Devon Ki Vani

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अनंत भक्ति, शाश्वत सत्य! 🚩
यहां सुनें देवों की अमृतमयी वाणी, जानें सनातन धर्म के अद्भुत रहस्य, और जुड़ें ईश्वर की भक्ति में। 🙏🔥
🔸 शिव, हनुमान, विष्णु, माँ दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की कथाएँ
🔸 मंत्र, श्लोक और आध्यात्मिक ज्ञान

27/10/2025

श्री विष्णु की ऊर्जा से धैर्य और नीति बनी रहे। हर निर्णय में संतुलन और हृदय में दया का भाव बना रहे।
🌿 जय नारायण!

🌼 माखन चोर का प्रेम रहस्य 🌼गोकुल की गलियों में सुबह-सुबह शोर था — “कृष्ण फिर से माखन चुरा ले गए!”गोपियाँ झुंझलाईं, पर जब...
27/10/2025

🌼 माखन चोर का प्रेम रहस्य 🌼

गोकुल की गलियों में सुबह-सुबह शोर था — “कृष्ण फिर से माखन चुरा ले गए!”
गोपियाँ झुंझलाईं, पर जब उन्होंने कान्हा को देखा — आँखों में शरारत, चेहरे पर मुस्कान — सबका मन पिघल गया।
कृष्ण बोले, “माँ, मैं माखन नहीं, तुम्हारा प्रेम चुराने आया हूँ।”
गोपियाँ हँस पड़ीं, और उसी क्षण समझीं — यह बालक केवल लीलाधारी नहीं, बल्कि प्रेम का साक्षात रूप है।

वृंदावन में हर बांसुरी की धुन, हर नृत्य की लय — भक्ति का निमंत्रण थी।
कृष्ण प्रेम सिखाते हैं, जो अपेक्षा नहीं रखता; जो बाँटने में बढ़ता है।
जब अर्जुन युद्धभूमि में भ्रमित हुआ, तब भी यही प्रेम ज्ञान बनकर प्रकट हुआ — “कर्तव्य करो, फल की चिंता मत करो।”

🕉️ दुर्लभ संस्कृत मंत्र:
“ॐ श्रीकृष्णाय शरणं ममः।”
अर्थ: मैं भगवान श्रीकृष्ण की शरण में हूँ — जो करुणा, प्रेम और ज्ञान के सागर हैं।

🌸 प्रेम और आनंद का उपाय:
कभी-कभी जीवन को बहुत गंभीर मत बनाइए। कृष्ण की तरह हर परिस्थिति में नाचना सीखिए — चाहे रास हो या रण। आनंद वहीं है जहाँ मन समर्पित है।

कृष्ण की लीला यही सिखाती है — जीवन का अर्थ पाने के लिए पहले उसे प्रेम से जीना पड़ता है। 💫

27/10/2025

माँ लक्ष्मी की कृपा से आज का हर प्रयत्न सफल हो। स्वच्छ मन और सच्चा कर्म ही स्थायी समृद्धि का मार्ग बने।
💰 जय महालक्ष्मी माता!

🌿 मर्यादा पुरुषोत्तम का वनपथ 🌿अयोध्या में उत्सव की तैयारी थी — रामराज्य का आरंभ होने वाला था। पर जब माता कैकेयी ने वनवास...
27/10/2025

🌿 मर्यादा पुरुषोत्तम का वनपथ 🌿

अयोध्या में उत्सव की तैयारी थी — रामराज्य का आरंभ होने वाला था। पर जब माता कैकेयी ने वनवास माँगा, तो सारा नगर स्तब्ध रह गया। सबकी आँखों में प्रश्न था — “राम क्यों मौन हैं?”
राम ने केवल मुस्कराकर कहा, “पिता का वचन ही मेरा धर्म है।”
वह दिन था जब राजकुमार राम नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम जन्मे। अयोध्या का सिंहासन छोड़ वे वन की पगडंडियों पर चल पड़े — सीता और लक्ष्मण संग।
घने जंगलों में, कठिन तप में, हर कष्ट को उन्होंने ‘कर्तव्य’ समझा, ‘दंड’ नहीं। वनवास उनके लिए पराजय नहीं, बल्कि धर्म का उत्सव था।
जब राक्षसों का संहार किया, तब भी उनमें क्रोध नहीं — केवल न्याय था। उनके हर कर्म में एक संदेश छिपा था — “धर्म वही है, जो किसी को आहत किए बिना कर्तव्य निभाए।”

🕉️ दुर्लभ संस्कृत मंत्र:
“ॐ रामाय नमो भद्राय लोकाभिरामाय धीमहि। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥”
अर्थ: कल्याणकारी, लोकप्रिय और धर्मप्रिय श्रीराम को नमस्कार, जो सीताजी के स्वामी और समस्त प्राणियों के नाथ हैं।

🌼 धर्म पालन का उपाय:
कठिन परिस्थिति में भी अपने वचन और मूल्यों से न डगमगाइए। सत्य का मार्ग भले कठिन हो, पर वही आत्मा को शांति देता है।

राम का वनवास हमें सिखाता है — सुख त्यागकर भी जो धर्म निभाए, वही सच्चा राजा है, वही सच्चा मनुष्य है। 🌸

27/10/2025

गणपति बप्पा के आशीर्वाद से हर नई शुरुआत शुभ हो। हर बाधा अवसर बन जाए, और मुस्कान आपकी पहचान बने।
🪔 जय गणेश देवा!

