
03/09/2025
वन में राम-नाम का जप करते हुए एक वृद्ध साधु बैठा था। उसके सामने कठिनाई यह थी कि उसे राम दरबार के दर्शन कभी न हो पाएंगे। उसी क्षण पवनपुत्र हनुमान प्रकट हुए। उन्होंने कहा—“भक्ति में दूरी नहीं होती, सच्ची निष्ठा ही राम तक पहुँचा देती है।” साधु ने हनुमान जी से पूछा—“आपके बल और सेवा का रहस्य क्या है?” हनुमान जी मुस्कुराए और बोले—“राम का नाम ही मेरा बल है, और उनकी सेवा ही मेरा प्राण।” साधु का हृदय प्रेम से भर गया, और उसे लगा मानो स्वयं भगवान राम उसके समीप आकर उसे आशीष दे रहे हों।
🌺 दुर्लभ मंत्र:
"ॐ अञ्जनिसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥"
अर्थ: हम अंजनी पुत्र और वायु पुत्र का ध्यान करते हैं, वे हनुमान हमारे अंतःकरण को प्रेरित और प्रकाशित करें।
✨ जीवन संदेश: सच्ची भक्ति और निष्ठा वही है जिसमें अहंकार न हो। सेवा और समर्पण से ही शक्ति और सफलता मिलती है।
#हनुमान_भक्ति