
06/09/2025
दूधवाले ने बीमार बूढ़ी मां को एक महीने तक मुफ्त में दूध दिया, फिर जो वसीयत वह पीछे छोड़ गए, उसने सबको चौंका दिया।
उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे रामपुर के बाहरी इलाके में एक पुरानी, जर्जर हवेली खड़ी थी। उखड़े हुए प्लास्टर, टूटे झरोखे, और चारों ओर ऊँची घासों से घिरी इस हवेली को गांव वाले “भूतिया हवेली” कहते थे। वहां अकेली रहती थी एक वृद्ध महिला – जानकी देवी। उम्र 80 के पार, सफेद झुर्रियों से भरा चेहरा, कांपते हाथ, और मोटा चश्मा। लोग उन्हें "जानकी मां" कहते थे, पर यह नाम सम्मान से ज़्यादा एक औपचारिकता जैसा लगता था।
उनकी दुनिया उस हवेली की चारदीवारी में सिमटी हुई थी। गांव में उनके बारे में कई कहानियां चलती थीं – किसी ने कहा उनके पति उन्हें छोड़ गए थे, किसी ने कहा उनकी कोई औलाद नहीं थी, और कुछ कहते कि हवेली में कोई पुराना खजाना दबा हुआ है।
इन कहानियों से बेखबर, सिर्फ एक इंसान था जो हर सुबह उनके दरवाज़े पर दस्तक देता था – रामू, गांव का दूधवाला। लगभग 35 साल का सीधा-सादा मेहनती युवक। उसके पिता भी यही काम करते थे, और उनके गुजर जाने के बाद रामू ने यह जिम्मेदारी संभाली थी। गांव में अब पैकेट वाले दूध का चलन बढ़ गया था, जिससे जैसे-तैसे उसका गुजारा होता था।
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