🔥 अचल भक्ति के हनुमान 🔥समुद्र किनारे लंका दिखाई दे रही थी। सब वानर मौन थे — मार्ग असंभव था। तभी हनुमान जी ने folded हाथो...
27/10/2025

🔥 अचल भक्ति के हनुमान 🔥

समुद्र किनारे लंका दिखाई दे रही थी। सब वानर मौन थे — मार्ग असंभव था। तभी हनुमान जी ने folded हाथों से प्रभु राम को नमन किया और बोले, “प्रभु! केवल आपकी शक्ति से ही यह संभव है।”
क्षणभर में उनका रूप विराट हुआ। पर्वतों से ऊँचा, आँखों में अग्नि, हृदय में राम का नाम। एक ही छलाँग में उन्होंने सागर पार किया — न अपने बल से, बल्कि अपने विश्वास से।
जब सीता माँ के सामने पहुँचे, तो कहा — “मैं रामदूत हनुमान, केवल उनका सेवक।” न अभिमान, न भय — केवल सेवा का भाव।
वापस लौटकर जब उन्होंने अशोक वाटिका जलाई, तब भी उनके हृदय में करुणा थी, क्रोध नहीं। उनके हर कर्म का मूल “प्रेम और निष्ठा” था।

🙏 दुर्लभ संस्कृत मंत्र:
“ॐ अञ्जनिसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥”
अर्थ: हम अंजनीनंदन और वायुपुत्र हनुमान का ध्यान करते हैं — वे हमारी बुद्धि को धर्म, साहस और सेवा के मार्ग पर प्रेरित करें।

🌼 भक्ति और निष्ठा का उपाय:
जब किसी कार्य में असंभवता दिखे, तो ‘सेवा’ का भाव अपनाइए, परिणाम का नहीं। हनुमान की तरह, जो केवल प्रभु की इच्छा में समर्पित रहे — वही सच्ची निष्ठा है।

हनुमान जी का बल केवल बाहुबल नहीं था — वह था निष्काम प्रेम का बल, जो हर भक्त के भीतर छिपा है। 💫

27/10/2025

सूर्यदेव का प्रकाश आज हर दिशा में ऊर्जा भर दे। मन में आत्मविश्वास, शरीर में तेज और कर्म में संतुलन रहे।
🌞 जय सूर्य नारायण देव!

🌺 महादेव का तांडव और मौन 🌺हिमालय की नीरवता में कैलाश शांत था। केवल मंद-मंद वायु बह रही थी। उसी शांति के केंद्र में भगवान...
27/10/2025

🌺 महादेव का तांडव और मौन 🌺

हिमालय की नीरवता में कैलाश शांत था। केवल मंद-मंद वायु बह रही थी। उसी शांति के केंद्र में भगवान शिव ध्यानमग्न बैठे थे — आँखें बंद, किंतु भीतर सम्पूर्ण सृष्टि गतिशील।
उनके ध्यान से समय थम गया, और जब तांडव आरंभ हुआ — वह विनाश नहीं, अज्ञान के अंत का नाद था। प्रत्येक डमरू की ध्वनि में ब्रह्मांड की लय बंधी थी, हर नाद में ‘सत्’ और ‘चित्’ की चेतना।
देवता विस्मित हुए — “प्रभु, यह नृत्य विनाश क्यों?”
शिव मुस्कराए, बोले — “जब भीतर अज्ञान का अंधकार मिटता है, तो पुरानी अस्थिरता नष्ट होती है। यह विनाश नहीं, आत्मा का पुनर्जन्म है।”
तांडव की अग्नि में अहं का आवरण जल गया। उस मौन में केवल एक सत्य बचा — “मैं वही हूँ जो सबमें है।”

🕉️ दुर्लभ संस्कृत मंत्र:
"नमः शम्भवे च मयोभवे च नमः शंकराय च मयस्कराय च।"
अर्थ: हे शम्भु! हे कल्याणकारी शिव! आपको और आपकी माया को नमस्कार, जो सृष्टि के सुख-दुःख दोनों में समभाव बनाए रखते हैं।

🌼 आंतरिक शांति का उपाय:
हर दिन कुछ पल मौन में बैठें। विचारों को रोकने की कोशिश न करें — बस देखें कि वे कैसे आते और जाते हैं। धीरे-धीरे, वही मौन आपकी शक्ति बन जाएगा।

जब मन शांत होता है, तभी भीतर का नटराज प्रकट होता है — और वही सच्चा तांडव है, जहाँ अज्ञान समाप्त होकर आत्मा मुक्त होती है। 🔱

