिन अगले ही दिन जो हुआ उसने सबको.
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सुबह के दस बजे थे। दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके में एक बड़ा सुपरमार्केट चमचमाता हुआ खुल चुका था। रिया वर्मा अपने काउंटर पर बैठ चुकी थी। उसके चेहरे पर हमेशा की तरह हल्की मुस्कान थी, लेकिन मन में हजारों जिम्मेदारियों का बोझ था। रिया साधारण परिवार से थी—मां बीमार रहती थीं, छोटा भाई स्कूल जाता था और घर का खर्च उसी की नौकरी से चलता था। सुपरमार्केट की कैशियर की नौकरी उसके लिए सिर्फ काम नहीं, बल्कि परिवार की उम्मीद थी।

रिया अपने काम में तेज और सटीक थी। ग्राहकों को मुस्कुराकर स्वागत करती, बिलिंग करती और हर दिन खुद को साबित करती थी। उसे अपनी नौकरी पसंद थी और वह चाहती थी कि यहां लंबे समय तक काम करे। लेकिन उसे क्या पता था कि आज का दिन उसकी पूरी जिंदगी बदल देगा।

दोपहर के वक्त एक बूढ़े आदमी कांपते हाथों से सामान की टोकरी लेकर उसके काउंटर पर आए। रिया ने हमेशा की तरह मुस्कान से उनका स्वागत किया—“नमस्ते बाबा, कैसे हैं आप?”
बूढ़े आदमी ने हल्की मुस्कान दी, “बेटा, बस किसी तरह गुजर-बसर कर रहा हूं। दवाई भी लेनी थी, पर पहले राशन लेना जरूरी लगा।”

रिया ने सामान स्कैन करना शुरू किया—चावल, दाल, तेल, ब्रेड, और कुछ सब्जियां। बिल हुआ 870 रुपये। बाबा ने अपनी जेब से सिक्के और मुड़े-तुड़े नोट निकाले, लेकिन कुल मिलाकर सिर्फ 100 रुपये ही निकल पाए। बाबा घबरा गए, “लगता है पैसे कम पड़ गए, शायद कुछ सामान वापस रखना पड़ेगा।” उन्होंने तेल और ब्रेड वापस रखने की कोशिश की।

10 साल के लड़के ने करोड़पति से कहा अंकल, आपकी बेटी को मैं घुमा दूं।फिर जो हुआsee more: https://rb.celebshow247.com/26qbव...
18/08/2025

10 साल के लड़के ने करोड़पति से कहा अंकल, आपकी बेटी को मैं घुमा दूं।फिर जो हुआ
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वाराणसी की गलियों में सागर नाम का एक छोटा सा लड़का रहता था। उसकी उम्र सिर्फ 10 साल थी, लेकिन उसके चेहरे पर मासूमियत और आंखों में सपनों की चमक थी। आठ साल की उम्र तक सागर की जिंदगी खुशियों से भरी थी। उसके माता-पिता उसे बहुत प्यार करते थे। वे मेहनत करके उसे अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे, ताकि वह बड़ा होकर कुछ बन सके। सागर अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता, खेलता और सपने देखता था।

लेकिन जिंदगी हमेशा वैसी नहीं रहती जैसी हम चाहते हैं। एक दिन अचानक एक भयानक हादसे ने सागर की दुनिया उजाड़ दी। उसके माता-पिता एक सड़क दुर्घटना में हमेशा के लिए चले गए। सागर की छोटी सी दुनिया टूट गई। अब वह बिल्कुल अकेला था। उसके पास कोई नहीं था, सिवाय उसके चाचा के। चाचा शराब के नशे में डूबा रहता था। उसका दिल पत्थर का था। उसे सागर से नहीं, बल्कि सागर के पापा की छोड़ी हुई जायदाद की फिक्र थी।

बेटी ने मां को वृद्धाश्रम छोड़ा – वसीयत खुलते ही सब दंग रह गए!"😱/hindi kahaniya/hindi storysee more: https://rb.celebsho...
17/08/2025

