02/10/2025
फटे कपड़ों में बेइज़्ज़ती हुई… लेकिन सच्चाई जानकर Plan की सभी यात्रीने किया सलाम!
एक ऐसी दुनिया में जहां बाहरी रूप अक्सर हमारी धारणा को निर्धारित करता है, एक आदमी की यात्रा जो अज्ञात से नायकत्व की ओर बढ़ती है, न्याय के मूलभूत सिद्धांतों को तोड़ने वाली है। सोचिए: एक व्यस्त सुबह एयरपोर्ट पर, जहां यात्रियों की हलचल हवा में गूंज रही है, और लग्जरी कारें टैarmac पर खड़ी हैं। इसी हलचल के बीच, एक अस्तव्यस्त व्यक्ति टर्मिनल में कदम रखता है, उसके फटे कपड़े और थकी हुई मुद्रा उसे चमकदार भीड़ से अलग कर देती है। कोई नहीं जानता था कि यह साधारण दिखने वाला आदमी आज के दिन का सबसे असाधारण नायक बनने वाला है।
एक उज्ज्वल सुबह, दिल्ली से मुंबई जाने वाली एक उड़ान टेकऑफ़ के लिए तैयार हो रही थी। यात्री अपनी सीटों की ओर दौड़ रहे थे, केबिन क्रू व्यस्तता से सभी को व्यवस्थित कर रहा था। यह एक सामान्य दृश्य था—तब तक जब तक वह नहीं आया। विक्रम, एक पचास वर्षीय आदमी, अपने अस्तव्यस्त रूप के बावजूद एक शांत गरिमा के साथ अंदर आया। उसकी त्वचा उम्र के साथ गहरी हो गई थी, और उसके चेहरे की रेखाएँ थकान और संघर्ष की कहानियाँ बयाँ कर रही थीं। उसने एक पुराना ब्लेज़र पहना हुआ था, जिसकी कॉलर फटी हुई थी, और उसकी शर्ट बाहर निकली हुई थी, जो उसे चारों ओर के अच्छी तरह से कपड़े पहने यात्रियों से अलग कर रही थी।
वह अपनी सीट नंबर 17 की ओर बढ़ते हुए, बगल में बैठी एक आधुनिक महिला ने उसे तिरस्कार भरी नजरों से देखा। उसकी आँखों में यह भाव था, "क्या यह व्यक्ति सच में इस फ्लाइट का यात्री है?" एक एयर होस्टेस, प्रिया, दूर से उसे देख रही थी। संदेह भरी नजरों के साथ वह पास आई और बोली, "क्षमा करें सर, क्या मैं आपका बोर्डिंग पास एक बार फिर देख सकती हूँ?" विक्रम ने शांतिपूर्वक मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, जरूर।" प्रिया ने बोर्डिंग पास लेकर उसके चेहरे की ओर संदिग्ध नजरों से देखा और फिर सिर हिलाकर वापस चली गई।
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