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27/10/2025

सवेरा फिर आएगा, और उसके साथ नए अवसर। भगवान कहते हैं — “हर उगता सूरज एक नया आशीर्वाद है।”
जय देवदेव सूर्यनारायण! ☀️

🌺 आरंभ का वरदाता गणपति 🌺एक छोटे से गाँव में आरव नाम का युवक था — बुद्धिमान पर हमेशा हिचकिचाने वाला। हर काम की शुरुआत में...
27/10/2025

🌺 आरंभ का वरदाता गणपति 🌺

एक छोटे से गाँव में आरव नाम का युवक था — बुद्धिमान पर हमेशा हिचकिचाने वाला। हर काम की शुरुआत में डर जाता — “अगर असफल हो गया तो?”
एक दिन वह गणेश मंदिर पहुँचा। वहाँ पुजारी ने कहा, “विघ्न कभी रोकते नहीं, वे दिशा बदलते हैं।”
आरव ने पूछा, “कैसे जानूँ कि सही दिशा कौन-सी है?”
पुजारी मुस्कुराए — “शुरुआत करो, गणपति आगे का मार्ग दिखाएँगे।”

वह दिन आरव के जीवन का मोड़ बन गया। उसने अपने डर के बावजूद नया व्यवसाय शुरू किया। हर सुबह ‘ॐ गं गणपतये नमः’ जपता, और हर कठिनाई में उसे कोई न कोई सहज समाधान दिख जाता।
धीरे-धीरे सफलता आने लगी। तब उसने समझा — गणपति केवल विघ्नहर्ता नहीं, बुद्धिप्रदाता भी हैं।

✨ दुर्लभ संस्कृत मंत्र:
"वक्रतुण्डाय धूम्रकेतवे महाकायाय धीमहि।
गजवक्त्राय धूम्राय गणाधीशाय धीमहि॥"

अर्थ: हम वक्रतुण्ड, धूम्रवर्ण, विशालकाय, गजमुख भगवान गणेश का ध्यान करते हैं — जो हमें बुद्धि, स्थिरता और हर आरंभ में सफलता देते हैं।

💡 जीवन-सूत्र: नई शुरुआत का सही समय कोई नहीं बताता — बस एक कदम आगे बढ़ाओ, गणपति बाकी रास्ता स्वयं सरल कर देंगे।

🙏 श्री गणेशाय नमः — जहाँ बुद्धि हो, वहीं से आरंभ करो।

26/10/2025

श्री पार्वती माता कहती हैं — करुणा ही सबसे बड़ी शक्ति है। दयालु बनो, संसार तुम्हारे साथ मधुर हो जाएगा।
जय माँ पार्वती! 🌺

🎵 राधा-कृष्ण का संतुलन संदेश 🎵वृंदावन में एक ग्वालिन थी — मन चंचल, पर हृदय सच्चा। वह हर सुबह यमुना तट पर जाकर राधा-कृष्ण...
26/10/2025

🎵 राधा-कृष्ण का संतुलन संदेश 🎵

वृंदावन में एक ग्वालिन थी — मन चंचल, पर हृदय सच्चा। वह हर सुबह यमुना तट पर जाकर राधा-कृष्ण का नाम जपती, पर कभी प्रसन्न, कभी उदास रहती। एक दिन उसने पूछा — “हे श्यामसुंदर, मैं भक्ति करती हूँ, फिर भी मन स्थिर क्यों नहीं रहता?”

रात्रि में स्वप्न में राधा और कृष्ण प्रकट हुए। राधा ने कहा — “जहाँ प्रेम है, वहाँ धैर्य भी होना चाहिए।”
कृष्ण मुस्कुराए — “रास लीला का रहस्य यही है — जीवन में गति और मौन, दोनों साथ चलें। जब तुम बहाव में हो, तब राधा बनो; जब ठहराव में हो, तब कृष्ण बनो।”

सुबह वह ग्वालिन जागी तो भीतर एक नई शांति थी। अब जब भी कठिनाई आती, वह बस नाम लेती — “राधे-कृष्ण” — और मुस्कुरा देती। उसका मन अब संघर्ष नहीं, समरसता में जीने लगा।

राधा-कृष्ण सिखाते हैं कि प्रेम और धैर्य, कर्म और शांति — जीवन के दो पंख हैं। केवल एक से उड़ान अधूरी रहती है।

🕉️ दुर्लभ राधा-कृष्ण मंत्र:
"ॐ राधाकृष्णाय नमः।"
अर्थ: “मैं राधा और कृष्ण को नमन करता हूँ — जो प्रेम और ज्ञान, करुणा और संतुलन के साकार रूप हैं।”

💫 जीवन सूत्र:
हर परिस्थिति में प्रतिक्रिया से पहले एक गहरी सांस लें। यही धैर्य आपके भीतर का कृष्ण है — जो हर भाव को राधा के प्रेम से संतुलित करता है।

🙏 राधा-कृष्ण सिखाते हैं — जीवन की सच्ची भक्ति वही है जहाँ प्रेम में शांति और कर्म में संतुलन हो।

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