बेटी ने मां को वृद्धाश्रम छोड़ा – वसीयत खुलते ही सब दंग रह गए!"😱/hindi kahaniya/hindi story
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वाराणसी की ठंडी सुबह थी। सात बजने ही वाले थे। हल्की धुंध में पुराने मोहल्ले का हर घर चाय की भाप और पराठों की खुशबू से महक रहा था।
रुक्मणी त्रिपाठी, उम्र तिहत्तर, अपने आंगन में तुलसी को जल चढ़ा रही थीं। हाथ कांप रहे थे, आंखों पर मोटा चश्मा था, लेकिन चेहरे पर एक अजीब-सी शांति थी। उन्हें लगता था, अब उनका जीवन अपनी बेटी नीलम के साथ सुकून से कट जाएगा।
नीलम, एक बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में मैनेजर, हमेशा मीटिंग्स, कॉल्स और डेडलाइन्स में डूबी रहती थी। पहले मां की धीमी चाल और पुरानी बातें उसे प्यारी लगती थीं, लेकिन अब वे उसे खटकने लगीं।
"मां, प्लीज़, मीटिंग है… देर हो रही है," नीलम झुंझलाती।
रुक्मणी चुप हो जातीं, वापस अपने कमरे में जाकर पुराना फोटो एल्बम खोल लेतीं — जिसमें नीलम की स्कूल की तस्वीरें, पति की आखिरी फोटो और वो मुस्कान कैद थी जो अब सिर्फ तस्वीरों में रह गई थी।
समय बीता, और रुक्मणी का स्वास्थ्य गिरने लगा। बिस्तर से उठने में समय लगता, बार-बार पानी के लिए पुकारना पड़ता।
"मां, क्या हर पंद्रह मिनट में पानी चाहिए आपको?"
"बेटा, मैं बूढ़ी हो गई हूं," रुक्मणी धीमे स्वर में कहतीं।
नीलम का जवाब हमेशा एक-सा होता — "तो क्या मैं अकेली सब संभालूं?"
विकास, रुक्मणी का बेटा, शादी के बाद अमेरिका चला गया था। त्योहारों पर बस एक कॉल कर देता। फिर भी रुक्मणी बेटे के नाम की माला जपती रहतीं, जिससे नीलम को चोट लगती। एक दिन मां के मुंह से निकल गया —
"विकास फोन नहीं करता, लेकिन बेटा तो बेटा होता है।"
उस पल नीलम के भीतर कुछ टूट गया। अब मां उसके लिए बस एक जिम्मेदारी थीं… एक बोझ।
एक रविवार की सुबह नीलम ने अखबार में विज्ञापन देखा — "प्रवासी वृद्धाश्रम: सेवा, सम्मान और सुविधा के साथ"।
वही दिन नीलम के फ़ैसले का दिन बन गया।
"मां, एक जगह है, जहां आपकी देखभाल होगी, आप आराम से रहेंगी," नीलम ने कहा।
रुक्मणी ने बस मुस्कुराकर पूछा — "क्या मैं बोझ बन गई हूं?"
नीलम के पास जवाब नहीं था।
वृद्धाश्रम का दरवाजा भारी था… जैसे किसी का दिल चीर रहा हो। अंदर कुछ मुस्कुराते चेहरे थे, कुछ बिल्कुल गुमसुम। रुक्मणी खिड़की के पास बैठ गईं, पीछे मुड़कर देखा — नीलम जा चुकी थी।
दिन बीते, खिड़की के पास बैठना, छत देखना, आंखें बंद करना… यही दिनचर्या बन गई। तभी पास के कमरे की शारदा अम्मा से दोस्ती हो गई।
"बेटी ने भेजा?" उन्होंने पूछा।
रुक्मणी ने सिर हिला दिया।
"मेरा भी बेटा ऑस्ट्रेलिया में है। मां-बाप अब बस मेहमान होते हैं… वो भी बिना बुलावे के," शारदा अम्मा हंसीं।
रुक्मणी भी मुस्कुराईं, लेकिन आंखें भीग गईं।
हर शाम वे अपनी पोती अनवी की तस्वीर लेकर बैठतीं — वही पोती जिसे उन्होंने बचपन में पाला था, क्योंकि नीलम ऑफिस में रहती थी।
एक दिन रुक्मणी ने वृद्धाश्रम की लाइब्रेरी से वकील को फोन किया —
"मैं अपनी वसीयत बनवाना चाहती हूं… सारी संपत्ति एक नाम करनी है, लेकिन नाम गोपनीय रहेगा, वसीयत खुलने के बाद ही पता चलेगा।"
अगले दिन वकील आया, फाइल तैयार हुई ....

टीचर जिसे गरीब बच्चा समझ रही थी…जब सच्चाई खुली, तो टीचर की होश उड़ गए...see more: https://rb.celebshow247.com/1fdvहर स्क...
17/08/2025

टीचर जिसे गरीब बच्चा समझ रही थी…जब सच्चाई खुली, तो टीचर की होश उड़ गए...
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हर स्कूल में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं, जो भीड़ में भी अलग नजर आते हैं। उनकी आंखों में मासूमियत के साथ एक गहरा दर्द छुपा होता है, जिसे अक्सर कोई देख नहीं पाता। लंच ब्रेक के शोरगुल में जब सारे बच्चे मस्ती करते हैं, तभी कोई बच्चा चुपचाप कोने में बैठा अपने अकेलेपन से लड़ रहा होता है। ऐसे बच्चों की जिंदगी में एक टीचर की ममता उम्मीद की किरण बन जाती है। यह कहानी भी एक ऐसे ही बच्चे की है, जिसे सब गरीब समझते थे, लेकिन उसकी सच्चाई कुछ और थी। एक टीचर की दया, एक बच्चे की मासूमियत और किस्मत की अनोखी चाल ने सबका दिल छू लिया। आइए जानते हैं, कैसे एक साधारण लंच ब्रेक ने एक टीचर और बच्चे की पूरी दुनिया बदल दी।

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